भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन “सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर एक सधी हुई और अत्यंत सटीक लक्षित कार्रवाई की। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने आतंकियों के कई लॉन्चपैड और घुसपैठ की कोशिशों को तबाह कर दिया। भारत सरकार ने साफ कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह सोच-समझकर की गई थी और इसका मकसद किसी भी प्रकार से तनाव को बढ़ाना नहीं है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने पाकिस्तानी सेना के किसी भी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया, बल्कि जवाबी कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों तक सीमित रही। साथ ही भारत ने यह भी दोहराया कि यदि उसकी सेना पर कोई हमला होगा, तो उसका जवाब कठोर और निर्णायक होगा।
इस कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान की ओर से भी एक असफल जवाबी हमला किया गया, जिसमें ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करते हुए भारत के अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज जैसे महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की गई। लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने हर एक हमले को नाकाम कर दिया। इस हमले के मलबे अब भी विभिन्न स्थानों से बरामद हो रहे हैं, जो पाकिस्तान के इरादों का पुख्ता सबूत हैं।
वहीं भारत की ओर से की गई इस सटीक जवाबी कार्रवाई में एक हथियार सबसे अधिक चर्चा में है इज़रायल से प्राप्त हार्पी ड्रोन। इस आत्मघाती ड्रोन ने पाकिस्तान के लाहौर, कराची जैसे बड़े शहरों में मौजूद कई आतंकी और रणनीतिक ठिकानों पर भारी तबाही मचाई है। बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन में अब तक 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया जा चुका है और ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है। आइए जानते हैं कि हार्पी ड्रोन की ऐसी कौन-सी खासियतें हैं, जिसने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी और उसकी एयर डिफेंस सिस्टम को पूरे तरह से ध्वस्त कर दिया…
क्या है हार्पी ड्रोन?
हार्पी ड्रोन ने लाहौर, कराची समेत पाकिस्तान के कई इलाकों में तबाही मचाई और आतंक के अड्डों को मिट्टी में मिलाने वाला यह ड्रोन इज़रायल द्वारा निर्मित एक अत्याधुनिक मानवरहित हवाई वाहन (UAV)। इसे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ रक्षा कंपनियों में गिनी जाने वाली Israel Aerospace Industries (IAI) ने विकसित किया है। यह कोई साधारण ड्रोन नहीं, बल्कि एक Loitering Munition यानी “भटकता बम” है, जिसे दुश्मन के रडार सिस्टम और एयर डिफेंस नेटवर्क को खोजकर खत्म करने के लिए तैयार किया गया है।
हार्पी ड्रोन की सबसे खास बात है कि यह Surveillance (निगरानी) और Precision Strike (सटीक हमला) दोनों कार्यों में सक्षम है। यही वजह है कि यह आज की हाईटेक वॉरफेयर का एक जानलेवा और बेहद असरदार हथियार बन चुका है। इसे “फायर एंड फॉरगेट” हथियार भी कहा जाता है, क्योंकि यह एक बार टारगेट पर छोड़ दिया जाए तो अपने आप दुश्मन की स्थिति पर मंडराता है और फिर सीधा जाकर टारगेट पर आत्मघाती हमला करता है यानी लक्ष्य भी समाप्त और खुद भी नष्ट।
इस्राइल ने हार्पी को 1980 के दशक में विकसित किया था, विशेष रूप से SEAD (Suppression of Enemy Air Defence) मिशनों के लिए, जिसका उद्देश्य होता है दुश्मन के रडार और हवाई सुरक्षा प्रणाली को एक-एक करके निष्क्रिय करना। बाद में हार्पी का एक अत्याधुनिक संस्करण “Harop” भी विकसित किया गया जिसमें और भी बेहतर सेंसर, लंबी रेंज और ज्यादा टारगेटिंग प्रिसीजन मौजूद हैं। आज भारत समेत कई देशों की सेनाएं इस घातक ड्रोन को अपने रक्षा बेड़े में शामिल कर चुकी हैं।
यही हार्पी ड्रोन इस समय पाकिस्तान पर कहर बनकर टूटा है, जिसकी वजह से वहां की चीनी तकनीक वाली HQ-9 प्रणाली पूरी तरह फेल हो गई है। चीन से मिले हाई-टेक दिखावे का सारा भ्रम तब टूट गया, जब हार्पी ने रडार और कम्युनिकेशन बेस पर सटीक स्ट्राइक कर दी और पाकिस्तान को कोई प्रतिक्रिया देने तक का मौका नहीं मिला।
दुश्मन के रडार को ढूंढकर ध्वस्त करने में सक्षम
हार्पी ड्रोन सिर्फ एक ड्रोन नहीं, बल्कि एक “लॉइटरिंग म्युनिशन” है जिसे आम भाषा में कामिकेज़ ड्रोन भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि यह न केवल लक्ष्य को ढूंढ़ता है, बल्कि उस पर सीधा हमला कर खुद को विस्फोट के साथ नष्ट भी कर देता है, जिससे दुश्मन को अचानक, सटीक और विनाशकारी झटका लगता है।
यह घातक ड्रोन अधिकतम 185 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। इसके अलग-अलग वेरिएंट्स 500 से लेकर 1000 किमी तक की ऑपरेशनल रेंज रखते हैं यानी ये ड्रोन सीमा पार भी गहराई तक जाकर दुश्मन के सुरक्षित समझे जाने वाले ठिकानों को भी निशाना बना सकते हैं। एक बार हवा में उड़ान भरने के बाद हार्पी ड्रोन लगातार 6 से 9 घंटे तक हवा में मंडराता रह सकता है, अपने लक्ष्य की खोज में। इसकी यह loitering capability ही इसे दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम के लिए एक खतरनाक बला बना देती है।
यह ड्रोन 32 किलो तक का विस्फोटक वारहेड अपने साथ ले जाने में सक्षम है यानी एक हमला ही काफी होता है दुश्मन की किसी इमारत, बंकर या रडार यूनिट को पूरी तरह तबाह करने के लिए। हार्पी एक ऑटोनॉमस टारगेटिंग सिस्टम से लैस होता है। यह किसी निर्धारित क्षेत्र में लगातार उड़ता है, दुश्मन के रडार सिग्नल को पकड़ता है, और फिर ऑपरेटर के आदेश पर या स्वचालित रूप से टारगेट पर गोता लगाकर हमला करता है।
हमले के समय यह ड्रोन सीधे अपने वारहेड के साथ दुश्मन की पोजीशन पर गिरता है और वहां न सिर्फ टारगेट नष्ट होता है, बल्कि खुद ड्रोन भी पूरी तरह खत्म हो जाता है। यही इसे बनाता है एक “वन वे मिशन वाला परफेक्ट हथियार” जो दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं देता।