TDP और JDU के इन सुझावों ने बदल दी वक्फ संशोधन बिल की सूरत

यह अपने मूल संशोधन से कुल 14 बदलावों के साथ पेश हुआ था और 2 अप्रैल की देर रात लोकसभा से पास करा लिया गया

लोकसभा में पास होने के बाद वक्फ संशोधन बिल अब राज्यसभा के पटल पर हैं। यह अपने मूल संशोधन से कुल 14 बदलावों के साथ पेश हुआ था और 2 अप्रैल की देर रात पास करा लिया गया। राज्यसभा में भी केंद्र सरकार के पास बहुमत का पूरा जुगाड़ है। यानी बिल यहां से भी पास होकर जल्द राष्ट्रपति के पास कानून बनने के लिए पहुंच जाएगा। इस बिल में NDA की सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की TDP (तेलगू देशम पार्टी) और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की JDU (जनता दल यूनाइटेड) ने JPC के दौरान कुछ बदलाव कराए थे। इसे कमेटी और सरकार ने सहर्ष स्वीकार किया और इन्हीं बदलावों के साथ बिल को पास कराया गया। आइये जानें वो बदलाव कौनसे थे और उनका क्या असर पड़ेगा?

14 संशोधनों के साथ पास

8 अगस्त 2024 को वक्फ संशोधन बिल पेश हुआ था। विरोध के बाद इसे 31 सदस्यीय ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा गया। कमेटी में 19 NDA, 11 विपक्षी और एक AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी थे। शामिल थे। 27 जनवरी 2025 को JPC ने NDA सांसदों के सुझाए 14 संशोधनों को मान लिया। इसमें से बड़े सुझाव TDP और JDU सांसदों ने दिए थे। आखिरकार 19 फरवरी को मोदी कैबिनेट में भी बिल को मंज़ूरी मिल गई और 2 अप्रैल को इसे लोकसभा में पास करा लिया गया।

JDU-TDP के सुझाव स्वीकार

मोदी सरकार ने मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए वक्फ संशोधन बिल में जेडीयू और टीडीपी के महत्वपूर्ण संशोधनों को स्वीकार कर लिया। इससे पहले से पारदर्शी संशोधन विधेयक को और अधिक पारदर्शी और विवाद मुक्त बना दिया गया। इसी कारण लोकसभा में इसके पेश होते ही देशभर में मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोगों ने इसका स्वागत किया है।

TDP-JDU ने दिए थे ये सुझाव

क्या होगा इन संशोधनों का असर?

NDA के सहयोगी दलों के सुझाव का सकारात्मक असर ये हुआ कि ‘वक्फ बाय यूजर’ रेट्रोस्पेक्टिव लागू नहीं होगा। इससे वक्फ की वो संपत्तियां बची रहेंगी जो कई सौ साल पुरानी हैं। करीब 90% वक्फ प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड नहीं हैं। कुछ प्रॉपर्टीज 500-600 साल पुरानी हैं। इनका वक्फ के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं। इसके पक्के दस्तावेज जुटाना भी संभव नहीं है। ऐसे में संशोधन के बाद वक्फ की ये संपत्ति उसके पास बनी रहेंगी।

दोनों दलों का कहना था कि कलेक्टर को अंतिम अधिकार न दिया जाए बल्कि, इसके लिए राज्य सरकार अधिकारी को नामित करें। इससे अब ये होगा कि कलेक्टर के फैसले के बाद भी मामले की समीक्षा संभव होगी और विवाद की स्थितियां कम होंगी।

वक्फ संपत्तियों के केंद्रीकृत पोर्टल में रजिस्ट्रेशन के लिए पहले 6 महीने का समय दिया गया था। ऐसा नहीं करने पर इन मामलों में किसी कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकती थी। हालांकि, JDU और TDP के सुझाव संशोधनों के ये समय सीमा हटा दी गई है। हालांकि, इसके लिए केयर टेकर को ट्रिब्यूनल के सामने कारण बताना होगा। इसके बाद ट्रिब्यूनल तय करेगा कि इसके लिए कितना समय दिया  जा सकता है।

सरकार ने मौजूदा पुरानी मस्जिदों, दरगाह या अन्य स्थानों से छेड़छाड़ नहीं करने की बात मान ली है। यानी कोई धार्मिक भवन जैसे मस्जिद, दरगाह आदि बनी है और वह वक्फ संपत्ति पंजीकृत नहीं है तो वो सुरक्षित रहेगी। उनका स्टेटस जस का तस बना रहेगा।

समावेशी, निष्पक्ष और न्यायसंगत कानून

इन संशोधनों के बाद मोदी सरकार ने मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को दूर किया है। इसके साथ ही ये तय किया है कि विवादों की निष्पक्ष जांच हो सके। इसके साथ ही कोई भी विवाद प्रशासनिक पक्षपात के कारण प्रभावित नहीं होगा। मुस्लिम समुदाय को अधिक पारदर्शिता और सहजता मिलेगी। नया कानून समावेशी और न्यायसंगत बनने के साथ सामूहिक सहभागिता को भी तय करेगी

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