जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पिछले महीने हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए ‘सिंधु जल संधि’ को निलंबित कर दिया। इस निर्णय ने पाकिस्तान को हिला कर रख दिया है। पाकिस्तान अब इस फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार भारत से लगा रहा है। रक्षा विशेषज्ञ और ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) विजय सागर ने इस पूरे घटनाक्रम पर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि भारत की ओर से सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान को गंभीर कृषि संकट का सामना करना पड़ा है। विजय सागर के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत को एक आधिकारिक पत्र लिखकर यह जानकारी दी है कि उनकी 40 प्रतिशत से अधिक फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं।
विजय सागर ने समाचार एजेंसी ‘IANS’ से बात करते हुए बताया कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक बहुपरियोजनात्मक रणनीति तैयार की है, जो अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक तीन स्तरों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने के तुरंत बाद भारत ने अपने बांधों विशेष रूप से बगलिहार और सलाल बांधों से गाद (सिल्ट) निकालने की प्रक्रिया शुरू की। साथ ही, पाकिस्तान में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई जिसके चलते वहां की कई फसलें बर्बाद हो गईं है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने पाकिस्तान को पानी के बहाव से संबंधित महत्वपूर्ण हाइड्रो-लॉजिकल डेटा देना बंद कर दिया है, जो संधि के तहत अब तक दिया जाता था। इसके अलावा, भारत ने सिंधु की ऊपरी धारा से आने वाले पानी को रोककर बांधों में भरना शुरू कर दिया है। इस कारण पाकिस्तान को न केवल कृषि क्षति हुई है, बल्कि ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) सागर आई है, जिससे वहां बिजली की गंभीर किल्लत पैदा हो गई है।
ब्रिगेडियर सागर ने यह भी बताया कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देने का मन बना लिया था। इसके अगले ही दिन, 23 अप्रैल को कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति (CCS) की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला लिया गया। यह निर्णय पाकिस्तान को एक स्पष्ट और कठोर संदेश देने के उद्देश्य से लिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 12 मई को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में यह दो टूक कहा था कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।’ यह बयान स्पष्ट संकेत था कि पाकिस्तान के साथ पुराने नियमों और समझौतों पर अब भारत पुनर्विचार करने के लिए तैयार है।