भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच विदेश और रक्षा मंत्रालय ने आज लगातार तीसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि पाकिस्तान सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर अपनी आक्रामकता को बढ़ाया है, जिसमें लड़ाकू विमान, ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, नियंत्रण रेखा पर भारी गोलाबारी की गई। श्रीनगर से नलिया तक 26 से अधिक स्थानों पर पाकिस्तान ने हवाई घुसपैठ का प्रयास किया। उधमपुर, पठानकोट, आदमपुर और भुज में कुछ नुकसान हुआ, और पाकिस्तान ने पंजाब के एयरबेस पर हाईस्पीड मिसाइल दागने की भी कोशिश की, साथ ही चिकित्सा परिसर को निशाना बनाया। लेकिन भारत ने हर एक हमले का सटीक और मजबूत जवाब दिया, जिससे पाकिस्तान की सभी साजिशें नाकाम हो गई।
इस ब्रीफिंग में जिस मिसाइल को इंटरसेप्ट किया गया, उसके बारे में तो जानकारी नहीं दी गई, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने दिल्ली को निशाना बनाने के लिए जो मिसाइल इस्तेमाल की, वह ‘फतेह-II’ थी। गौरतलब है कि इस मिसाइल को भारत के अत्याधुनिक एयर डिफेन्स सिस्टम ने हरियाणा के सिरसा में ही इंटरसेप्ट कर नष्ट कर दिया। दरअसल पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अपनी वायु रक्षा क्षमता को अभूतपूर्व ऊंचाई तक पहुँचाया है, जिसमें Akash, S-400, और अन्य अत्याधुनिक प्रणालियाँ शामिल हैं। ऐसे में आज के इस लेख में, हम इन प्रणालियों की चर्चा करेंगे, जो न केवल भारत को हवाई हमलों और मिसाइलों से बचाने में सक्षम हैं, बल्कि भारत के वायु रक्षा प्रभुत्व को भी सुनिश्चित करती हैं
एयर डिफेन्स सिस्टम
वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) एक अत्याधुनिक सैन्य तंत्र है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसी देश की वायुसीमा की सुरक्षा करना है, विशेषकर दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई खतरों से। यह प्रणाली रडार, सेंसर, मिसाइल, और गन सिस्टम का उपयोग करके न केवल हवाई खतरों का पता लगाती है, बल्कि उन्हें ट्रैक कर सटीक जवाबी कार्रवाई करती है।
इस प्रणाली को स्थिर (स्थायी तैनात) या मोबाइल (चलायमान) रूप में तैनात किया जा सकता है, जिससे यह वर्तमान युद्धक्षेत्र में अत्यधिक प्रभावी हो जाती है। छोटे ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे बड़े खतरों तक, यह प्रणाली हर प्रकार के हवाई हमलों से निपटने के लिए सक्षम है। इसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिक क्षेत्रों, सैन्य ठिकानों, और महत्वपूर्ण ढांचों की सुरक्षा करना है, जिससे किसी भी प्रकार के हवाई आक्रमण से राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
एयर डिफेंस सिस्टम चार प्रमुख हिस्सों में काम करता है:
- रडार और सेंसर: दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, और ड्रोन का पता लगाना।
- कमांड और कंट्रोल सेंटर: प्राप्त डेटा को प्रोसेस करना और प्राथमिकता तय करना।
- हथियार प्रणालियां: इन खतरों का समाधान करना और उन्हें नष्ट करना।
- मोबाइल यूनिट्स: तेजी से तैनाती में सक्षम, जो युद्धक्षेत्र में इसे अत्यधिक प्रभावी बनाती हैं।
यह प्रणाली न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि इसे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में एक अत्यधिक मजबूत स्थिति में भी रखती है।
एयर डिफेन्स के सिस्टम के कितने चरण
एयर डिफेंस सिस्टम एक अत्याधुनिक तंत्र है, जो कई चरणों में काम करता है, जिनमें मुख्य रूप से खतरे का पता लगाना, खतरे का ट्रैक करना, और अंततः उसे नष्ट करना शामिल है। हर चरण में आधुनिक तकनीक और संचालन की सटीकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पहला चरण: इसमें रडार और अन्य सेंसर तकनीकों का इस्तेमाल कर हवाई खतरों का पता लगाया जाता है। रडार, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें भेजता है, दुश्मन के विमानों या मिसाइलों की स्थिति का पता लगाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। लंबी दूरी के रडार, मध्यम और कम दूरी के रडार, इलेक्ट्रॉनिक सेंसर्स और इन्फ्रारेड सेंसर्स जैसे उपकरण दुश्मन के विमानों से निकलने वाले सिग्नल्स को पकड़कर उनकी सही लोकेशन और गति का पता लगाते हैं। इस चरण में, यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि किस प्रकार का खतरा, जैसे कि ड्रोन, विमान या मिसाइल हमला किया गया है।
