नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट (National Herald Chargesheet) दायर कर दी है। ED ने दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में यह चार्जशीट दाखिल की है और इसमें ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष और राहुल गांधी के गुरू सैम पित्रोदा, सुमन दुबे समेत कई नेताओं का नाम शामिल है। ED द्वारा दाखिल आरोप-पत्र पर राउज एवेन्यू कोर्ट में 25 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। यह आरोपपत्र धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 44 और 45 के तहत दर्ज अभियोजन शिकायत के रूप में दायर किया गया है।
कांग्रेस ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए जाने को बदले की राजनीति बताया है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को ज़ब्त करना कानून के शासन का मुखौटा ओढ़कर एक राज्य प्रायोजित अपराध है।” उन्होंने कहा, “सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा की गई बदले की राजनीति और डराने-धमकाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा। सत्यमेव जयते!”
नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को ज़ब्त करना कानून के शासन का मुखौटा ओढ़कर एक राज्य प्रायोजित अपराध है।
श्रीमती सोनिया गांधी, श्री राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा की गई बदले की राजनीति और डराने-धमकाने की कोशिश के अलावा…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 15, 2025
क्या है नेशनल हेराल्ड से जुड़ा ‘घोटाला’?
1938 में आज़ादी के आंदोलन के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजी अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ की शुरुआत की थी। ‘नेशनल हेराल्ड’ के साथ एक हिंदी और एक उर्दू अखबार का प्रकाशन भी शुरू हुआ। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की कंपनी इनका प्रकाशन करती थी। साल 1942 में ये अंग्रेजों को खटकने लगा और इस अखबार पर बैन लगा दिया गया। हालांकि, 3 साल बाद बैन हट गया। AJL ने 2008 में आर्थिक तंगी के कारण ‘नेशनल हेराल्ड’ का प्रकाशन रोक दिया। इसके बाद 2010 में कांग्रेस ने AJL को अलग-अलग समय में कुल मिलाकर 90 करोड़ रुपये बतौर कर्ज दिए। जबकि, द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1950 के मुताबिक कोई राजनीतिक पार्टी किसी को कर्ज नहीं दे सकती।
नवंबर 2010 में नई गैर-लाभकारी कंपनी ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना हुई और कांग्रेस के विश्वस्त सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग इसके निदेशक बन गए। AJL ने यंग इंडियन को 50 लाख रुपए दिए जिसके बदले उसका 90 करोड़ का कर्ज माफ हो गया। साथ ही, AJL के सारे शेयर भी यंग इंडियन के पास चले गए। दिसंबर 2010 में राहुल गांधी और जनवरी 2011 में सोनिया गांधी को यंग इंडियन के बोर्ड में शामिल हो गए और उनके नाम कंपनी के 76 प्रतिशत शेयर कर दिए गए।
2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस डील को ‘घोटाला’ बताते हुए कोर्ट में केस किया। उनका आरोप था कि यंग इंडियन ने फर्जीवाड़ा कर महज 50 लाख में बहुमूल्य संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया है। AJL के अधिकांश पुराने शेयर धारकों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि यंग इंडियन और AJL की संपत्तियों से फर्जी दान, एडवांस किराया और विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई। इन आरोपों के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ भी हुई थी। कुछ दिनों पहले ED ने AJL की 700 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को अटैच कर कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की थी।