आज की वैश्विक सैन्य ताकत की तस्वीर देखें तो रूस के पास सुपरसोनिक और स्टील्थ क्षमता वाला Су-57 (Su-57) है, जो पाँचवीं पीढ़ी का एक बेहद उन्नत मल्टीरोल फाइटर जेट है। वहीं चीन भी अपने जेनरेशन-5 के जिंदादिल लड़ाकू विमान J-20 के साथ तेजी से अपनी वायु शक्ति को बढ़ा रहा है। दूसरी तरफ, अमेरिका के पास फेमस F-35 लाइटनिंग II है, जो दुनिया के सबसे अधिक उन्नत और बहुआयामी स्टील्थ फाइटर जेट्स में से एक माना जाता है। इन दिग्गजों के बीच अब भारत भी अपनी पांव जमाने वाला है। भारत का एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ और मल्टीरोल लड़ाकू विमान के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।

AMCA भारत को न केवल रणनीतिक सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि इसे वैश्विक वायु शक्ति के नक्शे पर भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। रक्षा मंत्रालय की मंजूरी और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के नेतृत्व में निजी उद्योग की साझेदारी के साथ, AMCA का निर्माण अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह प्रोजेक्ट भारत की एयर डोमिनेंस को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा और साथ ही भविष्य की तकनीकों के साथ लड़ाकू विमान के मानकों को भी सेट करेगा। DRDO के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने पहले कहा था, “यह यात्रा वास्तव में 2024 में शुरू हुई, जब सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने इस परियोजना को मंजूरी दी। इसे पूरा करने में दस साल लगेंगे, और हमने 2035 तक इस प्लेटफॉर्म को सौंपने का वादा किया है।”
आइए अब विस्तार से जानते हैं कि AMCA कैसे भारत को चीन और अमेरिका जैसी महाशक्तियों से मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा, इसकी खासियतें क्या हैं, और यह कैसे हमारी रक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा।
क्या है AMCA की खासियत
भारत अब उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा होने जा रहा है, जिनके पास अपनी स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स की तकनीक और क्षमता है। एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी AMCA, भारत की अगली पीढ़ी की वायु शक्ति का प्रतीक बनने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) कर रही है, जो देश की अग्रणी सरकारी अनुसंधान संस्था है, और इसमें कई निजी उद्योग साझेदार भी शामिल होंगे। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
AMCA एक बहुउद्देशीय स्टील्थ फाइटर जेट होगा, जो आधुनिक युद्ध के हर पहलू से निपटने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकें जैसे सेंसर फ्यूजन, इंटरनल वेपन बे, उन्नत एवियोनिक्स और सुपरक्रूज़ जैसी विशेषताएं शामिल होंगी। यह ट्विन-इंजन विमान करीब 25 टन वजनी होगा और इसके आंतरिक फ्यूल टैंक की क्षमता 6.5 टन होगी, जिससे यह लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम रहेगा। इसकी डिज़ाइन में स्टील्थ को प्राथमिकता दी गई है, जिससे यह रडार की पकड़ से बचते हुए दुश्मन पर सटीक वार कर सकेगा।
इस प्रोजेक्ट की अनुमानित शुरुआती लागत लगभग 15,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। तकनीकी दृष्टि से AMCA को कई ऐसी क्षमताओं से लैस किया जा रहा है, जो इसे एक असाधारण लड़ाकू विमान बनाएंगी। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित ‘इलेक्ट्रॉनिक पायलट’ शामिल होगा, जो पायलट को जटिल युद्ध स्थितियों में तेजी से निर्णय लेने में मदद करेगा। साथ ही इसमें नेटसेंट्रिक वारफेयर सिस्टम भी होगा, जिससे युद्ध के मैदान में वास्तविक समय में अन्य इकाइयों के साथ समन्वय संभव होगा।
AMCA में एक आंतरिक हथियार प्रणाली भी होगी, जिसमें चार लॉन्ग-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें और कुल 1500 किलोग्राम तक का हथियार भार ले जाने की क्षमता होगी। यह व्यवस्था न केवल विमान को दुश्मन की नज़र से बचाएगी बल्कि इसे और अधिक घातक भी बनाएगी। विमान में ‘इंटीग्रेटेड व्हीकल हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम’ जैसी सुविधाएं भी शामिल होंगी, जो इसके मेंटेनेंस को भविष्यवाणी आधारित बना देंगी और परिचालन में लगातार भरोसेमंद बनाए रखेंगी।