दूसरा चरण: इसमें खतरे की ट्रैकिंग की जाती है, जिसमें हमलावर उपकरणों जैसे ड्रोन, मिसाइल, या फाइटर जेट्स के मूवमेंट, रास्ते और अन्य गतिविधियों की सटीक जानकारी जुटाई जाती है। रडार, लेज़र रेंज फाइंडर और डेटा लिंक नेटवर्क के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि दुश्मन के विमानों, मिसाइलों की गति, ऊंचाई और दिशा पर नज़र रखी जा सके।
खतरे की ट्रैकिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि युद्ध या हमले के दौरान, ट्रैकिंग सिस्टम दुश्मन द्वारा भेजे गए मिसाइल, ड्रोन या जेट्स के साथ-साथ अपने स्वयं के फाइटर जेट्स या मिसाइलों की ट्रैकिंग भी करता है। इस कारण से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ट्रैकिंग सिस्टम पूरी तरह से संचालित और विश्वसनीय हो, ताकि अपने उपकरणों को कोई नुकसान न हो।
तीसरे चरण में, लगातार ट्रैकिंग के बाद, खतरे को नष्ट करना होता है। यहां, सटीक और त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, ताकि हमले को प्रभावी तरीके से विफल किया जा सके। इस प्रणाली की प्रभावशीलता यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी हवाई खतरे से निपटने के लिए भारत का वायु रक्षा तंत्र तैयार और सक्षम है, और यह भारत के वायु रक्षा प्रभुत्व को मजबूत करता है।
S-400 सुदर्शन एयर डिफेन्स सिस्टम
S-400 एक लंबी दूरी का सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे रूस के अल्माज़ सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा विकसित किया गया है। यह दुनिया के सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है, जो ड्रोन, स्टेल्थ एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइलों, और बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे विभिन्न हवाई खतरों का पता लगाने, ट्रैक करने, और नष्ट करने में सक्षम है।
प्रत्येक S-400 स्क्वाड्रन में दो बैटरी होती हैं, जिनमें से प्रत्येक में छह लॉन्चर, कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम, सर्विलांस रडार, और एंगेजमेंट रडार होते हैं। प्रत्येक बैटरी 128 मिसाइलों तक का समर्थन कर सकती है। S-400 प्रणाली 400 किलोमीटर तक की दूरी और 30 किलोमीटर तक की ऊँचाई तक हवाई खतरों से निपटने की क्षमता रखती है। यह प्रणाली विभिन्न खतरे की दूरी के आधार पर चार प्रकार की मिसाइलें इस्तेमाल करती है:
- Short Range: 40 किलोमीटर तक
- Medium Range: 120 किलोमीटर तक
- Long Range: 250 किलोमीटर तक
- Very-Long Range: 400 किलोमीटर तक
यह प्रणाली 160 लक्ष्यों तक को ट्रैक कर सकती है और 72 को एक साथ नष्ट कर सकती है। इसमें फेज्ड एरे रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध काउंटरमेजर होते हैं, जो इसे विरोधी वातावरण में भी प्रभावी रूप से कार्य करने की क्षमता प्रदान करते हैं। पूर्वी भारतीय वायु सेना (IAF) के अभ्यासों में, S-400 प्रणाली ने 80 प्रतिशत दुश्मन विमान पैकेज को नष्ट करने में उच्च प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया।
Barak 8 एयर डिफेन्स सिस्टम
Barak 8 एक अत्याधुनिक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने मिलकर विकसित किया है। इस मिसाइल में भारत का प्रपल्शन सिस्टम और इजरायल की रडार और सीकर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जिससे यह अत्यधिक सटीक और विश्वसनीय बनती है।
यह मिसाइल 70 से 100 किलोमीटर तक की दूरी पर हवा में उड़ते खतरों को नष्ट करने में सक्षम है, चाहे वह ड्रोन हो, फाइटर जेट्स, या क्रूज मिसाइलें। इसकी स्पीड Mach 2 है, यानी यह आवाज की गति से दोगुनी तेज़ है, जिससे यह आकस्मिक हवाई हमलों से निपटने में अत्यंत प्रभावी है। Barak 8 मिसाइल का 60 किलोग्राम का वारहेड बिना टकराए ही दुश्मन के टारगेट को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है, जिससे न्यूनतम क्षति और अधिक सटीकता के साथ रक्षा होती है। इसमें मौजूद थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल और डुअल-पल्स मोटर की सहायता से यह मिसाइल तेज़ी से बदलते हुए टारगेट्स को भी बेहद सटीक तरीके से नष्ट कर सकती है।
