भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने बुधवार को कहा कि भारत और मॉस्को के बीच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अन्य यूनिट्स की खरीद पर चर्चा जारी है। दोनों देश रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रक्रिया को जारी रखे हुए हैं। अलीपोव ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विभिन्न रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए ‘एस-400’ प्रणाली और संयुक्त रूप से निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों के प्रदर्शन को उम्दा बताया।
बता दें ब्रह्मोस रूस-भारत संयुक्त सहयोग का उत्पाद है। इसके लिए दोनों देशों का संयुक्त उद्यम है जो जो इन हथियारों की डिजाइन और उत्पादन करता है। अब माना जा रहा है कि दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में और अधिक सहयोग बढ़ाने की ओर काम कर रहे हैं।
रूसी राजदूत ब्रह्मोस को सराहा
अलीपोव ने कहा कि जहां तक हमें पता है भारत ने स्पष्ट रूप से लक्ष्य बताए हैं। लक्ष्यों और आतंकवादियों की पहचान करने के बाद कार्रवाई की है। ऑपरेशन के दौरान S-400 का इस्तेमाल किया गया। इसके साथ ही ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग किया गया।
दिल्ली-मास्को के बीच बढ़ेगा सहयोग!
सूत्रों के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में S-400 के योगदान के बाद रणनीतिक योजना और सैन्य तैयारियों को देखते हुए नई दिल्ली जल्द ही और अधिक S-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीद सकती है। इसपर अलीपोव ने भी संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि अन्य विशेष विषय की तरह ही इसपर भी हमारी बात चल रही है। आगे भी हम रक्षा के क्षेत्र में चर्चा करते रहेंगे। अलीपोव ने कहा कि मॉस्को भी मेड इन इंडिया ब्रह्मोस मिसाइलों से संतुष्ट है।
व्यापक रक्षा सहयोग
रक्षा के क्षेत्र में भारत का रूस के बीच व्यापक सहयोग रहा है। यह सहयोग IRIGC-M&MTC द्वारा निर्देशित किया जाता है। इसके अध्यक्ष दोनों देशों के रक्षा मंत्री होते हैं। फिलहाल इसके जरिए कई द्विपक्षीय परियोजनाओं का संचालन और आपूर्ती की जाती है। वहीं कुछ और रक्षा उत्पाद के लिए दोनों देशों के बीच संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल: इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। इसे DRDO और रूस की NPO संयुक्त रूप से बनाती हैं।
AK-203 असॉल्ट राइफल: 2019 में इंडो रशिया प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) संयुक्त उद्यम स्थापित हुआ था। इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश के अमेठी में होता है। ये भारत के आधुनिक छोटे हथियारों का हिस्सा है।
T-90 टैंक: भारत ने रूस के सहयोग से T-90 भीष्म टैंकों का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन शुरू किया है। 2,400 से अधिक T-90 टैंक भारतीय सेना में हैं। 2025 में 1,000 हॉर्सपावर के उन्नत इंजनों के लिए 248 मिलियन डॉलर का अनुबंध और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का समझौता हुआ है।
आगे की योजना क्या है?
भारत अब रक्षा के क्षेत्र में तेजी से उत्पादन को बढ़ाने की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए कई उत्पादों के ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। इसमें वायु रक्षा प्रणाली और रडार पर काम करने की योजना है। माना जा रहा है रूस के सहयोग से ये काम आगे बढ़ेगा और अमेरिका इजरायल से भी बेहतर वायु रक्षा प्रणाली भारत के पास होगी।
- SU-30: भारत में HAL लाइसेंस प्राप्त कर इसका उत्पादन करता है। भारत इन जेट्स को स्वदेशी ‘उत्तम’ AESA रडार से लैस करने की योजना बना रहा है
- S-400 वायु रक्षा प्रणाली: भारत ने 2018 में रूस से S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली खरीदी थी। अब इसके संयुक्त उत्पादन की भूमि तलाशी जा रही है।
- कामोव Ka-226T हेलीकॉप्टर: 60 हेलीकॉप्टर रूस में और 140 भारत में बनाने की बात हुई है। यह मेक इन इंडिया होगा।
भारतीय सेना ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान की तरफ से हुए हमले की जवाबी कार्रवाई में ‘एस-400’ वायु रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल किया था। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और S-400 वायु रक्षा प्रणाली का उपयोग किया गया था। इसके बाद से चर्चा चल रही है कि भारत और रूस दोनों रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए बात कर रहे हैं। संभव है कि नए राडार और वायुरक्षा प्रणाली पर दोनों देशों के बीच बात बन जाए। अगर ऐसे होता है तो ये दुनिया के कई देशों से ज्यादा मजबूत हथियार होंगे।