22 अप्रैल से 22 मई: आतंकी हमले से युद्ध की दहलीज़ तक – एक महीने की निर्णायक टाइमलाइन

पढ़ें कैसे क्या हुआ

पहलगाम आतंकी हमला से युद्ध की दहलीज़ तक (AI द्वारा बनाया गया चित्र)

पहलगाम आतंकी हमला से युद्ध की दहलीज़ तक (AI द्वारा बनाया गया चित्र)

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन उसकी यादें आज भी हर भारतीय के दिल को झकझोर देती हैं। 22 अप्रैल की वह दोपहर, जब आतंकियों ने बाइसारन घाटी में सैर कर रहे पर्यटकों से उनका धर्म पूछ-पूछकर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, सिर्फ एक हमला नहीं था वह एक सुनियोजित नरसंहार था। इस बर्बर हमले में 26 निर्दोष भारतीयों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इस त्रासदी ने न केवल घाटी की शांति को खून में रंग दिया, बल्कि देश को एक बार फिर याद दिलाया कि आतंक का चेहरा किस हद तक क्रूर हो सकता है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ कि पहलगाम हमले की जड़ें पाकिस्तान की धरती से जुड़ी हैं। इसकी पुष्टि होते ही भारत ने कड़ा रुख अपनाया। सबसे पहले सरकार ने पाकिस्तान के साथ दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया एक ऐसा कदम जिसने कूटनीतिक स्तर पर स्पष्ट कर दिया कि अब ‘सहिष्णुता’ की जगह ‘साफ-साफ जवाब’ लिया जाएगा। इसके तुरंत बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से एक सर्जिकल रणनीति अपनाई, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया गया। यह कोई प्रतीकात्मक कार्रवाई नहीं थी, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति और राजनीतिक इच्छाशक्ति का वास्तविक प्रदर्शन था।

इस जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान में घबराहट की लहर दौड़ गई। पहले उसने भारत को जवाबी हमले की धमकी दी, लेकिन जब उसने देखा कि भारत पीछे हटने वाला नहीं है, तो वह खुद ही संघर्षविराम की गुहार लगाने लगा। यह एक ऐसा मोड़ था जिसने दिखाया कि अब भारत केवल सहने वाला देश नहीं है, बल्कि निर्णायक कार्रवाई करने वाला राष्ट्र बन चुका है। बीते एक महीने में जो घटनाएं घटीं, वे सिर्फ सैन्य प्रतिक्रियाएं नहीं थीं, बल्कि आतंक के खिलाफ एक मजबूत, साहसी और दूरदर्शी नीति की शुरुआत थीं। आज जब हम इस हमले की एक महीने की बरसी पर खड़े हैं, तो यह केवल शोक का दिन नहीं है, यह संकल्प लेने का दिन भी है कि आतंक के हर चेहरे को जवाब मिलेगा, हर आँसू का हिसाब होगा, और हर भारतीय की सुरक्षा अब एक अपरिहार्य राष्ट्रीय प्राथमिकता है।

22 अप्रैल से 22 मई तक

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए। उसी दिन गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंचे, पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब में थे, लेकिन घटना की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने अपना दौरा बीच में ही छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया।

23 अप्रैल 2025 – प्रधानमंत्री की वापसी और आपात बैठक
पीएम मोदी ने दिल्ली लौटते ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव विक्रम मिस्री सहित शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। निर्णय लिया गया कि भारत इस बार केवल बयान नहीं देगा, कार्रवाई करेगा।

24 अप्रैल 2025 – केंद्र सरकार का बड़ा फैसला
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक हुई, जिसमें चार बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए गए:

25 अप्रैल 2025 – पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करने की घोषणा की। पाक के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने बयान दिया कि या तो सिंधु में पानी बहेगा या खून।

6-7 मई 2025 – ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत
भारतीय वायुसेना ने तड़के 1:05 बजे ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को टारगेट कर तबाह कर दिया गया। राफेल लड़ाकू विमानों से की गई यह एयरस्ट्राइक सिर्फ 23 मिनट की थी लेकिन इसके परिणाम विनाशकारी थे।

8 मई 2025 – सर्वदलीय बैठक
ऑपरेशन सिंदूर के अगले दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित सभी बड़े दलों को जानकारी दी गई कि भारत ने आतंक के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं।

9 मई 2025 – जवाबी हमले और एयर डिफेंस की जीत
पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश में ड्रोन और मिसाइलें दागीं, लेकिन भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस और लाहौर स्थित एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया।

10 मई 2025 – संघर्षविराम पर सहमति
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीजफायर की गुहार लगाई। भारत ने साफ कहा कि बातचीत सिर्फ DGMO से DGMO के स्तर पर ही होगी। जब पाक सेना की ओर से कॉल आया, तब जाकर 10 मई को संघर्षविराम पर सहमति बनी।

15 मई 2025 – तिरंगा यात्रा और राष्ट्रीय एकजुटता
बीजेपी ने पहलगाम में “तिरंगा यात्रा” निकाली। हजारों लोग इसमें शामिल हुए और यह संदेश दिया गया कि आतंकवाद के खिलाफ देश एकजुट है।

17 मई 2025 – घाटी में आतंक के खिलाफ SIA की बड़ी कार्रवाई

शनिवार को राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने श्रीनगर, गांदरबल और हंदवाड़ा में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई उस वक्त हुई जब हाल ही में सेना और पुलिस ने छह आतंकियों को मुठभेड़ में ढेर किया था।

पहलगाम हमले और उसके बाद की एयर स्ट्राइक के बाद सुरक्षाबल अब सिर्फ आतंकियों पर नहीं, बल्कि उनके लोकल नेटवर्क और ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) पर भी फोकस कर रहे हैं। SIA की रेड इस बात का संकेत है कि अब घाटी में किसी भी आतंकी साजिश को पनपने नहीं दिया जाएगा।

22 मई 2025 – प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन और आतंक के खिलाफ भारत की दो टूक नीति

पहलगाम आतंकी हमले की एक महीने की बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीकानेर से राष्ट्र को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब पाकिस्तान से न तो कोई बातचीत होगी और न ही कोई व्यापारिक संबंध अगर भविष्य में कोई चर्चा होगी तो वह सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) पर होगी।

इसके साथ ही, भारत ने दुनियाभर में पाकिस्तान के झूठ और दुष्प्रचार को बेनकाब करने के लिए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को विभिन्न देशों में भेजा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सच्चाई से अवगत कराया जा सके।

घाटी में आतंक के खिलाफ ऑपरेशन भी लगातार जारी है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के सिंघपोरा और चटरू इलाकों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस संयुक्त अभियान में दो आतंकवादी ढेर कर दिए गए। ऑपरेशन में सेना की 11 राष्ट्रीय राइफल्स, 7 असम राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष अभियान समूह (SOG) की टीमें शामिल थीं। यह कार्रवाई इस बात का प्रमाण है कि भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं दे रहा, बल्कि हर मोर्चे पर निर्णायक पहल कर रहा है।

 

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