अगर आपको अब तक यह नहीं पता कि आने वाले कुछ सालों में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कैसे नौकरियों की दुनिया को बदलने वाला है, तो शायद आप ज़माने से कटे हुए हैं। ChatGPT जैसे टूल्स हर दिन सुर्खियों में हैं, गूगल ने प्रेजेंटेशन बनाने, डेटा एनालाइज़ करने और कंटेंट लिखने वाले एआई सॉफ्टवेयर लॉन्च कर दिए हैं। Gamma और Numerous AI जैसे कई टूल्स पहले ही इनटेलिजेंट प्रोफेशनल्स की नौकरियों में सेंध लगाने लगे हैं।
पहले लगा था कि AI केवल हाई-प्रोफाइल नौकरियों जैसे इंजीनियर, राइटर, डेटा एनालिस्ट पर असर डालेगा, लेकिन अब यह खतरा आम आदमी की रोज़ी-रोटी तक आ पहुँचा है। अब ड्राइवर जैसे लो-प्रोफाइल लेकिन देश की अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी पेशों पर भी AI का खतरा मंडराने लगा है। इसी चिंता को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी खुलकर ज़ाहिर किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आने वाले समय में AI ड्राइवरों की जगह ले सकता है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां खत्म हो सकती हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की खरीद और उपयोग को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीतियों के सही क्रियान्वयन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की, “मेरी चिंता है कि एआई इन ड्राइवरों की नौकरियां समाप्त न कर दे… भारत में ड्राइवर (की नौकरी) एक बड़ा रोज़गार का स्रोत है।”
अब वकीलों की नौकरी पर भी मंडराने लगा है AI का साया
सिर्फ ड्राइवर ही नहीं, अब वकीलों को भी सतर्क हो जाना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ रोज़गार छीनने वाला टूल नहीं रहा, बल्कि धीरे-धीरे पेशेवर दुनिया की हर दीवार को लांघता जा रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने हल्के-फुल्के लहज़े में कह दिया है कि AI वकीलों की दुनिया में भी दस्तक दे चुका है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “AI खुद एक बहुत तेज़ी से बढ़ने वाली तकनीक है। एक मॉड्यूल कुछ ही महीनों में पुराना हो जाता है। अभी हमने AI आधारित वकील को देखा… उसने अमेरिका में बहस की है। हमें बार की चिंता है।” सोचिए, जो प्रोफेशन आज तक सबसे ज़्यादा इंसानी दिमाग और अनुभव पर टिका था, वहां भी अब AI की दस्तक हो चुकी है। यह सिर्फ चेतावनी नहीं, एक सच्चाई है जिससे हम सबको जल्द ही रूबरू होना पड़ेगा।
यह पूरी चर्चा एक जनहित याचिका के दौरान हुई, जिसे सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने दायर किया था। याचिका में मांग की गई थी कि सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई नीतियों को सही ढंग से लागू किया जाए। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिका की पैरवी करते हुए कोर्ट के सामने पर्यावरण को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत के 15 में से 14 सबसे प्रदूषित शहर आज भी दुनिया की लिस्ट में शामिल हैं। प्रशांत भूषण ने कहा “मैं सिर्फ इतना चाहता हूँ कि सरकार अपनी ही नीति को ईमानदारी से लागू करे,”
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा कि केवल सरकार नहीं, बल्कि दूसरी संस्थाओं को भी सामने आकर अपनी भूमिका निभानी होगी। भूषण ने जवाब में कहा कि बुनियादी ढांचा तो सरकार को ही तैयार करना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ जगहों पर EV चार्जिंग स्टेशन 400 किलोमीटर की दूरी पर मिलते हैं जो कि EV यूज़र्स के लिए बेहद कठिन स्थिति है। सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटारमणी ने अदालत से थोड़ा समय माँगा, ताकि सरकार समय-समय पर EV को बढ़ावा देने के लिए जो नीतिगत फैसले लेती रही है, उनकी जानकारी कोर्ट में रखी जा सके। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 मई को तय की।
कैसे बदल देगी AI नौकरी की दुनिया
सुप्रीम कोर्ट के हालिया बयान के बाद, अब यह सवाल उठ रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आने वाले वर्षों में नौकरी की दुनिया को कैसे बदलने वाला है। अगर आप अभी तक इस बात से अनजान हैं कि AI 2024 से 2030 तक नौकरियों को किस तरह प्रभावित करेगा, तो आप शायद इन बड़े बदलावों से अंजान हैं। आजकल AI जैसे ChatGPT टूल्स हर ओर चर्चा का विषय बने हुए हैं। इसके अलावा, Google ने नया AI सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है जो प्रेजेंटेशन बनाने से लेकर डेटा एनालाइज़ और कंटेंट लिखने तक, हर चीज़ में मदद करता है। और तो और, AI टूल्स जैसे Gamma और Numerous AI भी अब मार्केट में मौजूद हैं, जो लगातार नई दिशा में काम कर रहे हैं।
यहां तक कि जो लोग AI के साथ नहीं चल रहे, वे अगले कुछ सालों में अपनी नौकरी की रेस से बाहर हो सकते हैं। यह केवल डर नहीं, बल्कि एक हकीकत है कि AI कुछ नौकरियों को छीन सकता है, लेकिन साथ ही यह नई नौकरियों के अवसर भी पैदा करेगा।
McKinsey Global Institute की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर AI को उसी गति से अपनाया गया जैसा कि आंकड़े दिखाते हैं, तो इसके चलते वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में करीब $13 ट्रिलियन डॉलर का इज़ाफा हो सकता है। इसका असर 2030 तक वैश्विक GDP में लगभग 16% की बढ़ोत्तरी के रूप में देखने को मिलेगा, जिसका मतलब है कि हर साल 1.2% का अतिरिक्त आर्थिक विकास होगा। यह वृद्धि ऑटोमेशन के जरिए लेबर की जगह लेने और नवाचार से नए प्रोडक्ट्स और सर्विसेज का निर्माण करने के कारण होगी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2030 तक, 70% कंपनियाँ AI तकनीक को अपना चुकी होंगी, लेकिन इनमें से आधी कंपनियाँ ही इस तकनीक के सभी पहलुओं को पूरी तरह से अपनाएंगी। वहीं, Forbes का कहना है कि AI आने वाले समय में दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक disruptive तकनीक बन सकती है, जो कभी हमने देखी नहीं।