ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और POK में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किए जाने के कुछ ही घंटों बाद, बौखलाए पाकिस्तान ने अपनी कायरता की सारी सीमाएं लांघ दीं। LOC से सटे पुंछ ज़िले में बुधवार सुबह पाकिस्तानी सेना ने आम नागरिकों को निशाना बनाते हुए जबरदस्त तोपों से गोलाबारी शुरू कर दी। इस अमानवीय हमले में एक ही परिवार के मासूम भाई-बहन की दर्दनाक मौत हो गई। खबर लिखे जाने तक कुल 15 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और 43 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
पाक की नापाक हरकत यहीं नहीं रुकी उसने पुंछ के पवित्र ‘श्री गुरु सिंह सभा साहिब’ गुरुद्वारे को जानबूझकर निशाने पर लिया, जिसमें रागी अमरीक सिंह समेत तीन श्रद्धालु सिखों की जान चली गई। यह हमला महज सीमा पार गोलीबारी नहीं, बल्कि धर्म और इंसानियत दोनों पर हमला था। आतंकियों की मौत के शोक में डूबा पाकिस्तान अब सिर्फ आतंकियों का संरक्षणदाता नहीं, बल्कि मासूमों और आस्था के प्रतीकों का भी दुश्मन भी बन चुका है।
तोपों की गूंज में दब गई मासूमियत की चीख
हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पुंछ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस वीभत्स हमले में हुई मौतों की पुष्टि करते हुए बताया कि मरने वालों में चार मासूम बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 7 से 14 साल के बीच थी। इन चारों में से दो सगे भाई-बहन थे। इसके अलावा, सिख समुदाय के चार सदस्य जिनमें एक महिला भी शामिल थीं इस हमले का शिकार हुए। पाकिस्तान की इस कायरता भरी गोलाबारी में दारुल उलूम मदरसा के मौलाना, क़ारी मोहम्मद इक़बाल की भी मौत हो गई।
इस अंधाधुंध गोलाबारी ने सीमा पर बसे गांवों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया। लोग जान बचाने के लिए ज़मीन के नीचे बने बंकरों में छिपने को मजबूर हो गए या फिर गांवों के भीतर ही सुरक्षित जगहों की ओर पलायन करने लगे। यह गोलाबारी बालाकोट, मेंढर, मनकोट, सगरा, कृष्णा घाटी, गुलपुर, कर्नी और यहां तक कि पुंछ ज़िला मुख्यालय तक फैली रही, जिससे दर्जनों घर क्षतिग्रस्त हो गए। इस बर्बर हमले में न सिर्फ रिहायशी इलाके प्रभावित हुए, बल्कि आस्था और शिक्षा के प्रतीकों को भी बख्शा नहीं गया। पाकिस्तान की तोपों से पुंछ शहर के गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा और क्राइस्ट स्कूल तक निशाने पर आ गए।