भारत के खिलाफ पाकिस्तान की मदद क्यों कर रहा है तुर्की?

Turkey Pakistan Relation: भारत के खिलाफ तुर्की पाकिस्तान की मदद कर रहा है। जानिए इसके रणनीतिक और ऐतिहासिक कारण

Turkey helping Pakistan

Turkey helping Pakistan

Turkey Pakistan Relation: गुरुवार-शुक्रवार की रात हमारे सीमा पर 36 ठिकानों पर पाकिस्तान ने ड्रोन हमला करने की हिमाकत की। बताया जा रहा है इसके लिए 300 से अधिक ड्रोन भेजे गए थे। इसमें सैन्य अड्डों से लेकर आम लोगों की बस्ती, मंदिर और गुरुद्वारों को निशाना बनाने की कोशिश की गई। भारतीय बलों की सतर्कता से इन ड्रोन से न तो जमीं कांपी और न ही आसमान गरजा। हालांकि, इससे एक बात साफ हो गई कि आखिर पाकिस्तान का मददगार कौन है?

9 मई को विदेश मंत्रालय की PC में बताया गया कि पाकिस्तान ने असिसगार्ड सोंगर ड्रोन से हमला किया है और बनाने वाला देश तुर्की है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि आखिर तुर्की भारत के खिलाफ पाकिस्तान की इतनी मदद क्यों कर रहा है? आइये जानें तुर्की और पाकिस्तान का कनेक्शन कितना गहरा है।

अचानक बढ़ी पाकिस्तान को सप्लाई

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान को सप्लाई बढ़ गई है। बड़ा इत्तेफाक है कि 2 मई को एक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत कराची पोर्ट पर आराम फरमा रहा है। इससे पहले 27 अप्रैल को एक C-130 हरक्यूलिस विमान कराची हवाई अड्डे पर उतर जाता है। हालांकि, वो कहता है कि यह सामान्य गतिविधि थी। इसमें कोई हरक्यूलिस में हथियार नहीं थे। भले वो कितनी भी सफाई दे लेकिन उनके याराने के कारण ये बात छिपी नहीं है कि वो पाकिस्तान को क्या दे रहे हैं?

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इस्लामी पहचान साझेदारी का आधार

इस्लामी पहचान लंबे समय से तुर्की और पाकिस्तान के बीच एक मजबूत साझेदारी का आधार रही है। शीत युद्ध के दौरान तुर्की और पाकिस्तान CENTO और RCD जैसे संगठनों में साथ थे। दोनों देशों ने लगभग हमेशा संकट के समय में एक-दूसरे का समर्थन किया है।

आखिर क्यों कर रहा है पाकिस्तान का समर्थन?

एर्दोगन अक्सर खुद को मुस्लिम दुनिया के नेता के रूप में पेश करते हैं। और पाकिस्तान इस दृष्टिकोण में पूरी तरह फिट बैठता है। दोनों देश सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक समानताएं साझा करते हैं। खासकर कश्मीर पर भारत के रुख के प्रति उनकी साझा शत्रुता और इजरायल जैसे क्षेत्रीय शक्तियों के खिलाफ है। तुर्की ने खुले तौर पर कश्मीर पर पाकिस्तान के नैरेटिव का समर्थन किया है। वो वैश्विक मंचों पर इस्लामाबाद के सांप्रदायिक और अलगाववादी बयानबाजी को दोहराया है। इसके साथ ही इससे पाकिस्तान को सैन्य मदद मिलती है।

सऊदी, UAE से टक्कर

भारत खाड़ी देशों सऊदी अरब और UAE के साथ रणनीतिक साझेदारी की ऊंचाई छू रहा है। वहीं तुर्की अब भी पाकिस्तान के कंधे से बंदूक चला रहा है। ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना भी इसने की थी। दोनों देशों की नजदीकियां कोई नई बात नहीं। इस्लामी एकजुटता की आड़ में तुर्की-पाकिस्तान की दोस्ती दशकों पुरानी है।

पाकिस्तान के तुर्की में क्या हित हैं?

इस याराने के खिलाफ भारत

कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन एक पुरानी परेशानी रही है। भारत ने पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़ का मुकाबला करने के लिए अपनी भू-राजनीतिक साझेदारियों को समायोजित किया है। इसका नतीजा ये हुआ है कि ग्रीस ने कश्मीर पर भारत के रुख का समर्थन किया है। भारत आर्मेनिया के सबसे मजबूत सैन्य समर्थकों में से एक के रूप में उभरा है। इससे हथियार निर्यात बढ़ने के साथ ही भारत को वैश्विक मंच पर समर्थन मिला है।

भारतीय शहरों पर हालिया ड्रोन हमलों के मद्देनजर, पाकिस्तान के साथ तुर्की की बढ़ती सैन्य और वैचारिक निकटता गंभीर चिंता का विषय है। भारत को अंकारा के प्रति अपने राजनयिक दृष्टिकोण को फिर से विचार करना होगा। यदि वैश्विक शक्तियां वास्तव में आतंकवाद से लड़ने, नागरिक जीवन की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने में विश्वास करती हैं, तो उन्हें आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले राष्ट्र को सैन्य समर्थन देने के लिए तुर्की को जवाबदेह ठहराना होगा और देखना होगा कि उसकी मदद से पाकिस्तान क्या गुल खिला रहा है।

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