भारत के थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में चित्रकूट की पवित्र धरती पर जाकर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य से भेंट की। यह केवल एक औपचारिक शिष्टाचार नहीं था, बल्कि एक ऐसी मुलाकात थी जिसमें भारत की सैन्य शक्ति और सनातन धर्म की आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम हुआ। मुलाकात के दौरान दोनों के बीच गहन आध्यात्मिक संवाद भी हुआ। जनरल द्विवेदी ने जहां संत का आशीर्वाद लिया, वहीं स्वामी रामभद्राचार्य ने उन्हें वह ‘राम मंत्र’ की दीक्षा दी, जिसे कभी माता सीता ने भगवान हनुमान को दिया था वही मंत्र जिसकी शक्ति से लंका विजय संभव हुई थी।
इस मुलाकात के बाद स्वामी रामभद्राचार्य ने बड़ी सादगी से लेकिन बेहद गहरी बात कही। उन्होंने बताया कि उन्होंने सेना प्रमुख को मंत्र की दीक्षा दी और हंसते हुए कहा, मैंने उनसे दक्षिणा मांगी है ‘मुझे पीओके चाहिए।’ यह कोई साधारण वाक्य नहीं था, यह एक तपस्वी का राष्ट्र को समर्पित आह्वान था। यह वह स्वर था, जिसमें इतिहास और भविष्य दोनों की पुकार समाई थी। एक ओर जहां यह दृश्य गहराई से भावुक कर देने वाला था, वहीं दूसरी ओर यह उस विश्वास को भी पुष्ट करता है कि जब धर्म और राष्ट्र की शक्तियां एक दिशा में खड़ी हो जाएं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता।
क्या बोले जगद्गुरु रामभद्राचार्य
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने पत्रकारों से बातचीत में इस भेंट को एक गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने बताया कि थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उनसे राम मंत्र की दीक्षा ली वही मंत्र जो त्रेता युग में माता सीता ने भगवान हनुमान को दिया था, और जिसकी शक्ति से लंका विजय संभव हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मंत्र की दीक्षा केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि आत्मबल और राष्ट्रभक्ति का आंतरिक संचार है। स्वामी जी ने मुस्कराते हुए कहा, “मैंने उनसे दक्षिणा में PoK मांगा है।”
#WATCH | Madhya Pradesh | On Chief of Army Staff General Upendra Dwivedi visiting his Ashram in Chitrakoot yesterday, Spiritual Leader Jagadguru Rambhadracharya says, “I gave him the same Diksha (initiation) with the Ram Mantra which Lord Hanuman had received from Maa Sita and… pic.twitter.com/C7Sc3sDTUb
— ANI (@ANI) May 29, 2025
यह कोई साधारण मांग नहीं थी, यह उस संत की वाणी थी जो राष्ट्र की सीमाओं को सिर्फ नक्शे पर नहीं, आत्मा में देखता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान फिर से आतंक फैलाने का दुस्साहस करता है, तो वह खुद को विनाश की ओर धकेल रहा होगा। उनका यह कथन सिर्फ चेतावनी नहीं था, यह उस तपस्वी की भविष्योन्मुख दृष्टि थी जो धर्म और रक्षा दोनों को एक सूत्र में देखता है।
सेना प्रमुख का यह दौरा केवल आध्यात्मिक दर्शन तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने तुलसी पीठ स्थित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय का निरीक्षण किया और सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में भी भाग लिया। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. बी.के. जैन ने उनका स्वागत किया। समारोह में जनरल द्विवेदी ने गुरु रामभद्राचार्य को एक स्मृति चिह्न भेंट किया और उनके सेवा कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वे भारत की न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सामाजिक चेतना का भी सजीव प्रतीक हैं। यह मुलाकात धर्म, सेवा और सुरक्षा के उस त्रिकोण को दर्शाती है जिस पर भारत की आत्मा टिकी हुई है।