सैफ अली खान की जमीनें अब ‘शत्रु संपत्ति’, जानिए इतिहास और पाकिस्तान कनेक्शन?

सैफ अली खान और उनके परिवार की 3 संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है। आइये जानें आजादी के समय से क्या है इसका इतिहास और पाकिस्तान कनेक्शन?

Saif Ali Khan Property

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बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह उनकी फिल्में नहीं, बल्कि उनकी विरासती संपत्तियां हैं। भोपाल, सीहोर और रायसेन में फैली उनकी करोड़ों की संपत्तियों को गृह मंत्रालय ने ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित किया है। यह खुलासा 8 मई 2025 को शत्रु संपत्ति अभिरक्षक (CEPI) के पत्र से हुआ। इसमें बताया गया कि भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खान की छोटी बेगम आफताब और बड़ी बेटी आबिदा पाकिस्तान की नागरिक थीं। इसलिए उनकी हिस्सेदारी वाली संपत्तियां अब सरकार की निगरानी में हैं। आइये जानें आखिर क्या है ये पूरा मामला?

आजादी से शुरू होता है मामला

सैफ अली खान के परनाना भोपाल रियासत के अंतिम शासक नवाब हमीदुल्ला खान थे। हमीदुल्लाह, मोहम्‍मद अली जिन्ना के काफी करीबी थे। वो आखिरी समय तक कोशिश करते रहे की भोपाल आजाद रहे या पाकिस्तान में शामिल हो जाए। हालांकि, लैंडलॉक होने के कारण ये संभव नहीं हो पाया। आखिरकार भोपाल का भारत में विलय हो गया। साल 1960 में नवाब हमीदुल्लाह खान का निधन हो गया। इससे पहले उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गईं। उनकी छोटी बेगम आफताब भी पाकिस्तान चली गईं। वहीं छोटी बेटी राबिया सुल्तान भी अपने ससुराल चली गई। ऐसे में बची साजिदा बेगम संपत्ति की देखरेख करने लगीं।

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नवाब हमीदुल्लाह खान ने अपनी संपत्तियों का कोई स्पष्ट वसीयतनामा नहीं बनाया था। उनके निधन के बाद, भोपाल रियासत के उत्तराधिकार के नियमों के अनुसार, बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को संपत्ति का अधिकार मिलना चाहिए था। लेकिन 1950 में आबिदा के पाकिस्तान चले जाने के बाद साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित किया गया। साजिदा सुल्तान ने पटौदी रियासत के नवाब इफ्तिखार अली खान से शादी कर ली। इस तरह से साजिदा और इफ्तिखार अली के बेटे मंसूर अली खान पटौदी भोपाल की संपत्तियों के बारिश बन गए। उनके बाद ये सैफअली खान और उनके परिवार के हिस्से आ गया।

1968 के अधिनियम से बदली तस्वीर

साल 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम आया। इसके आधार पर 1947 विभाजन या भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965, 1971) के बाद पाकिस्तान की नागरिकता लेने वालों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। इसका प्रबंधन शत्रु संपत्ति अभिरक्षक (CEPI) के पास होता है। सरकार इन संपत्तियों को जब्त कर सकती है। इस अधिनियम का उद्देश्य उन संपत्तियों को सुरक्षित करना था जो शत्रु देशों के नागरिकों के पास थीं। 2017 के संशोधन ने इसे और सख्त कर दिया गया था। इसके आधार पर भारतीय नागरिक वारिसों को भी कोई अधिकार या मुआवजा नहीं मिल सकता। CEPI को इन संपत्तियों को बेचने, लीज पर देने या उपयोग करने का पूरा हक है।

पहले बार सुर्खियों में आया मामला

पहली बार ये मामला तब सुर्खियों में आया जब समाजसेवी अमिताभ अग्निहोत्री ने गृह मंत्रालय में शिकायत दर्ज की। उनकी मांग है थी कि नवाब परिवार 1949 के भोपाल मर्जर एग्रीमेंट की मूल प्रति पेश करे। अगर यह दस्तावेज नहीं मिला तो इन संपत्तियों को राजसात किया जाए। हाईकोर्ट में माला श्रीवास्तव की एक रिपोर्ट ने इस मामले को और गंभीर बना दिया। इसके मुताबिक, भोपाल और आसपास के इलाकों में नवाब परिवार के नाम 550 एकड़ जमीन है। खास बात यह है कि यह जमीन व्यक्तिगत संपत्ति नहीं, बल्कि रियासत की संपत्ति मानी जाती है। इसके बाद सरकार ने इन्हें अपने कब्जे में लेने की शुरुआत की।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार का फैसला

साजिदा सुल्तान और उनके वंशजों (सैफ, शर्मिला टैगोर, सोहा अली खान आदि) ने इन संपत्तियों पर अपना दावा पेश किया। उन्होंने शत्रु संपत्ति अधिनियम के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की और स्थगन हासिल कर किया। इस दौरान संपत्तियों को जब्त नहीं किया गया। हालांकि, जनवरी 2025 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2015 के स्थगन आदेश को हटा दिया। इसके बाद केंद्र सरकार को इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति के तहत जब्त करने की अनुमति मिल गई।

अब गृह मंत्रालय के शत्रु संपत्ति अभिरक्षक (CEPI) ने 8 मई 2025 को एक पत्र जारी कर पुष्टि की कि भोपाल, सीहोर और रायसेन में सैफ की तीन प्रमुख संपत्तियां शत्रु संपत्ति के दायरे में हैं। सैफ अली खान की इन संपत्तियों ने एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। यह मामला न केवल नवाब परिवार की विरासत को प्रभावित करेगा, बल्कि शत्रु संपत्ति से जुड़े तमाम मामलों में एक नजीर भी बन सकता है। सरकार का रुख साफ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून से ऊपर कुछ नहीं।

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