भारत की रक्षा परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी चिंता का विषय बनी हुई है। वो भी ऐसे वक्त में जब देश तीन तरफ से किसी न किसी तरह के तनाव का सामना कर रहा है। कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के साथ जंग जैसे हालात बन गए थे। हालांकि, हमारी रक्षा प्रणाली और हथियार इतने उन्नत हैं कि हमने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया। इसके बाद भी रक्षा उत्पादों की देरी एक बड़ा सवाल है। इसे लेकर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने परियोजनाओं में देरी के कारण बताएं हैं। इनपर काम किया जाए तो इस समस्या का अंत हो सकता है।
एयरचीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह सीआईआई बिजनेस समिट में पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में एक भी प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हुआ है। समय सीमा एक बड़ा मुद्दा है। इस कारण ऐसी चीजें होती हैं। उन्होंने कहा कि हमें इन पर गौर करना होगा। सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि हम ऐसा वादा क्यों करें जिसे पूरा नहीं किया जा सकता?
किन प्रोजेक्ट में हुई देरी?
- तेजस एमके-1ए: यह प्रोजेक्ट 14 महीने से अधिक लेट है। मार्च 2024 में होने वाली डिलीवरी अभी तक नहीं हुई। ऐसा GE F404 इंजनों की आपूर्ति न होने के कारण हुआ है।
- तेजस एमके-2: यह प्रारंभिक डिजाइन और विकास चरण में है। इसके प्रोटोटाइप भी तैयार नहीं है। इसका कारण स्पष्ट समय-सीमा नहीं होना है। इस कारण इसकी गति धीमी है।
- AMCA स्टील्थ जेट: पांचवीं पीढ़ी के AMCA जेट का प्रोटोटाइप निर्माण नहीं हो पाया है। इसका कारण तकनीकी विकास और इंजन आपूर्ति में देरी है। यह शुरुआती योजना से काफी पीछे है।
- अन्य परियोजनाएं: वायुसेना प्रमुख ने अन्य स्वदेशी और आयातित रक्षा परियोजनाओं में भी देरी की बात कही है। अक्सर अनुबंध स्पष्ट समय से पूरे नहीं हो पाते हैं। इससे समग्र सैन्य तैयारी पर असर पड़ रहा है।
प्रोजेक्ट्स की देरी की वजहें
- सप्लाई चेन: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं, विशेषकर इंजन जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों की उपलब्धता
- तकनीकी बाधाएं: HAL जैसी संस्थाओं के पास अत्याधुनिक तकनीक के अभाव और गुणवत्ता नियंत्रण की समस्याएं
- मानव संसाधन: टॉप टैलेंट भारत छोड़कर बेहतर अवसरों की तलाश में विदेश जा रहे हैं
आखिर उपाय क्या है?
तेजस MK-1A की डिलीवरी में बाधाओं को सुलझाने के लिए रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। HAL के चेयरमैन डीके सुनील ने माना कि देरी हुई है, लेकिन इसका कारण इंडस्ट्री की लापरवाही नहीं बल्कि तकनीकी और सप्लाई चेन के मसले हैं। वहीं वायुसेना प्रमुख ने सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग के बीच विश्वास बढ़ाने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे के प्रति खुला और स्पष्ट होना चाहिए ताकि यह रिश्ता कहीं भी टूटे नहीं। कुल मिलाकर सप्लाई चेन, तकनीकी बाधाओं और मानव संसाधन की समस्या को दूर करने से ही प्रोजेक्ट की देरी को रोका जा सकता है।