ऑपरेशन सिंदूर से ड्रैगन की खुली पोल: पाकिस्तान की हार में चीन को क्यों हो रहा है दर्द?

पहलगाम हमले के बाद आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान को घुटनों पर आना पड़ा। इससे सबसे ज्यादा झटका चीन को लगा है। आइये जानें क्यों और कैसे?

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ऑपरेशन सिंदूर से ड्रैगन की खुली पोल

‘हाथी के दांत दिखाने के अलग और चबाने के अलग होते हैं’। भारत और पाकिस्तान के मामले में यही हाल चीन का होता है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ा और अब वो थम भी गया। हालांकि, इस पूरे दौर में कोई बेनकाब हुआ तो वो चीन है। ऑपरेशन सिंदूर के गहरे प्रहार के कारण पाकिस्तान को घुटनों पर आना पड़ा। इससे सबसे ज्यादा दर्द हमारे एक अन्य पड़ोसी चीन को हो रहा है। क्योंकि, हमारा ये ऑपरेशन सिंदूर महज आतंक के खिलाफ जंग नहीं था। ये चीनी  हथियारों का भी पोस्टमार्टम भी था। इन्हीं हथियारों के दम पर पाकिस्तान अक्सर गीदड़भभकी देता रहता था। भारतीय सेना ने आतंकवादियों को औकात दिखाते हुए चीन के हथियारों को भी कचरा कर दिया है।

बीजिंग से लेकर इस्लामाबाद तक यह खबर फैली थी कि पाकिस्तान को दिए गए चीनी हथियार भारत को रोक लेंगे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नजरें इस ऑपरेशन पर टिकी थीं। क्योंकि वह यह परखना चाहते थे कि उनके हथियार असल जंग में कितने कारगर हैं। लेकिन भारतीय सेना ने न सिर्फ आतंकियों को सबक सिखाया बल्कि चीन के हथियारों की पोल भी खोल दी। ऑपरेशन सिंदूर ने चीन के खोखले दावों और हथियारों की नुमाइश का भंडाफोड़ दिया है। इसी कारण पाकिस्तान के घुटनों में आने से चीन दुख के घोर घने बादलों में चला गया है।

खुली मेक इन चाइना हथियारों की पोल

ऑपरेशन सिंदूर का निशाना PoK और पाकिस्तान के आतंकी अड्डे थे। हालांकि, इस पर बड़ी बारीकी से बीजिंग की नजरें टिकी हुई थीं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी सेना पल-पल इस ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे। उनका छिपा हुआ मकसद पाकिस्तान को दिए गए उनके हथियारों का जायजा लेना था। चीन, पाकिस्तान और उसकी सेना का इस्तेमाल कर एक तरह से अपने हथियारों का ‘लाइव वॉर-सिमुलेशन’ चला रहा था। लेकिन, पाकिस्तान के मेक इन चाइना हथियारों की पोल खुल गई।

भारत ने दिखाया चाइना का फ्लॉप शो

पाकिस्तान ने इस बार चीन से मिले आधुनिक हथियारों को भारत के खिलाफ झोंक दिया। इनमें ड्रोन, HQ-9P लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस सिस्टम, JF-17 फाइटर जेट और PL-15E मिसाइलें शामिल थीं। पाकिस्तान को गुमान था कि ये भारतीय सेना के विजय रथ को रोक देंगे। हालांकि, हुआ ठीक इसके उलट। भारतीय सेना के आगे ये सारे हथियार सुतली बम साबित हुए। PL-15 मिसाइल को तो भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पलक झपकते ही आसमान में ढेर कर दिया। पंजाब के होशियारपुर में गिरा इसका मलवा चीन के फ्लॉप शो को दिखाता है।

सबसे बुरा हाल तो उस HQ-9P एयर डिफेंस सिस्टम का रहा। इसे पाकिस्तान ने चीन से भारी कीमत पर खरीदा और लाहौर जैसे बड़े शहरों की सुरक्षा के लिए तैनात किया था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की मिसाइलों में से एक को भी यह सुरक्षा कवच रोक नहीं पाया। ये सिस्टम या तो चला नहीं या फिर मिसफायर करता रहा। वहीं पाकिस्तान के सैन्य ताकत को आसमान की ऊंचाई का सपना दिखाने वाले फाइटर जेट JF-17 भारतीय खेतों में मलबे के ढेर में तब्दील हो गए। जब पाकिस्तान ने PL-15 मिसाइलों के साथ इसका उपयोग किया तो चीनी कॉम्बो फुस्स हो गया।

ताइवान के खिलाफ थी तैयारी

कहा तो यहां तक जाता है कि चीन ऑपरेशन सिंदूर को ताइवान और अमेरिका के संभावित युद्ध की तैयारी के तौर पर देख रहा था। उसे उम्मीद थी कि पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर वह अपने हथियारों की ताकत का प्रदर्शन करेगा। हालांकि, भारतीय सेना ने वह कंधा ही तोड़ दिया। ड्रोन हों या फाइटर जेट, सब कुछ भारत की उन्नत तकनीक और फौज के सामने बौने साबित हुए।

4 साल में 61% बढ़ाया रक्षा सौदा

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान ने हथियार खरीद को 61% बढ़ाया है। इसमें से 81% हिस्सा चीन से आया। यह आंकड़ा बताता है कि पाकिस्तान अपनी रक्षा जरूरतों के लिए पूरी तरह से बीजिंग पर निर्भर हो गया है। चीन ने इस दौरान पाकिस्तान को टाइप 054A फ्रिगेट्स, लंबी दूरी के टोही ड्रोन, उन्नत मिसाइल सिस्टम दिए हैं।

हथियार आपूर्ति का हिस्सा

पाकिस्तान चीन के हथियार सौदे में सबसे ज्यादा चर्चा हंगोर-क्लास पनडुब्बी की रही। 8 पनडुब्बियां इसे 5 बिलियन डॉलर में खरीदने की बात हुई है। इसमें से चार की डिलीवरी हो गई है। अभी ये कराची शिपयार्ड में खड़ी है। हालांकि, 4 पनडुब्बियों का ऑर्डर अभी पूरा नहीं हुआ है। पहली पनडुब्बी अप्रैल 2024 में पाकिस्तान को मिली थी। बाकी की डिलीवरी 2028 तक पूरी होगी।

हथियारों को लेकर है पुराना याराना

चीन और पाकिस्तान के बीच हथियारों का व्यापार लंबे समय से चला आ रहा है। यह दोनों देशों के रणनीतिक गठजोड़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, दक्षिण एशिया का भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहे हैं। इस बदलाव के केंद्र में है चीन और पाकिस्तान का गहराता सैन्य सहयोग। पिछले पांच सालों में चीन ने पाकिस्तान को भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति की है। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान को तीन से करीब 80 फीसदी सैन्य हथियार और उपकरण मिलते हैं।

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जब दुश्मन की जोड़ी बन जाए तो समझ लो साजिश बड़ी है। यह कहावत आजकल चीन और पाकिस्तान की जोड़ी पर एकदम फिट बैठती है। एक तरफ पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री बनकर भारत के खिलाफ लड़ता रहता है। दूसरी तरफ चीन हथियारों का डीलर बनकर उसके पीछे खड़ा रहता है। दोनों ने मिलकर भारत को घेरने की साजिश रची। हालांकि, इस बार भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ आतंक का खात्मा किया, बल्कि इन दोनों के हथियारों की हेकड़ी भी निकाल दी। यही कारण है कि पाकिस्तान के घुटनों में आने के बाद ड्रैगन का दम निकल रहा है।

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