यह विमान न सिर्फ हल्के लड़ाकू विमानों (LCA) से अलग होगा बल्कि इसकी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नेचर भी बेहद कम होगी, जिससे दुश्मन के रडार इसे पहचान नहीं पाएंगे। AMCA की ये सभी खूबियां इसे आधुनिक वायु युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाने लायक बनाएंगी। पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की पहचान सिर्फ उनके डिज़ाइन से नहीं होती, बल्कि उनके भीतर मौजूद सॉफ्टवेयर इंटेलिजेंस और नेटवर्किंग क्षमताओं से होती है। ऐसे विमान पायलट को 360 डिग्री बैटलफील्ड अवेयरनेस देते हैं, जिससे वह बिना विमान को अधिक मोड़े, पूरी लड़ाई की स्थिति को समझ सकता है। इस श्रेणी के विमानों में अमेरिका के F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II, रूस का Su-57 और चीन का J-20 शामिल हैं।
अब भारत भी AMCA के साथ इस विशिष्ट क्लब का हिस्सा बनने जा रहा है। यह न केवल हमारी हवाई सीमाओं की रक्षा को और मज़बूत करेगा, बल्कि भारत को रणनीतिक रूप से उन ताकतवर देशों के समकक्ष खड़ा करेगा, जिनकी वायु शक्ति ही उनकी सैन्य शक्ति की रीढ़ है। AMCA सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में एक साहसिक उड़ान है। आइए अब आगे जानते हैं कि AMCA की यह तकनीक कैसे भारत को चीन जैसी सैन्य महाशक्ति से मुकाबले की पूरी क्षमता देती है।
क्षेत्रीय तनावों के बीच भारत की वायु शक्ति का निर्णायक मोड़
मार्च 2024 में जब सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने AMCA परियोजना को हरी झंडी दी, तो यह सिर्फ एक रक्षा सौदे की मंजूरी नहीं थी यह भारत की वायु शक्ति को आत्मनिर्भरता, तकनीकी श्रेष्ठता और रणनीतिक आत्मविश्वास की दिशा में ले जाने वाला ऐतिहासिक क्षण था। भारत अब ऐसे दौर में प्रवेश कर रहा है जहां उसे अपने दो अस्थिर और सशस्त्र पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन से लगातार चुनौती मिल रही है। इन परिस्थितियों में, AMCA परियोजना न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्व रखती है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़ बनने की क्षमता भी रखती है।
AMCA को पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट बनाने की योजना है, जिसकी क्षमताएं अमेरिका के F-35 और रूस के Su-57 जैसी वैश्विक शक्तियों के समकक्ष होंगी। यह विमान पूरी तरह से स्वदेशी होगा और इसमें उन्नत एवियोनिक्स, स्टेल्थ तकनीक, इंटरनल वेपन बे और सुपरक्रूज़ जैसी क्षमताएं शामिल होंगी। इस परियोजना के ज़रिए भारत सिर्फ एक नया लड़ाकू विमान नहीं बना रहा है, बल्कि एक नई रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भर रक्षा संरचना की नींव रख रहा है।
भारत की वर्तमान सुरक्षा स्थिति को देखें तो तस्वीर चिंताजनक है। भारतीय वायुसेना के पास स्वीकृत 41 स्क्वाड्रनों की तुलना में इस समय केवल 29 स्क्वाड्रन ही सक्रिय हैं। यह अंतर न केवल हमारी सैन्य तैयारी को कमजोर करता है, बल्कि रणनीतिक संतुलन को भी खतरे में डालता है। इसके साथ ही विदेशी रक्षा खरीद की प्रक्रिया में देरी और स्वदेशी परियोजनाओं की धीमी गति से भी हमारी वायु शक्ति प्रभावित हो रही है। ऐसे समय में AMCA जैसी परियोजना उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरती है।
यह विमान सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत नहीं होगा, बल्कि इसमें ऐसी क्षमताएं होंगी जो आधुनिक युद्ध की ज़रूरतों के अनुसार तैयार की जा रही हैं। स्टील्थ तकनीक इसे दुश्मन के रडार से छिपने में मदद करेगी, जिससे यह पहले वार करने में सक्षम होगा और युद्ध के मैदान में सामरिक बढ़त देगा। पाकिस्तान, जो आकार में भले ही छोटा है लेकिन चीन के सहयोग से अपनी वायुसेना को आधुनिक बना रहा है, अब J-20 जैसे स्टील्थ फाइटर तक पहुंच बना चुका है। वहीं चीन की वायुसेना पहले से ही एक संगठित और तकनीकी रूप से सक्षम ताकत बन चुकी है।
ऐसे में AMCA सिर्फ एक नया लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति का जवाब है। यह हमें न केवल सैन्य संतुलन में मजबूती देगा बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की रक्षा स्वायत्तता और तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी प्रमाणित करेगा। अगर यह परियोजना समय पर और सफलतापूर्वक पूरी होती है, तो यह भारत को उस श्रेणी में शामिल कर देगी जहां अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश मौजूद हैं। AMCA के ज़रिए भारत न केवल एक सैन्य गैप को भरने जा रहा है, बल्कि वह अपने भविष्य की वायु शक्ति को फिर से परिभाषित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
खरीद से ज़्यादा क्यों ज़रूरी है खुद बनाना?
