कंप्यूटर से भी 12 सेकेंड ‘तेज़’: जानें ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ शकुंतला की कहानी जिन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ा था चुनाव

21 अप्रैल को 2013 में शकुंतला देवी का श्वसन और हृदय संबंधी समस्याओं के चलते निधन हो गया था

शकुंतला देवी को 'ह्यूमन कंप्यूटर' और 'मेंटल कैलकुलेटर' नाम से जाना जाता है

शकुंतला देवी को 'ह्यूमन कंप्यूटर' और 'मेंटल कैलकुलेटर' नाम से जाना जाता है

अगर आपको एक अंक का गुणा एक अंक में करना हो तो शायद यह एक आसान काम होगा, दो अंकों को अगर दो अंकों में करना हो तो थोड़ा मुश्किल होगा लेकिन अगर तीन-चार अंकों का आपस में करना हो तो यह शायद बिना कैलकुलेटर के करना आसान नहीं होगा। इन नंबरों को बढ़ाते जाएं और अगर आपके कहा जाए कि 13-13 अंकों की दो संख्याओं का आपस में गुणा करिए तो यह कैलकुलेटर के साथ करना भी आपके लिए मुश्किल हो जाएगा लेकिन अगर कोई यह बिना कैलकुलेटर के कर ले तो? आपको सुनने में यह शायद चमत्कार ही लगे लेकिन इस चमत्कार को ‘शकुंतला देवी’ ने हकीकत में बदल दिया था। आज जानेंगे ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ और ‘मेंटल कैलकुलेटर’ के नाम से विख्यात शकुंतला देवी की कहानी…

बीच में ही छोड़नी पड़ी पढ़ाई

शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 में बैंगलोर में कन्नड़ परिवार में हुआ था और कहा जाता है कि उनके घर के एक बुजुर्ग जो हस्तविद्या के जानकार थे, उन्होंने शकुंतला की हाथ देखकर बता दिया था कि इस बच्ची को भगवान का वरदान मिला हुआ है। शकुंतला के पिता सर्कस में काम करते थे और घर की माली हालत भी अच्छी नहीं थी। शकुंतला ने स्कूल जाना शुरू किया लेकिन एक बार उनके पिता स्कूल की फीस नहीं भर पाए तो उन्हें स्कूल बीच में ही छोड़ देना पड़ा। पिता सर्कस में काम करते थे तो वे बेटी को भी कार्ड्स की ट्रिक्स सिखाया करते थे। तभी उन्हें बेटी की प्रतिभा समझ आने लगी थी। जिस गति से वह अंकों को याद कर रही थी वह उनके पिता को अद्भुत लगा था और 5 वर्ष की उम्र में वे गणित के कठिन सवालों को सुलझाने लगी थीं।

उन्होंने 4 वर्ष की उम्र में मैसूर विश्वविद्यालय में एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया जिसके बाद उनकी प्रतिभा देश के निकलकर विदेश तक पहुंचने लगी थी। उन्होंने देश के बाहर ‘देवी’ नाम से जाना जाता था। वे गणित को लॉजिक मानने वालीं शकुंतला ने दुनिया भर में अलग-अलग जगहों पर जाकर कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और अपनी गणितीय प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1977 में उनका मुकाबला कंप्यूटर से भी हुआ था। डलास में दक्षिणी मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय में उन्होंने 201 अंकों की संख्या का 23वां मूल 50 सेकेंड में निकाला था। उन्होंने यूनीवैक कंप्यूटर को पीछे छोड़ गया जिसे 62 सेकेंड लगे थे।

28 सेकेंड में किया 13-13 अंकों की संख्याओं का गुणा

शकुंतला दुनियाभर में थिएटर, स्कूल और टेलीविज़न शो में जाकर अपनी गणितीय प्रतिभा का लोहा मनवाती थीं। इसी कड़ी में 18 जून 1980 में लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के कंप्यूटर विभाग द्वारा चुनी गईं 13-13 अंकों की दो संख्याओं का गुणनफल 28 सेकेंड में बना दिया था। इसके चलते शकुंतला का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया था।  इसमें पहली संख्या 7,686,369,774,870 और दूसरी संख्या 2,465,099,745,779 थी जिन्हें रेंडम तरीके से चुना गया था। 28 सेकेंड में ही शकुंतला ने इसका उत्तर 18,947,668,177,995,426,462,773,730 बता दिया था। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की वेबसाइट के मुताबिक, “गणना में विलक्षणता के कुछ विशेषज्ञ देवी को इस आधार पर मान्यता देने से इनकार करते हैं कि उनकी उपलब्धियां किसी भी अन्य पर्यवेक्षित प्रतिभा की गणना क्षमता से इतनी अधिक श्रेष्ठ हैं कि पर्यवेक्षी जांच में त्रुटि रही होगी।”

समलैंगिकों पर लिखी किताब और ‘ज्योतिष शास्त्र’ में आजमाया हाथ

शकुंतला की शादी 1960 में कोलकाता के आईएएस अधिकारी परितोष बनर्जी से हुई थी। लेकिन परितोष की होमोसेक्सुअलिटी का खुलासा होने पर जल्द ही शादी टूट गई थी। 2001 की डॉक्यूमेंट्री ‘फॉर स्ट्रेट्स ओनली’ में दावा किया गया कि बनर्जी के ‘गे’ होने के कारण यह शादी टूट गई थी। इसके बाद शकुंतला ने LGBTQ समुदाय के व्यक्तियों के सामे आने वाली चुनौतियों के बारे में और अधिक जानना शुरू कर दिया था। 1977 में उन्होंने ‘द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल्स’ पुस्तक लिखी जिसमें भारत में समलैंगिकता को डिक्रिमिनलाइज़ करने की मांग की गई थी

शकुंतला ने ज्योतिष शास्त्र में भी हाथ आजमाया था और वे एक प्रसिद्ध फेमस एस्ट्रोलॉजर बन गई थीं। शकुंतला ने ‘एस्ट्रोलॉजी फॉर यू’ नामक एक किताब भी लिखी थी। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय एक अखबार के विज्ञापन में दावा किया गया था, “दुनिया भर के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, राजघरानों, फिल्म सितारों और शीर्ष व्यापार दिग्गजों की निजी ज्योतिषी अब ज्योतिषीय परामर्श के लिए उपलब्ध हैं।” उन्होंने इसके लिए दुनिया भर के दौरे किए जहां वे हर रोज़ 60 ‘ग्राहकों’ से मिलती थीं। लोग शकुंतला को अपनी जन्म तिथि, जन्म का समय और जन्मस्थान बताते थे और वे उनके जीवन के बारे में तीन सवालों के जवाब देती थीं।

इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ा चुनाव

शकुंतला देवी ने 1980 में दक्षिण मुंबई और मेडक (वर्तमान तेलंगाना) से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। मेडक में उनका मुकाबला इंदिरा गांधी से था। उन्होंने कहा था कि वह लोगों को इंदिरा गांधी द्वारा बेवकूफ बनाए जाने से बचाना चाहती हैं। उन्हें उम्मीद थी कि वे अपनी प्रसिद्धि की बदौलत यह सीट जीत लेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वह नौवें स्थान पर रहीं।

आज ही के दिन यानी 21 अप्रैल को 2013 में शकुंतला देवी का श्वसन और हृदय संबंधी समस्याओं के चलते बेंगलुरू में निधन हो गया था। वे तब 83 वर्ष की थीं। शकुंतला के जीवन पर एक फिल्म में बनी है जिनमें विद्या बालन ने मुख्य भूमिका निभाई है।

Exit mobile version