दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की एक फ्लाइट 21 मई को उस वक्त गंभीर संकट में फंस गई, जब रास्ते में अचानक ओलावृष्टि के चलते विमान भीषण टर्बुलेंस की चपेट में आ गया। फ्लाइट के भीतर हलचल शुरू हो गई थी, हल्के झटकों ने पायलट को सतर्क कर दिया। उस समय फ्लाइट अमृतसर के ऊपर उड़ रही थी और पायलट ने तत्काल स्थिति को भांपते हुए पाकिस्तान के लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया। उन्होंने खराब मौसम से बचने के लिए कुछ समय के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस में घुसने की इजाजत मांगी, ताकि सैकड़ों यात्रियों की जान बचाई जा सके। लेकिन जवाब आया-इनकार। पाकिस्तान ने उस घड़ी में भी मानवीयता नहीं दिखाई, जब 227 जिंदगियां हवा में दहशत के साये में थीं।
इजाजत न मिलने पर फ्लाइट को अपने निर्धारित रास्ते पर ही आगे बढ़ना पड़ा, लेकिन कुछ ही देर में विमान भयानक टर्बुलेंस में फंस गया। फ्लाइट जोर-जोर से हिलने लगी, अंदर बैठे यात्री घबरा गए, और फ्लाइट के भीतर चीख-पुकार मच गई। बच्चे रोने लगे, लोग सीटों से चिपक गए, और पूरे विमान में डर एक साये की तरह छा गया। पायलट ने तुरंत श्रीनगर एटीसी से इमरजेंसी लैंडिंग की इजाजत मांगी और फ्लाइट को किसी तरह सुरक्षित उतारा गया। लैंडिंग के बाद जब विमान की जांच की गई, तो सामने आया कि उसका अगला हिस्सा, जिसे ‘नोज कोन’ कहा जाता है, ओलावृष्टि और टर्बुलेंस की मार से टूट चुका था।
इस हादसे के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिनमें यात्री दुआ मांगते, बच्चे बिलखते और लोग एक-दूसरे को दिलासा देते नजर आते हैं। यह हादसा केवल एक मौसमीय आपदा नहीं था यह उस अमानवीय फैसले की याद दिलाने वाला क्षण था जब एक देश ने राजनीतिक द्वेष के चलते इंसानियत से मुंह मोड़ लिया। सवाल उठता है कि जब जिंदगी और मौत के बीच कुछ सेकंडों का फासला था, तब पाकिस्तान ने क्या खो दिया होता अगर वो सिर्फ एक राह दे देता? शायद कुछ नहीं लेकिन उसने यह ज़रूर साबित कर दिया कि उसके आसमान में इंसानियत अब उड़ान नहीं भरती।
DGCA ने क्या कहा
इस पूरे घटनाक्रम पर अब भारत के विमानन नियामक, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) का आधिकारिक बयान भी सामने आ चुका है, जिसने हालात की भयावहता और तकनीकी जटिलता की पुष्टि कर दी है। DGCA ने कहा कि 21 मई को इंडिगो की A321 फ्लाइट दिल्ली से श्रीनगर जा रही थी, लेकिन पंजाब के पठानकोट के पास अचानक मौसम ने विकराल रूप ले लिया। आकाश में ओले गिरने लगे, बादल घने हो गए और टर्बुलेंस तेजी से बढ़ गया। पायलट ने पहले इंडियन एयर फोर्स से अनुरोध किया कि विमान को इंटरनेशनल बॉर्डर की ओर यानी बाईं तरफ मोड़ने की इजाजत दी जाए, ताकि वह खराब मौसम से बच सके। लेकिन एयर फोर्स की तरफ से अनुमति नहीं मिली।
इसके बाद पायलट ने एक और कोशिश की पाकिस्तान के लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क कर उनके हवाई क्षेत्र में कुछ समय के लिए प्रवेश करने की अनुमति मांगी, लेकिन वहां से भी साफ इनकार मिला। अब पायलट के पास कोई सुरक्षित रास्ता नहीं बचा था। उसने फ्लाइट को वापस ले जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक हालात बिगड़ चुके थे और विमान तेज आंधी और बारिश में फंस चुका था।
इन विकट परिस्थितियों में पायलट ने जोखिम उठाते हुए मौसम के बीच से फ्लाइट ले जाने का फैसला किया। फ्लाइट की स्पीड बढ़ाई गई ताकि जल्द से जल्द खराब मौसम क्षेत्र को पार किया जा सके। इस बीच विमान के भीतर लगातार झटकों ने यात्रियों की जान सांसत में डाल दी। आखिरकार श्रीनगर एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग करवाई गई, जहां जांच में सामने आया कि विमान के नोज सेक्शन को नुकसान पहुंचा है। DGCA ने पुष्टि की है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है।