6 अप्रैल, एक ओर जहां पूरा देश भक्ति और आस्था में डूबा प्रभु श्रीराम के पावन जन्मोत्सव रामनवमी को दिव्यता और उल्लास के साथ मना रहा था, वहीं दूसरी ओर कट्टरपंथी मानसिकता के कुछ चेहरे इस पवित्र अवसर को भी हिंसा और नफरत में बदलने की नापाक साज़िश में जुटे थे। जब देश भर में मंदिरों में जय श्रीराम के उद्घोष गूंज रहे थे, तब कुछ कट्टरपंथी ताकतें नफरत फैलाने की ड्यूटी पर मुस्तैद थीं। पालघर से लेकर कोलकाता तक, एक जैसी घटनाएं सामने आईं जहां शोभायात्राओं पर न केवल पत्थर और अंडे फेंके गए, बल्कि जानबूझकर तनाव पैदा करने की कोशिश की गई। ये वही शोभायात्राएं हैं जो हर साल निकलती हैं, शांति से, धर्म और संस्कृति के संदेश के साथ। फिर इस बार इन्हें क्यों निशाना बनाया गया?
रामनवमी पर हमला करना सिर्फ एक जुलूस पर नहीं, बल्कि उस विश्वास पर वार है जो करोड़ों हिन्दुओं के दिल में रचा-बसा है। ये घटना साफ बताती है कि कुछ लोगों को ना तो राम से प्रेम है, ना भारत की सभ्यता से। उनके लिए यह पर्व नफरत का बहाना बन गया। सबसे चिंताजनक बात ये है कि जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो सत्ता और समाज का कथित सेक्युलर वर्ग या तो खामोश रहता है, या फिर पीड़ितों को ही कठघरे में खड़ा कर देता है।
रामनवमी की शोभायात्रा पर फेंके गए अंडे
रामनवमी के शुभावसर पर जब भारतवर्ष प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव को पूरी श्रद्धा और भक्ति से मना रहा था, उस वक्त भी कुछ कट्टरपंथी मानसिकता के लोग नफरत की भाषा बोलने से बाज़ नहीं आए। महाराष्ट्र के पालघर ज़िले में रविवार शाम रामनवमी के मौके पर निकाली जा रही एक शांतिपूर्ण बाइक रैली पर सुनियोजित ढंग से अंडे फेंके गए। यह हमला तब हुआ जब रैली पिंपलेश्वर मंदिर, विरार (पश्चिम) के ग्लोबल सिटी क्षेत्र में पहुंच रही थी।
रैली का आयोजन सकल हिंदू समाज द्वारा किया गया था, जिसमें 100 से 150 बाइक, एक रथ और दो टेम्पो शामिल थे। सैकड़ों श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक राम नाम का उद्घोष करते हुए धार्मिक सौहार्द और आस्था का प्रतीक यह रैली लेकर चल रहे थे। यह यात्रा चिखलडोंगरी स्थित सर्वेश्वर मंदिर से शुरू होकर पिंपलेश्वर मंदिर की ओर अग्रसर थी।
लेकिन जैसे ही यह जुलूस पिंपलेश्वर मंदिर के पास एक गली से गुजरा, ऊपर की एक इमारत से कुछ लोगों ने अचानक श्रद्धालुओं पर अंडे फेंकने शुरू कर दिए। इस घिनौने कृत्य ने न सिर्फ श्रद्धालुओं को आक्रोशित कर दिया, बल्कि इलाके में तनाव का माहौल भी बना दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बोलिंज पुलिस स्टेशन की टीम मौके पर पहुंची और हालात को तत्काल नियंत्रण में लिया। पूरी रात क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात रहा। पुलिस ने घटना को लेकर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत सार्वजनिक उपद्रव और धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला दर्ज किया है।
फिलहाल एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है और उससे गहन पूछताछ की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि असली दोषियों की पहचान हो सके और उन्हें सख्त सजा दी जा सके।
कोलकाता से BJP नेता ने शेयर किया रामनवमी शोभायात्रा पर हमले का वीडियो
पालघर की घटना अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि पश्चिम बंगाल से भी कट्टरपंथ की एक और चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। रामनवमी के दिन ही, कोलकाता के पार्क सर्कस सेवन पॉइंट इलाके में एक शांतिपूर्ण रामनवमी शोभायात्रा पर सुनियोजित ढंग से हमला हुआ। इस बात का खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार ने किया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर दो वीडियो साझा करते हुए कहा कि सिर्फ भगवा झंडा थामने पर लोगों की गाड़ियों पर पत्थर बरसाए गए, उनकी विंडशील्ड्स तोड़ी गईं, जानबूझकर भगदड़ मचाई गई। उन्होंने इसे साधारण हिंसा नहीं, बल्कि “टारगेटेड अटैक” करार दिया और साफ आरोप लगाया कि यह सब कुछ एक संगठित साजिश के तहत किया गया जबकि पुलिस तमाशबीन बनी रही।
As the Ram Navami procession returned, Hindu devotees were savagely attacked in Kolkata’s Park Circus Seven Point area. Stones rained down on vehicles just for carrying saffron flags. Windshields shattered. Chaos unleashed. This wasn’t random—it was targeted violence. And where… pic.twitter.com/Ed74Xbi2K6
— Dr. Sukanta Majumdar (@DrSukantaBJP) April 6, 2025
मजूमदार ने ममता बनर्जी की सरकार को सीधा जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि “तुष्टिकरण की राजनीति” ने बंगाल पुलिस को इतना पंगु बना दिया है कि वे हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए एक कदम तक नहीं उठा पा रहे। उन्होंने पूछा — जब खुली सड़कों पर रामनवमी के श्रद्धालु निशाना बनाए जा रहे हैं, तब सरकार की संवेदनशीलता कहां है?
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कोलकाता पुलिस ने दावा किया कि किसी भी शोभायात्रा के लिए अनुमति नहीं ली गई थी, और क्षेत्र में कोई हिंसक गतिविधि नहीं हुई। उन्होंने बस इतना स्वीकार किया कि कुछ वाहनों के क्षतिग्रस्त होने की खबर थी, जिस पर उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। पुलिस ने लोगों से अफवाहों से बचने की अपील की और कहा कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है।
लेकिन यहां भी बड़ा सवाल यही है कि जब कुछ ही दिन पहले, 5 अप्रैल को, ठीक उसी पार्क सर्कस सेवन पॉइंट चौराहे पर मुस्लिम संगठनों द्वारा वक्फ बिल के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया था, तो क्या वह प्रदर्शन अनुमति लेकर हुआ था? यही सवाल भाजपा नेता तरुणज्योति तिवारी ने उठाया है। उन्होंने पूछा कि क्या पार्क सर्कस में किसी भी चीज के लिए अनुमति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, क्या वक्फ संशोधन के विरोध में आयोजित सभा के लिए कोई अनुमति ली गई थी?