पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और गहरा हो गया है। पाकिस्तान इस डर में जी रहा है कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा जवाब ज़रूर देगा, और वो भी करारा। इसी डर की वजह से दोनों देशों की सीमाओं पर सैन्य गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक भारतीय सैनिक पूरी तरह सतर्क हैं। राजस्थान का जैसलमेर भी उन्हीं सीमावर्ती इलाकों में से एक है, जो पाकिस्तान से लगा हुआ है। यही वो धरती है जहां 1965 और 1971 में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। लेकिन इन युद्धों की सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक गाथा भी है ऐसी गाथा जिसे जानकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
1965 के युद्ध के दौरान, जब पाकिस्तान ने जैसलमेर के पास के इलाकों पर हमला किया, तब उसकी सेना ने एक मंदिर को निशाना बनाते हुए 3000 से अधिक बम दागे। यह मंदिर था तनोट माता का मंदिर। चमत्कार की बात यह है कि एक भी बम फटा नहीं। हजारों बम गिराए गए, पर न मंदिर को नुकसान पहुँचा, न ही आसपास तैनात भारतीय सैनिकों को। इस घटना ने दुश्मन को भी हैरान कर दिया। युद्ध खत्म होने के बाद खुद पाकिस्तान सेना का एक ब्रिगेडियर माता के दर्शन करने आया एक मां के चमत्कार के आगे हथियार भी नतमस्तक हो गए।
तभी से तनोट माता को लोग कई नामों से पुकारने लगे बम वाली माता, फौजियों की देवी, युद्ध वाली माता। यह मंदिर आज भी सीमा के पास भारतीय सैनिकों की आस्था का केंद्र है, जहां वे युद्ध में जाने से पहले सिर झुकाते हैं और लौटकर मां को धन्यवाद देने आते हैं।
आज भी मंदिर में सुरक्षित हैं बम
1965 का वो युद्ध सिर्फ गोलियों और टैंकों का नहीं था, बल्कि आस्था और आतंक के बीच की टक्कर थी। जैसलमेर टूरिज़्म की वेबसाइट पर दर्ज लोक मान्यता के अनुसार, जब पाकिस्तानी सेना ने तनोट माता मंदिर को निशाना बनाकर 3000 से भी ज्यादा बम गिराए, तो पूरा इलाका कांप उठा था। लेकिन मां तनोट की कृपा ऐसी बरसी कि एक भी बम फटा नहीं। न मंदिर को खरोंच आई, न गांव वालों को नुकसान पहुँचा मानो मां ने अपनी छाया से पूरे क्षेत्र को ढक लिया हो।
आज भी वो सारे बम, जो तब गिराए गए लेकिन फटे नहीं, तनोट माता मंदिर परिसर में सुरक्षित रखे गए हैं। ये बम आज भी गवाही देते हैं उस चमत्कार की, जो विज्ञान को चुनौती देता है और श्रद्धा को मजबूत बनाता है। देश-विदेश से लाखों लोग हर साल इस मंदिर में सिर्फ दर्शन करने नहीं, बल्कि मां के उस चमत्कार को अपनी आंखों से देखने आते हैं। यही वजह है कि लोग आज भी उन्हें बम वाली माता, युद्ध वाली देवी, और फौजियों की मां कहकर पुकारते हैं। 1965 के युद्ध में जब हमारे सैनिक सीमा पर डटे थे, तब ऐसा माना जाता है कि तनोट माता ने स्वयं उनकी रक्षा की थी। यह मंदिर आज भी देशभक्ति, आस्था और चमत्कार का जीवंत प्रतीक है।