इस विजयदशमी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) अपने गौरवशाली 100 वर्षों की यात्रा पूरी कर रहा है, एक ऐसा क्षण जो हिंदू समाज के लिए न केवल ऐतिहासिक बल्कि नई दिशा तय करने वाला भी है। संघ ने इस वर्ष को शताब्दी वर्ष के रूप में घोषित करते हुए इसे हिंदू जागरण और राष्ट्र निर्माण के संकल्प को और अधिक मजबूत करने का अवसर बताया है। इसी क्रम में 21, 22 और 23 मार्च को बेंगलुरु के चन्नेनहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र परिसर में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें हिंदू एकता, भारत की सांस्कृतिक अस्मिता और समाज में वैचारिक सशक्तिकरण से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन हो रहा है। इस बैठक में विशेष रूप से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही सुनियोजित हिंसा, अत्याचार और उत्पीड़न को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।
संघ ने स्पष्ट कहा है कि यह कोई स्थानीय घटना नहीं, बल्कि हिंदू समाज के अस्तित्व को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है। ऐसे में संघ ने आह्वान किया है कि अब समय आ गया है जब हिंदू समाज को केवल दर्शक बनकर नहीं, बल्कि एक संगठित शक्ति के रूप में खड़ा होना होगा। शताब्दी वर्ष के इस वैचारिक महाकुंभ में संघ हिंदू समाज को आत्मनिर्भर, शक्तिशाली और सशक्त बनाने के लिए मूलभूत कार्यक्रमों और रणनीतियों को अंतिम रूप दे रहा है। यह सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि हिंदू राष्ट्र के पुनर्जागरण की आधारशिला है जहां संघ की विचारधारा, राष्ट्रवाद का संकल्प और हिंदू समाज का स्वाभिमान, एक नई ऊर्जा के साथ उभर रहा है।
बांग्लादेश के हिंदू समाज के लिए एकजुटता का आह्वान
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ इस्लामी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा की जा रही सुनियोजित हिंसा, अन्याय और उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यह केवल एक राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, जिसे अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता।
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के दौरान मठ-मंदिरों, दुर्गा पूजा पंडालों और शिक्षण संस्थानों पर हमले, मूर्तियों का अनादर, निर्दोष हिंदुओं की नृशंस हत्याएं, संपत्तियों की लूट, महिलाओं के अपहरण और अत्याचार, जबरन मतांतरण जैसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इन घटनाओं को केवल राजनीतिक नजरिए से देखना सच्चाई से मुंह मोड़ने जैसा होगा, क्योंकि अधिकतर पीड़ित हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।
बांग्लादेश में हिंदू समाज, विशेष रूप से अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय, लंबे समय से इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहा है। वहाँ हिंदू जनसंख्या का लगातार गिरता प्रतिशत (1951 में 22% से घटकर अब मात्र 7.95% रह जाना) यह दर्शाता है कि हिंदू समाज के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है। हाल के वर्षों में हिंसा और घृणा को जिस तरह संस्थागत समर्थन मिला, वह बेहद चिंताजनक है। इसके अलावा, बांग्लादेश से लगातार सामने आ रहे भारत-विरोधी बयानों से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध भी प्रभावित हो सकते हैं।
स्पष्ट रूप से, कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियां भारत के पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने के उद्देश्य से एक राष्ट्र को दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर रही हैं। प्रतिनिधि सभा इस संदर्भ में चिंतनशील वर्गों और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों से आग्रह करती है कि वे भारत-विरोधी शक्तियों, पाकिस्तान और डीप स्टेट की गतिविधियों पर नजर रखें और इन्हें बेनकाब करें। दक्षिण एशिया की साझा सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि बांग्लादेश में हिंदू समाज के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाई जाए।
यह भी उल्लेखनीय है कि बांग्लादेशी हिंदू समाज ने इन अत्याचारों के खिलाफ शांतिपूर्ण, संगठित और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया है। भारत और वैश्विक हिंदू समाज ने भी नैतिक और भावनात्मक रूप से उनके साथ खड़े होकर समर्थन व्यक्त किया है। दुनिया भर के कई हिंदू संगठनों ने इस हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किए हैं और बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा और सम्मान की मांग की है। इस विषय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाया गया है, जिससे वैश्विक नेताओं का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ है।
भारत सरकार ने भी बांग्लादेश के हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। इस मुद्दे को न केवल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के समक्ष बल्कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी मजबूती से उठाया गया है। प्रतिनिधि सभा भारत सरकार से आग्रह करती है कि वह बांग्लादेशी हिंदू समाज की सुरक्षा, सम्मान और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए वहाँ की सरकार से निरंतर संवाद बनाए रखे और हर संभव प्रयास जारी रखे।
प्रतिनिधि सभा का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है। प्रतिनिधि सभा हिंदू समाज, अंतरराष्ट्रीय समुदाय, प्रमुख नेताओं और संगठनों से आग्रह करती है कि वे बांग्लादेशी हिंदू समाज के समर्थन में संगठित होकर आवाज बुलंद करें।
अब समय आ गया है कि हिंदू समाज एकजुट होकर अपने अस्तित्व और सम्मान की रक्षा के लिए कदम उठाए। यह केवल एक समुदाय का नहीं, बल्कि मानवाधिकारों और सभ्यता के मूल्यों की रक्षा का प्रश्न है। अब चुप रहना कोई विकल्प नहीं, बल्कि सशक्त विरोध और निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है!
