केरल से एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। कासरगोड जिले के तालीपरम्बा की फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने एक मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना को नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण के मामले में 187 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने सातों आरोपों के तहत दोषी पर कुल 9.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मौलाना की पहचान 41 वर्षीय मोहम्मद रफी के रूप में हुई है। मोहम्मद रफ़ी COVID-19 महामारी के दौरान 16 साल की एक नाबालिग छात्र के साथ बीते दो साल से अधिक समय से यौन शोषण कर रहा था.
यही नहीं बता दें कि ये पहली बार नहीं था जब मौलाना रफ़ी ने किसी मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया है। रफी को पहले भी कन्नूर जिले के एक मदरसे में एक अन्य नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण के आरोप में दोषी ठहराया गया था।
ऐसे सामने आया मामला
जज आर राजेश ने अलाकोड पंचायत के उदयगिरी निवासी मोहम्मद रफी (41) को कठोर सजा सुनाई, क्योंकि वह बार-बार अपराध करने वाला व्यक्ति था और इससे पहले भी उसे प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया जा चुका था। यह बात पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट शेरीमोल जोस ने कही। मंगलवार, 8 अप्रैल को जज ने रफी को पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत सात यौन अपराधों का दोषी पाया, जैसा कि एडवोकेट शेरीमोल जोस ने बताया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, रफी ने मार्च 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन लागू होने के दौरान उस लड़की के साथ दुर्व्यवहार शुरू किया, जब वह 14 साल की थी। एडवोकेट शेरीमोल जोस ने कहा, “वह कक्षा 7 के अंत में थी जब उसने उसके साथ दुर्व्यवहार शुरू किया। यह दिसंबर 2021 तक जारी रहा।” सने लड़की को धमकी भी दी कि वह इस बारे में किसी को न बताए।
यह अपराध तब सामने आया जब लड़की के माता-पिता, उसकी पढ़ाई में गिरावट और उसके भावनात्मक स्वास्थ्य में स्पष्ट बदलावों से चिंतित होकर, उसे कन्नूर के एक काउंसलिंग सेंटर में ले गए। प्रॉसिक्यूटर ने कहा, “वहां उसने पहली बार बताया कि उसके साथ क्या हो रहा था।”
हर गुनाह के लिए अलग सजा
तालीपरम्बा की फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने इस केस में सिर्फ सजा ही नहीं सुनाई, बल्कि एक सख्त संदेश भी दिया, “ऐसे अपराधियों को समाज में रहने का कोई हक नहीं है।”
न्यायाधीश आर. राजेश ने आरोपी मौलाना मोहम्मद रफी को POCSO एक्ट और भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई गंभीर धाराओं के तहत दोषी ठहराया। कोर्ट ने उसे कुल 187 साल की कठोर कैद के साथ-साथ 9.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
फैसले के मुताबिक, आरोपी को उसके हर गुनाह के लिए अलग-अलग सजा दी गई है:
POCSO एक्ट की धारा 5(t) के तहत, 50 साल की सजा सुनाई गई। यह धारा उन मामलों में लगाई जाती है जहां अपराधी ने बार-बार यौन शोषण किया हो।
IPC की धारा 376(3) के तहत, 25 साल की जेल दी गई, जो 16 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों पर लागू होती है।
IPC की धारा 506(2) के तहत, 2 साल की सजा दी गई, जो आपराधिक धमकी देने जैसे अपराध को कवर करती है।
POCSO की धारा 5(1) और 5(f) के अंतर्गत, 35-35 साल की सजा दी गई है। यह उन आरोपों के लिए है जब शिक्षक या कोई भरोसेमंद व्यक्ति अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर लगातार यौन शोषण करता है।
इसके अलावा, पेनिट्रेटिव यौन हमले के लिए 20 साल, और जबरन ओरल सेक्स के लिए भी 20 साल की कठोर सजा सुनाई गई।
ये पहला केस नहीं
पज़हयांगडी पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज किया। बता दें कि यह पहली बार नहीं था जब रफी पर यौन शोषण जैसे संगीर आरोप लगें हों मौलाना पर पहले भी कन्नूर जिले के एक मदरसे में पढ़ने वाली एक दूसरी नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण का आरोप सिद्ध हो चुका था। उसने यह दूसरा जघन्य अपराध तब किया, जब वह पैरोल पर जेल से बाहर आया हुआ था।
कोर्ट ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और उसे सख्त सजा सुनाई। अदालत का मानना था कि इस तरह के अपराधों को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न्यायधीश ने इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि यह फैसला यौन हिंसा के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है, जो दूसरों के लिए भी सबक है।