कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया- कैसे अंजाम दिया गया ‘Operation Sindoor’?

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पहलगाम आंतकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और PoK के 9 ठिकानों को निशाना बनाया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को पहलगाम के कायरना हमले का जवाब देने के लिए किए गए ऑपरेशन का नाम ‘Operation Sindoor’ रखा है। इस हमले पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी मीडिया को ब्रीफ किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बारे में जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले पाकिस्तान के आतंकी हमलों से जुड़ा एक वीडियो भी चलाया गया है।


कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने क्या बताया?

कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि पाकिस्तान में पिछले तीन दशकों से टेरर इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा था।

उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन रात 1:05 बजे से लेकर 1:30 बजे के बीच चलाया गया। यह कार्रवाई पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के जवाब में की गई। पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान आतंकवादियों की फैक्ट्री बना हुआ है। इस हमले के बाद भी यही सच सामने आया। हमने पाकिस्तान और पीओके में कुल 9 ठिकानों को निशाना बनाया और सफलतापूर्वक तबाह किया। इन ठिकानों में लॉन्चपैड और ट्रेनिंग सेंटर्स शामिल थे।

कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि हमने इन टारगेट्स को विश्वसनीय खुफिया जानकारी और पुख्ता सूचनाओं के आधार पर चुना। ऑपरेशन के दौरान हमने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि किसी निर्दोष नागरिक या आम जनसुविधा को नुकसान न पहुंचे। पीओके में पहला टारगेट मुजफ्फराबाद का सवाई नाला था, जो लश्कर का ट्रेनिंग सेंटर था। सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम में हुए हमलों के आतंकी यहीं से ट्रेन हुए थे। मुजफ्फराबाद के ही सैयदना बिलाल कैंप में आतंकियों को हथियार, विस्फोटक और जंगल में जिंदा रहने की ट्रेनिंग दी जाती थी। कोटली के गुरपुर में स्थित लश्कर कैंप में ही 2023 में पुंछ में श्रद्धालुओं पर हमला करने वाले आतंकी तैयार किए गए थे।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में पहला टारगेट सियालकोट का सरजल कैंप था, जहां मार्च 2025 में पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई थी। सियालकोट का महमूना जाया कैंप हिजबुल का एक बड़ा ठिकाना था, जो कठुआ क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों का केंद्र था। पठानकोट हमला भी यहीं से योजनाबद्ध हुआ था। मरकज तैयबा, जो मुरीदके में स्थित है, एक प्रमुख आतंकी ट्रेनिंग सेंटर था, जहां अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी ट्रेनिंग दी गई थी। भावलपुर स्थित मरकज सुभानअल्लाह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था, जहां आतंकी भर्ती किए जाते थे और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी। जैश के बड़े कमांडर यहां आते थे। इस ऑपरेशन में किसी भी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा है और न ही रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया गया है।

पाकिस्तान और PoJK में मौजूद आतंकी कैंप

मिसरी बोले- पहलगाम के अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाना जरूरी था

विक्रम मिसी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “पहलगाम में हुए हमले से आक्रोश है। भारत सरकार ने पाकिस्तान के संबंधों को लेकर कुछ कदम उठाए। यह जरूरी है कि 22 अप्रैल के हमले के अपराधियों और योजनाकारों को न्याय के कठघरे में लाना जरूरी था। वो इनकार करने और आरोप लगाने में ही लिप्त रहे हैं। पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों के बारे में हमें सूचना मिली कि और हमले कर सकते हैं और इन्हें रोकना जरूरी था।”

उन्होंने कहा, “इन्हें रोकने के अधिकार का हमने इस्तेमाल किया है। यह कार्रवाई नपी-तुली और जिम्मेदारीपूर्ण है। आतंकवाद के इन्फ्रास्ट्रक्चर को खत्म करने और आतंकियों को अक्षम बनाने पर केंद्रित है। आतंकवाद के इस निंदनीय कार्य के अपराधियों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता यूएन ने भी कही थी।”


मिसरी बोले- आतंकियों की शरण स्थली बना पाकिस्तान

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस हमले को लेकर कहा है कि 22 अप्रैल 2025 को लश्कर से संबंधित पाकिस्तानी और पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने पहलगाम में भारतीय पर्यटकों पर हमला किया। 25 नागरिकों और एक नेपाली नागरिक को मार डाला है। 26/11 के बाद यह सबसे बड़ी घटना है।

मिसरी ने कहा कि पहलगाम कायरतापूर्ण हमला था और इसमें परिवार के सामने लोगों की हत्या की जाए। लोगों से कहा गया कि वे इस हमले का संदेश पहुंचाएं। ये हमला जम्मू-कश्मीर की अच्छी स्थिति को प्रभावित करने के लिए किया गया था। पिछले साल सवा दो करोड़ से ज्यादा पर्यटक कश्मीर आए थे। हमले का मकसद विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर पिछड़ा बनाए रखा जाए। हमले का यह तरीका जम्मू-कश्मीर और देश में सांप्रदायिक दंगे फैलाने से प्रेरित था। एक समूह ने खुद को TRF कहते हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। इसे यूएन ने प्रतिबंधित किया है और यह लश्कर से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान स्थित समूहों के लिए कवर के तौर पर TRF का इस्तेमाल किया गया। लश्कर जैसे संगठन TRF जैसे संगठन को इस्तेमाल कर रहे हैं। पहलगाम हमले की जांच से पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संपर्क उजागर हुए हैं। TRF के दावे और लश्कर से सोशल मीडिया पोस्ट इसे साबित करती है। हमलावरों की पहचान भी हुई है। इस हमले की रूपरेखा भारत में सीमापार आतंकवाद फैलाने के पाकिस्तान के प्लान की योजना साबित हुई है। पाकिस्तान आतंकवादियों के शरण स्थली के रूप में पहचान बना चुका है।”


 

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