सहारनपुर। देश के मुस्लिम समाज में एक बार फिर शरीयत के तहत सौंदर्य के सामान के इस्तेमाल को लेकर बहस तेज़ हो गई है। इस बार बहस की वजह बने हैं जमीयत दवातुल मुस्लिमीन के संरक्षक और देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा, जिन्होंने एक ताज़ा वीडियो संदेश जारी करते हुए मुस्लिम युवाओं से सजावट के बढ़ते दिखावे को लेकर सतर्कता बरतने की अपील की है। गोरा ने खासतौर पर विग या नकली दाढ़ी लगाकर नमाज़ पढ़ने वालों के लिए एक चेतावनी जारी की है। मौलाना गोरा का कहना है कि इन दिनों मुस्लिम समाज में विग पहनने और नकली दाढ़ी लगाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जो शरीयत के अनुसार उचित नहीं है। उन्होंने दारुल उलूम देवबंद के पुराने फतवे का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति नकली बाल (विग) या दाढ़ी लगाकर नमाज़ पढ़ता है, तो उसकी नमाज़ अधूरी मानी जाती है।
विग लगाना क्यों है हराम?
कारी इसहाक गोरा का कहना है कि सिर, दाढ़ी या मूंछों पर बनावटी बाल (विग) लगे होने पर वजू और गुसल करना नाजायज है। उन्होंने आगे बताया कि विग या नकली दाढ़ी लगाने से न केवल व्यक्ति की प्रकृति में बनावटीपन आ जाता है बल्कि इससे वुज़ू और गुस्ल की शरई शर्तें भी पूरी नहीं हो पाती हैं। मौलाना ने स्पष्ट किया कि इस्लाम में वुज़ू यानी नमाज़ से पहले हाथ, मुंह, सिर और पांव धोने और गुस्ल यानी पूरे शरीर को पाक करने की बड़ी अहमियत है। जब सिर पर विग लगी होती है, तो पानी असली बालों या त्वचा तक नहीं पहुंचता, जिससे शरीर पूरी तरह पाक नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा है कि मुसलमानों को दिखावे और बनावट के बजाय सादगी और ईमानदारी को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि साल 2016 में दारुल उलूम देवबंद ने एक फतवा जारी किया था और उसमें नकली बाल को नाजायज बताया गया था।
हेयर ट्रांसप्लांट पर क्या बोले गोरा?
हेयर ट्रांसप्लांट को लेकर भी गोरा ने अपनी राय रखी है। उनका मानना है कि इस्लाम में विग से उलट हेयर ट्रांसप्लांट जायज है। उन्होंने कहा कि हेयर ट्रांसप्लांट को शरीयत के खिलाफ नहीं माना गया। हालांकि, वो वह किसी धोखे या गैर-इस्लामी तरीके से ना किया गया हो। उन्होंने कहना है कि विग को एक तरह का छल है और इसलिए यह शरीयत के खिलाफ है। मौलाना गोरा का कहना है कि आज के दौर में मुसलमानों, खासकर युवाओं में नई-नई आदतें तेजी से पनप रही हैं। ऐसे हालात में दीन और शरीयत की बुनियादी बातों को समझना और उन पर अमल करना पहले से कहीं ज़्यादा अहम हो गया है।