बीते कुछ महीनों से संभल और वहां बना विवादित ढांचा लगातार चर्चा में बना हुआ है। हिंदू पक्ष जहां इस ढांचे को हरिहर मंदिर बताता है, वहीं इस्लामवादी इसे शाही जामा मस्जिद बताते हैं। ASI सर्वे के दौरान हुए दंगों से लेकर होली के रंगों तक सब में इस विवादित ढांचे की बात होती आई है। अब इस ढांचे के नाम बदले जाने की चर्चा जोरों पर है। संभल के इस विवादित ढांचे को अब तक ‘शाही जामा मस्जिद’ कहा जाता था, लेकिन अब इसे ‘जुमा मस्जिद’ के नाम से जाना जाएगा।
दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग ने नीले रंग एक बोर्ड बनाकर भेजा है। फिलहाल यह बोर्ड संभल की नव-निर्मित पुलिस चौकी ‘सत्यव्रत चौकी’ में रखा हुआ है। कहा जा रहा है कि जिस स्थान पर ‘शाही जामा मस्जिद’ लिखा हुआ हरे रंग का बोर्ड लगा हुआ है, उसी स्थान पर ‘जुमा मस्जिद’ लिखा हुआ, नीले रंग का बोर्ड अब नजर आएगा। यह बोर्ड कब लगेगा इसकी तारीख अब तक सामने नहीं आई है। लेकिन बोर्ड आने के बाद से नाम बदले जाने की चर्चाएं संभल से लेकर पूरे देश में हो रही है।
क्यों बदला जा रहा नाम?
राजनीतिक गलियारे से लेकर आम जनता तक के बीच विवादित ढांचे का नाम बदले जाने की चर्चा हो रही है। हालांकि ASI का कहना है कि संभल की ‘शाही जामा मस्जिद’ का नाम नहीं बदला जा रहा, बल्कि सही नाम लिखा जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस ने ASI इकाई के अधिकारी के हवाले से कहा है, “हाल ही में रमज़ान से पहले मस्जिद की रंगाई-पुताई कराने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी।
सुनवाई के दौरान, कोर्ट में मस्जिद के मूल नाम को लेकर बहस हुई। भारत सरकार और मस्जिद कमिटी के बीच साल 1927 में हुए एक समझौते में इसे जुमा मस्जिद के नाम से संदर्भित किया गया है और ASI रिकॉर्ड में भी ढांचे को यह नाम दिया गया है। हम ढांचे को उसके मूल नाम से ही पुकार रहे हैं…किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।”
इस मामले में ASI के वकील विष्णु शर्मा ने PTI से बातचीत में कहा है, “मस्जिद के बाहर पहले एएसआई का एक बोर्ड लगा हुआ था, लेकिन कथित तौर पर कुछ लोगों ने उस बोर्ड हटा दिया और इसकी जगह ‘शाही जामा मस्जिद’ का बोर्ड लगा दिया था। नया बोर्ड एएसआई के दस्तावेजों में दर्ज नाम ‘जुमा मस्जिद’ के अनुसार जारी किया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद परिसर के अंदर अब भी नीले रंग का एक बोर्ड है, जिसमें ‘जुमा मस्जिद’ लिखा हुआ है।