उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर, 2024 को हिंसा हुई थी। इस हिंसा में गोली लगने से 4 लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा को लेकर इस्लामी कट्टरपंथियों से लेकर लिबरल जमात तक पुलिस पर गोली चलाने का आरोप लगा रही थी। लेकिन अब हिंसा के बाद पुलिस द्वारा जब्त किए गए हथियारों और खाली कारतूसों की बैलिस्टिक रिपोर्ट में सामने आया है कि हिंसा के दौरान सारी गोलियां अवैध हथियारों से चलाई गईं थीं। इसका मतलब यह है कि पुलिस ने कोई भी गोली नहीं चलाई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संभल हिंसा को लेकर जांच कर रही टीम ने हिंसा के बाद कई हथियार बरामद किए थे। इसमें बंदूक से लेकर खाली कारतूस भी शामिल थे। इन हथियारों को जांच के लिए फोरेंसिक टीम को भेजा गया था। जहां बैलिस्टिक जांच के बाद सामने आया है कि हिंसा के दौरान फायरिंग सिर्फ और सिर्फ अवैध हथियारों से ही हुई थी।
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इस मामले में यह भी कहा जा रहा है कि जांच रिपोर्ट पुलिस को दे दी गई है। ऐसे में अभी इस मामले में कुछ अन्य अपडेट सामने आने बाकी हैं। वहीं इस मामले में एक पुलिस अधिकारी ने कहा है कि हिंसा में मारे गए लोगों के शव से गोली बरामद नहीं हुई थी। ऐसे में अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या गोलियां मृतकों के शव से बाहर निकल गईं थीं या फिर गोली लगने के बाद बाहर गिर गई थी।
बता दें कि संभल हिंसा के बाद पुलिस को एक पाकिस्तानी कारतूस भी मिला था। इसको लेकर अब भी जांच की जा रही है। वहीं अब सामने आई बैलिस्टिक रिपोर्ट उन इस्लामी कट्टरपंथियों, लिबरल गैंग और स्थानीय नेताओं के मुंह पर करारा तमाचा है, जिन्होंने पुलिस पर फायरिंग करने का आरोप लगाया था।
बता दें कि संभल सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने भी हत्याओं का आरोप पुलिस पर मढ़ा था। जामा मस्जिद के सदर और हिंसा के मामले में गिरफ्तार आरोपित जफर अली ने भी यह बात प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कही थी। पुलिस फायरिंग से लगातार इनकार करती रही थी और उसने हिंसा के दौरान रबर की गोलियाँ चलाने की बात कही थी।
संभल हिंसा के दौरान बिलाल, अयान, कैफ और नईम नाम के 4 लड़कों की मौत हुई थी। पुलिस ने इन लड़कों की हत्या के मामले में गैंगस्टर शारिक साठा के गुर्गे मुल्ला अफरोज और वारिस को गिरफ्तार किया था। इन्होंने हिंसा के दौरान फायरिंग करने की बात कबूली थी।