AMCA को विदेशी विकल्पों जैसे अमेरिकी F-35 या रूसी Su-57 की बजाय स्वदेश में विकसित करने का निर्णय एक साहसिक लेकिन रणनीतिक रूप से दूरदर्शी कदम है। ये विदेशी फाइटर जेट्स भले ही आज की तारीख में दुनिया के सबसे उन्नत और प्रभावशाली प्लेटफॉर्म माने जाते हों, लेकिन भारत जैसे देश के लिए इनमें कई व्यावहारिक और रणनीतिक चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती है इनकी बेहद ऊंची लागत, जटिल लॉजिस्टिक सपोर्ट, और रखरखाव के लिए पूरी तरह से बाहरी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहना। युद्ध या संघर्ष की स्थिति में जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हो सकती हैं, तब यह निर्भरता एक बड़ी कमजोरी बन जाती है।
इसके अलावा, इन विदेशी प्लेटफॉर्म्स के साथ तकनीक साझा नहीं की जाती, जिससे भारत को इन विमानों में बदलाव करने या उन्हें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित करने की आज़ादी नहीं मिलती। इन पर अक्सर “ब्लैक बॉक्स” तकनीकें लागू होती हैं, जिन तक पहुंच सीमित रहती है। वहीं, AMCA को भारत में स्वदेशी रूप से विकसित करने से भारत को न केवल पूर्ण तकनीकी नियंत्रण मिलेगा, बल्कि इसे पूरी तरह से देश की सुरक्षा ज़रूरतों के अनुरूप डिजाइन किया जा सकेगा।
यह स्वदेशी निर्माण न केवल आत्मनिर्भर भारत के विजन को मजबूत करता है, बल्कि देश में रोज़गार के अवसर पैदा करता है, तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देता है और भारत के एयरोस्पेस सेक्टर को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाता है। रक्षा मंत्रालय पहले ही साफ़ कर चुका है कि एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) इस परियोजना में निजी रक्षा कंपनियों के साथ साझेदारी में काम करेगी और इसके विकास चरण के लिए जल्द ही ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ जारी किया जाएगा। यह साझेदारी सुनिश्चित करेगी कि AMCA भारत की विशिष्ट ऑपरेशनल जरूरतों जैसे हिमालय की ऊंचाई वाली सीमाओं पर लड़ाई या हिंद महासागर में समुद्री अभियानों के लिए एकदम सटीक हो।
स्वदेशी विकास का एक और बड़ा लाभ यह है कि भारत अपने विमान में देश में बने हथियारों, सेंसरों और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम्स को बेहतर ढंग से एकीकृत कर सकता है, जो विदेशी प्लेटफॉर्म्स के साथ अक्सर संभव नहीं होता। AMCA केवल एक फाइटर जेट नहीं होगा, यह भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनेगा। यह निर्णय भारत को आज़ादी देता है कि वह अपनी सुरक्षा नीति खुद तय करे, अपनी जरूरतों के अनुसार विमान को समय के साथ अपडेट करे और किसी बाहरी दबाव के बिना अपने सैनिकों को सबसे बेहतरीन तकनीक से लैस करे। यही वह आत्मनिर्भर सोच है जो आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक रक्षा परिदृश्य में एक निर्णायक शक्ति बनाएगी।