Barak 8 को भारतीय वायु रक्षा तंत्र में एक महत्वपूर्ण जोड़ के रूप में देखा जा रहा है, जो ना केवल भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि भारत को आधुनिक युद्ध में एक सशक्त स्थिति भी प्रदान करता है।
आकाश एयर डिफेन्स सिस्टम
आकाश डिफेन्स मिसाइल सिस्टम एक अत्यधिक उन्नत और रणनीतिक रूप से विकसित लघु से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली है। इसका मुख्य उद्देश्य महत्वपूर्ण परिसरों और संवेदनशील क्षेत्रों को हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करना है। यह प्रणाली लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइलों, UAVs, और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों जैसे विभिन्न हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम है।
आकाश मिसाइल प्रणाली को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है और इसका निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा किया गया है। यह मिसाइल प्रणाली भारत की स्वदेशी सैन्य प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की एक अहम मिसाल है।
आकाश मिसाइल प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ
- प्रकार: लघु से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM)
- संचालन रेंज: 4.5 किमी से 25 किमी (कुछ संस्करण 30 किमी तक)
- गति: Mach 2.5 से Mach 3.5 (4,200 किमी/घंटा तक)
- ऊंचाई कवर: 100 मीटर से 18 किमी तक
- वारहेड: 60 किलोग्राम उच्च विस्फोटक, प्री-फ्रैगमेंटेड (परंपरागत या परमाणु)
- गाइडेंस: कमांड गाइडेंस के साथ डिजिटल ऑटोपायलट
- किल प्रोबेबिलिटी: एक मिसाइल के साथ 88%, दो मिसाइलों के समूह से 99% तक
- मोबिलिटी: पूरी तरह से मोबाइल, ट्रैक्ड और व्हील्ड प्लेटफॉर्म पर तैनात किया जा सकता है
प्रणाली का संरचना और घटक
आकाश डिफेन्स मिसाइल सिस्टम एक अत्यधिक एकीकृत प्लेटफॉर्म है जिसमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण घटक होते हैं:
राजेंद्र PESA रडार: इस प्रणाली का राजेंद्र रडार इसकी 3D पैसिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन की गई एरे रडार है, जो 64 लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है। यह 8 मिसाइलों को एक साथ मार्गदर्शन कर सकता है और 4 लक्ष्यों पर एक साथ हमला कर सकता है। रडार रियल-टाइम रेंज, आज़ीमथ और ऊंचाई डेटा प्रदान करता है, जिससे सटीक लक्ष्य भेदन सुनिश्चित होता है।
लॉन्चर्स: प्रत्येक बैटरी में चार लॉन्चर होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में तीन तैयार-से-लॉन्च मिसाइलें होती हैं, जिससे 12 मिसाइलें प्रति बैटरी हो जाती हैं।
कमांड और कंट्रोल: प्रणाली का आर्किटेक्चर बैटरी कंट्रोल सेंटर (BCC) और ग्रुप कंट्रोल सेंटर (GCC) के साथ समन्वित और स्वचालित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है, और प्रभावी लक्ष्य आवंटन प्रदान करता है।
मोबिलिटी: संपूर्ण प्रणाली को मोबाइल प्लेटफार्मों पर रखा गया है, जिससे इसे त्वरित तैनाती और उच्च सर्वाइवबिलिटी सुनिश्चित होती है, चाहे वह स्थिर सैन्य ठिकानों की रक्षा कर रहा हो या मूविंग कंवॉय की सुरक्षा।
मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट: आकाश मिसाइल प्रणाली का एक प्रमुख गुण है कि यह एक साथ कई हवाई लक्ष्यों को ट्रैक और एंगेज करने में सक्षम है। आधुनिक रडार और कमांड और कंट्रोल प्रणालियों का उपयोग करते हुए, आकाश मिसाइल प्रणाली समूह मोड में एक से अधिक बैटरियों को जोड़कर बड़े क्षेत्रों को कवर करने में सक्षम होती है, और इसके अडैप्टिव डिप्लॉयमेंट पैटर्न (बॉक्स, लीनियर, ट्रैपेजॉयड) के माध्यम से 5,000 वर्ग किमी तक के क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।