आतंकी हमले से मुंबई को दहलाने की साजिश रचने वाले तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को भारत लाया जा रहा है। विशेष विमान से उसके भारत पहुंचने के बाद उसके लिए दिल्ली और मुंबई की दो जेलों में खास इंतजाम यानी कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की जा रही है। भारत लाने के बाद आतंकी राणा को कुछ हफ्तों तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में रखा जा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय के अधिकारी कर रहे हैं। सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है।
दरअसल, रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि तहव्वुर राणा ने अमेरिकी कोर्ट में भारत में उसके प्रत्यर्पण को रोकने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद से केंद्र सरकार उसे भारत लाने की तैयारी में जुटी हुई थी। इसी कड़ी में अब भारत सरकार उसे विशेष विमान से ला रही है।
बता दें कि राणा ने 27 फरवरी, 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की सहायक न्यायाधीश और नाइंथ सर्किट की जज एलेना कागन के सामने अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर चल रहे मुकदमे को स्थगित करने के लिए एक आपातकालीन अर्जी दाखिल की थी। कागन ने इस याचिका को ठुकरा दिया था। इसके बाद राणा ने फिर से एक नई याचिका दायर करते हुए अनुरोध किया था कि उसकी अर्जी को मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के पास भेजा जाए।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी एक आदेश के अनुसार, राणा के इस नए आवेदन पर 4 अप्रैल, 2025 को सुनवाई हुई थी, उसे अदालत में भी पेश किया गया था। सोमवार (7 अप्रैल, 2025) को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर एक नोटिस में बताया गया कि अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड
राणा पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी है और 26 नवंबर, 2008 (26/11) को मुंबई में हुए कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है। इन हमलों में 6 अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे। यह हमला 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया गया था।
सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में नौ आतंकवादी मारे गए थे, जबकि एक आतंकी आमिर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद कसाब को मुंबई की एक जेल में फांसी दी गई थी। मुंबई हमले में सजा पाने वाला कसाब इकलौता आतंकी था। उसके अलावा अभी तक किसी अन्य व्यक्ति को सजा नहीं मिली है।
कौन है तहव्वुर राणा
तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म 12 जनवरी, 1961 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी में हुआ था। पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात डेविड कोलमैन हेडली से हुई थी। हेडली न केवल तहव्वुर राणा का बचपन का दोस्त था बल्कि 26/11 आतंकी हमलों की साजिश रचने में भी शामिल रहा। राणा ने मेडिसिन की पढ़ाई करने के बाद पाकिस्तानी सेना में बतौर डॉक्टर काम करता था। करीब एक दशक तक सेना में काम करने के बाद 1990 के दशक में उसने नौकरी छोड़ दी और अपने परिवार के साथ पहले कनाडा और फिर अमेरिका चला गया।
इसके बाद साल 2001 में अपनी बीवी समराज राणा अख्तर के साथ जून 2001 में कनाडा की नागरिकता हासिल कर ली। चूंकि राणा और उसकी बीवी दोनों ही डॉक्टर थे, ऐसे में आसानी से नागरिकता मिल गई। हालांकि इसके बाद वह फिर से अमेरिका पहुंच गया और शिकागो में स्थायी रूप से रहने का फैसला किया। वहां उसने ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नामक एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म की स्थापना की। इस तरह उसने लोगों की नजर में खुद को एक बिजनेसमैन दिखाने की कोशिश की। लेकिन बिजनेस की आड़ में वह लगातार भारत विरोधी आतंकियों की फौज तैयार करता रहा।
यह सब वह अपने पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी दोस्त और आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के साथ कर रहा था। हेडली ने जब मुंबई पर हमले की तैयारी शुरू की, तो वह 2006 से 2008 के बीच कई बार मुंबई आया था। यहां यह जानना भी अहम है कि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी इस्लामी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय सदस्य था। उसने अपने सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली, जिसे दाऊद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है, को मुंबई हमले की तैयारी के लिए भारत में रेकी करने में मदद की थी।
राणा ने हेडली को पासपोर्ट प्राप्त करने में मदद की, ताकि वह भारत आ सके और हमले के लिए निशाने तय कर सके। बार-बार भारत आने में किसी को शक न हो, इसलिए राणा ने अपनी ट्रेवल एजेंसी की एक शाखा मुंबई में भी खोल दी थी। इस हमले की योजना लश्कर ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से बनाई थी। 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमलों के बाद राणा ने मारे गए लोगों की संख्या पर खुशी जताई थी और कहा था कि इस हमले में शामिल आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान दिया जाना चाहिए।
कैसे हुई गिरफ़्तारी?
मुंबई हमले के करीब 1 साल बाद, अक्टूबर 2009 में अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई (FBI) ने तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली को शिकागो से गिरफ्तार किया। उस समय दोनों डेनमार्क के ‘जिलैंड्स-पोस्टेन’ नामक अखबार पर हमले की योजना बना रहे थे। इस अखबार ने पैगंबर मोहम्मद के विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किया था। गिरफ़्तारी के बाद हेडली ने जांच में सहयोग करने का फैसला किया और मुंबई हमले में अपनी भूमिका स्वीकार की। साथ ही उसने तहव्वुर राणा की संलिप्तता का भी खुलासा किया, जिसके बाद तहव्वुर राणा पर भी मुकदमा चलाया गया।
साल 2011 में अमेरिकी अदालत में राणा पर सुनवाई हुई। उसे लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने और डेनमार्क में हमले की साजिश रचने का दोषी पाया गया। हालांकि कोर्ट उसे मुंबई हमले में प्रत्यक्ष संलिप्तता के आरोप से बरी कर दिया। जनवरी 2013 में, राणा को 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उसे पांच साल की निगरानी में रखने का आदेश दिया गया। हेडली को भी 35 साल की सजा मिली, लेकिन उसने अपनी सजा कम करने के लिए सरकारी गवाह बनने का फैसला किया।
राणा ने अपनी सजा पूरी करने के बाद भारत प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश शुरू की। भारत सरकार ने जून 2020 में अमेरिका से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की, जिसके बाद चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब उसे भारत लाया जा रहा है।