’12 फीट क्यों? 5-6 फीट काफी है’: सोमनाथ मंदिर के पास अतिक्रमण रोकने वाली दीवार पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

Somnath Mandir Encroachment Dispute: सोमनाथ मंदिर के पास अतिक्रमण के विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि दीवार की ऊंचाई 5-6 फीट ही रखी जाए।

Somnath Mandir Encroachment Dispute In Supreme Court

Somnath Mandir Encroachment Dispute In Supreme Court

Somnath Mandir Encroachment Dispute: गुजरात सरकार गिर सोमनाथ मंदिर के पास अतिक्रमण रोकने के लिए मंदिर परिसर के चारों ओर दीवार बना रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता ने अदालत में दावा किया कि सरकार परिसर में 12 फीट ऊंची दीवार खड़ी कर रही है, जिससे अंदर क्या हो रहा है, इसकी जानकारी बाहर नहीं मिल सकेगी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दीवार की ऊंचाई 5-6 फीट तक सीमित रखी जाए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की।

मामले में याचिकाकर्ता की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दावा किया गया था कि सरकार 12 फीट दीवार बना रही है। इसका जवाब गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिए हैं। कोर्ट के निर्देश के बाद अब मामले की अगली सुनवाई 20 मई के लिए टाल दी गई है।

दोनों पक्षों ने कोर्ट से क्या कहा?

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दावा किया कि 12 फीट ऊंची दीवार बनाकर अधिकारी यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। यह समझना मुश्किल हो रहा है कि दीवार के पीछे क्या हो रहा है? उन्होंने इसे “चीन की महान दीवार” से तुलना करते हुए पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया।

ये भी पढ़ें: “सोमनाथ मंदिर को तोड़कर गजनवी ने कुछ गलत नहीं किया”, ऐसे बयानों को आप जानते हैं लेकिन ये क्यों दिए जाते हैं यह जान लीजिए

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दीवार के निर्माण से मंदिर परिसर की स्थिति बदल रही है। उन्हें यह नहीं पता कि दीवार के पीछे क्या गतिविधियां हो रही हैं। संजय हेगड़े ने कोर्ट में कहा कि यह निर्माण अवमानना याचिका के लंबित होने के बावजूद किया जा रहा है। यह नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने यथास्थिति बनाए रखने की मांग की और आशंका जताई कि दीवार के पीछे अन्य निर्माण हो सकते हैं।

इसके जवाब में गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता के दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि दीवार का निर्माण केवल अतिक्रमण रोकने के लिए है। मेहता ने जोर देकर कहा कि यह सरकारी जमीन की सुरक्षा का सामान्य उपाय है। 12 फीट ऊंची दीवार का दावा सिर्फ केवल मौखिक है।

कोर्ट ने दिए निर्देश

दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस गवई ने मेहता को सलाह दी कि वे जिला कलेक्टर को निर्देश दें कि दीवार की ऊंचाई 5-6 फीट तक सीमित रखी जाए। मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे इस निर्देश का पालन करेंगे। कोर्ट से जो भी निर्देश मिले हैं वो सरकार को सूचित कर दिए जाएंगे।

अदालत में क्या बहस हुई?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह केवल अतिक्रमण को रोकने के लिए किया जा रहा है। पीठ ने इस पर सवाल उठाया, आप 12 फीट ऊंची परिसर की दीवार क्यों बनवाना चाहते हैं? इसे पांच या छह फीट ऊंचा बनाइए। जस्टिस गवई ने मेहता से कहा कि संबंधित कलेक्टर को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी करें।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने तर्क दिया कि अधिकारी परिसर की दीवार बनाकर यथास्थिति को बदलने का प्रयास हो रहा है। खासकर तब जब इस मामले से जुड़ी अवमानना याचिका पहले से ही लंबित है। हालांकि, मेहता ने हेगड़े के दावों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर धार्मिक अनुष्ठानों की अनुमति नहीं दी जा रही है। स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है और दीवार केवल अतिक्रमण रोकने के उद्देश्य से बनाई जा रही है।

इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अधिकारी 12 फीट ऊंची दीवार बना रहे हैं। भीतर क्या हो रहा है इसकी किसी को जानकारी नहीं लग रही है। इसपर पीठ ने मजाकिया लहजे में कहा कि आजकल तो हर जगह ड्रोन उपलब्ध हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर भीतर कोई निर्माण होता है तो आप कोर्ट में आ सकते हैं। इसके बाद अदालत ने मामले को 20 मई के लिए स्थगित कर दिया।

क्या है विवाद का इतिहास?

पिछले साल 28 सितंबर को याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। इसमें सोमनाथ मंदिर (Somnath Mandir) के पास गुजरात सरकार पर बिना पूर्व अनुमति के आवासीय और धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने का आरोप लगाया गया था। इनमें एक दरगाह भी शामिल थी। 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस दरगाह पर “उर्स” की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। पहले हुई सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने तब कोर्ट को बताया था कि मंदिरों सहित सभी अनधिकृत संरचनाओं को हटा दिया गया है। सरकारी जमीन पर किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा रही है।

Exit mobile version