‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर देश के भीतर से वार: नौसेना कर्मी पाकिस्तान की ‘प्रिया’ के प्यार में बना गद्दार!

जब पूरा देश शोक और गुस्से में था तब उन्हीं के बीच का एक देशद्रोही, उस ऑपरेशन की जानकारियां दुश्मन को बेच रहा था

विशाल यादव ने पाकिस्तान को 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी दी

विशाल यादव ने पाकिस्तान को 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी दी

नई दिल्ली से आई एक खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। भारतीय नौसेना में बतौर क्लर्क तैनात विशाल यादव को देश की सबसे संवेदनशील सैन्य जानकारियां लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कहा जा रहा है कि वह एक पाकिस्तानी महिला एजेंट के हनी ट्रैप में फंस गया था। महीनों की निगरानी और डिजिटल गतिविधियों पर पैनी नज़र रखने के बाद राजस्थान पुलिस की खुफिया शाखा ने विशाल की गिरफ्तारी की है। जो बात इसे और भी पीड़ादायक बनाती है, वह यह है कि ये लीक उस वक्त में हुआ जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए निर्मम आतंकी हमले का जवाब देने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया था। यानी जब पूरा देश शोक और गुस्से में था तब उन्हीं के बीच का एक देशद्रोही, उस ऑपरेशन की जानकारियां दुश्मन को बेच रहा था।

सोशल मीडिया बना जासूसी का हथियार

विशाल यादव एक सोचे-समझे हनी ट्रैप का शिकार बना था। ‘प्रिया शर्मा’ नाम से बनाई गई एक सोशल मीडिया प्रोफाइल से उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी, लेकिन असल में इस प्रोफाइल के पीछे एक महिला एजेंट काम कर रही थी। सोशल मीडिया पर बातचीत की शुरुआत साधारण दोस्ती से हुई लेकिन जल्द ही यह भावनात्मक नज़दीकियों में बदल गई। धीरे-धीरे उस एजेंट ने यादव का भरोसा जीत लिया और उससे बेहद संवेदनशील सैन्य जानकारियां उगलवाना शुरू कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, विशाल यादव ने ‘प्रिया शर्मा’ के इशारे पर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी अत्यंत गोपनीय फाइलें और दस्तावेज़ पाकिस्तानी एजेंट तक पहुंचाए। इन संवेदनशील जानकारियों के बदले में उसे पैसे के साथ-साथ USDT जैसी क्रिप्टोकरेंसी में भी भुगतान किया गया। इस खुलासे ने न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के गुप्त और खतरनाक इस्तेमाल को लेकर नई चिंताओं को भी हवा दी है।

गेमिंग की लत ने विशाल यादव को गर्त में धकेल दिया

जांच में यह चौंकाने वाला पहलू भी सामने आया है कि विशाल यादव को ऑनलाइन गेमिंग की लत थी और वह इस लत में डूबे-डूबे वह भारी कर्ज में फंस चुका था। लगातार बढ़ते आर्थिक तनाव ने उसे इस कदर कमजोर कर दिया कि जब पैसे का लालच सामने आया, तो वह देश की रक्षा से बड़ा सौदा कर बैठा। यही कमजोरी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने भांप ली और यादव उनके जाल में फंसता चला गया।

राजस्थान पुलिस के आईजी विष्णुकांत गुप्ता ने कहा, “हम पहले से ही कई ऐसे संदिग्ध लोगों की निगरानी कर रहे थे, जिनके विदेशी नेटवर्क से जुड़े होने की आशंका थी। यादव की सोशल मीडिया गतिविधियों और उसके बैंकिंग व्यवहार ने हमें सावधान कर दिया। उसकी प्रोफाइल में जो संकेत मिले, उसी आधार पर कार्रवाई की गई है।”

पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे कई मामले

विशाल यादव का मामला कोई अकेला या नया वाकया नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं, जहां भारतीय सुरक्षाबलों के जवान सोशल मीडिया के ज़रिए हनी ट्रैप में फंसकर देश की रक्षा से जुड़ी अहम जानकारियां लीक करते पकड़े गए हैं।

इन मामलों की एक खतरनाक समानता है- सोशल मीडिया पर बनी ‘नकली नज़दीकियां’, भावनात्मक दोहन और आर्थिक लालच। ये घटनाएं बार-बार ये चेतावनी देती रही हैं कि भारत के सुरक्षा तंत्र को डिजिटल मोर्चे पर भी उतनी ही मजबूती से चौकस रहने की ज़रूरत है, जितनी कि सीमाओं पर

क्या है आगे की राह?

विशाल यादव की गिरफ्तारी महज़ एक जासूसी केस नहीं बल्कि भारत की सैन्य रणनीति पर सीधा हमला है। उसने जिन जानकारियों को लीक किया, वे ऑपरेशन सिंदूर जैसे अत्यंत संवेदनशील सैन्य अभियान से जुड़ी थीं। इस डेटा के दुरुपयोग से न केवल ऑपरेशन की रणनीति उजागर हो सकती थी बल्कि सैनिकों की जान भी खतरे में पड़ सकती थी। फिलहाल यादव को जयपुर के केंद्रीय पूछताछ केंद्र में रखा गया है, जहां देश की खुफिया एजेंसियां उससे लगातार पूछताछ कर रही हैं। वे यह जानने की कोशिश में हैं कि क्या यह गद्दारी का सिलसिला सिर्फ उसी तक सीमित था, या उसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क सक्रिय है। इसके साथ ही, एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि यादव को और किन अभियानों, दस्तावेजों या रक्षा तंत्र से जुड़ी सूचनाओं तक पहुंच हासिल थी

अगर अदालत में यादव पर लगे आरोप साबित हो जाते हैं, तो उसे भारत के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत 14 साल तक की कठोर सज़ा हो सकती है। साथ ही, यह मामला गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम – UAPA के दायरे में भी आ सकता है, जिसमें देशद्रोह और आतंकवाद से जुड़े मामलों में बेहद सख्त प्रावधान हैं।

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