संघ के भविष्य के कार्यों पर मंथन
बेंगलुरु, 21 मार्च 2025 – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ जनसेवा विद्या केंद्र, चन्नेनहल्ली में हुआ। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर इस महत्वपूर्ण सभा की शुरुआत की। इस अवसर पर सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि इस बैठक में देशभर से 1,482 कार्यकर्ता उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि यह वर्ष संघ के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह संघ के 100वें स्थापना वर्ष का अवसर है। इस दौरान संघ के कार्यों का मूल्यांकन करने के साथ-साथ समाज पर पड़ने वाले प्रभाव और भविष्य की दिशा पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
सभा में संघ के निरंतर बढ़ते कार्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि मार्च 2024 की तुलना में शाखाओं की संख्या में 10,000 की वृद्धि हुई है। वर्तमान में 51,570 स्थानों पर 83,129 दैनिक शाखाएं संचालित की जा रही हैं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 73,646 थी। साप्ताहिक मिलनों की संख्या में 4,430 की वृद्धि हुई है, जिससे कुल शाखाओं, मिलनों और मंडलियों की संख्या 1,27,367 तक पहुंच गई है। इस वर्ष देशभर में आयोजित प्रारंभिक प्रशिक्षण वर्गों में 2,22,962 स्वयंसेवकों ने भाग लिया, जो संघ की बढ़ती सामाजिक भागीदारी और व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
संघ की परंपरा के अनुसार, सभा की शुरुआत हाल ही में दिवंगत हुए समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इनमें स्वामी प्रणवानंद तीर्थपादर, पूज्य सियाराम बाबा, पूज्य संत सुग्रीवानंद जी महाराज, शिरीष महाराज मोरे, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन, वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम, अर्थशास्त्री विवेक देबरॉय, साहित्यकार एम. टी. वासुदेवन नायर, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, लेखक प्रीतीश नंदी, वरिष्ठ नेता एस. एम. कृष्णा, महाराणा महेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता कामेश्वर चौपाल, वनस्पति विशेषज्ञ श्रीमती तुलसी गौड़ा, कन्नड़ लेखक एन डिसूजा, अभिनेता सरिगमा विजी, शिक्षाविद् दोरेस्वामी नायडू, दक्षिण मध्य क्षेत्र के पूर्व क्षेत्र संघचालक पर्वतराव, विश्व विभाग के पूर्व संयोजक शंकरराव तत्ववादी, शिक्षाविद् दीनानाथ बत्रा, इतिहासकार डॉ. गोविंद नारेगल, विहिप पदाधिकारी बी. एन. मूर्ति और पूर्व केंद्रीय मंत्री देबेंद्र प्रधान समेत कई अन्य महान विभूतियाँ शामिल रहीं, जिनके योगदान को याद करते हुए सभा ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
सभा का मुख्य उद्देश्य संघ के कार्यों का विश्लेषण करना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में आगे की योजनाओं पर चर्चा करना है। इस ऐतिहासिक वर्ष में संघ की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग तक इसका प्रभाव पहुंचे। आने वाले सत्रों में राष्ट्रहित से जुड़े विभिन्न विषयों पर गहन मंथन होगा, जिसमें संघ अपने भविष्य के कार्यों की दिशा तय करेगा और समाज में व्यापक परिवर्तन लाने की दिशा में मजबूत कदम उठाएगा।