भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए अध्यक्ष के नाम को लेकर इंतज़ार लंबा हो रहा है। इस देरी को लेकर मीडिया में खबरें चल रही हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की BJP के साथ नए पार्टी अध्यक्ष के नाम को लेकर ठन गई है जिसके चलते यह इंतज़ार खिच रहा है। RSS के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार ने संघ-बीजेपी में किसी तरह के मतभेद की अटकलों को खारिज कर दिया है। बीजेपी में अध्यक्ष के चुनाव से पहले संगठन के चुनाव चल रहे हैं और नए अध्यक्ष चुनने में देरी की सबसे बड़ी वजह इन्हीं चुनावों को माना जा रहा है। इन दिनों बेंगलुरु में RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक चल रही है और उसी के सिलसिले में अरुण कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए थे।
अरुण कुमार ने क्या कहा?
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुण कुमार से बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर सवाल पूछा गया था कि क्या बीजेपी और RSS के बीच कोई विवाद चल रहा है। इस पर उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक 32 संगठनों में काम करते हैं और हर संगठन अपने काम के लिए स्वतंत्र और स्वायत्त है। उन्होंने कहा कि हर संगठन की अपनी निर्वाचन प्रक्रिया भी है। अरुण कुमार ने कहा, “हर संगठन की अपनी सदस्यता प्रक्रिया होती है। वे मंडल स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक अपने अनुसार चुनाव आयोजित करते हैं। अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए किसी भी संगठन में संघ से कोई समन्वय नहीं किया जाता।”
परिसीमन पर संघ ने क्या कहा?
राज्यों में परिसीमन को लेकर भी इस दिनों खूब चर्चा हो रही है। आज (22 मार्च) ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने परिसीमन को लेकर चेन्नई में विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई थी जिसमें 5 राज्यों के 14 नेता शामिल हुए हैं। इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया है कि 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर रोक को अगले 25 साल तक बढ़ाया जाए। इस मामले पर भी संघ ने प्रतिक्रिया दी है।
अरुण कुमार ने परिसीमन के सवाल पर कहा, “परिसीमन के लिए एक्ट आता है और पहले परिसीमन एक्ट 1972 बना, फिर परिसीमन एक्ट 2002 आया। इसके बाद परिसीमन को फ्रीज कर दिया गया था। तो सवाल ये है कि अभी कोई नया एक्ट आया है क्या? ये अनावश्यक आशंका जाहिर कर रहे हैं।” साथ ही, उन्होंने कहा कि विपक्षियों को परिसीमन के मामले में अविश्वास खड़ा करने से बचना चाहिए और सबको लेकर चलने की बात करनी चाहिए।