बिहार बनेगा मोबाइल फोन से वोटिंग की सुविधा देने वाला देश का पहला राज्य

सीनियर सिटीजन, प्रवासी मजदूर और गर्भवती महिलाओं को घर बैठे वोटिंग की सुविधा

मोबाइल फोन से वोटिंग

बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को ऐतिहासिक घोषणा की कि राज्य 29 जून को पटना, रोहतास और पूर्वी चंपारण में होने वाले नगरपालिका परिषद चुनाव से मोबाइल ऐप के जरिए वोटिंग की सुविधा प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने बताया कि यह पहल उन मतदाताओं के लिए की गई है जो मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सकते। इस डिजिटल सिस्टम में ब्लॉकचेन, फेशियल रिकग्निशन, और ऑडिट ट्रेल्स जैसी उन्नत तकनीक शामिल है, जिससे यह टैम्पर-प्रूफ बनाया गया है। फिलहाल यह सुविधा कुछ स्थानीय निकायों तक सीमित है, लेकिन अगर यह सफल रही, तो भविष्य में इसे विधानसभा चुनावों में भी लागू किया जा सकता है। इस प्रयोग का परिणाम अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल साबित हो सकता है।

 पहल की शुरुआत: मोबाइल वोटिंग की इबारत

मोबाइल ऐप के माध्यम से घर बैठकर वोट देने की परंपरा सालों से चर्चा में रही है, खासकर NRI और माइग्रेंट कार्यकर्ताओं के लिए। लेकिन बिहार पहला राज्य है जिसने इसे स्थानीय चुनाव तक लागू किया है। इस पहल की तैयारियाँ महीनों पहले शुरू हुईं, जब बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने C‑DAC के साथ मिलकर एक सुरक्षित मोबाइल मतदान प्लेटफ़ॉर्म डिजाइन किया। 10 जून से 22 जून तक मतदाताओं को ऐप समझाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया। ऐप का नाम e‑SECBHR रखा गया, जो विशेष रूप से Android फ़ोन के लिए तैयार किया गया है और इसमें फोन नंबर को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा जा सकता है।

 कौन कर सकता है मोबाइल से वोट?

इस सुविधा का लक्ष्य उन लोगों को सशक्त बनाना है जो मतदान केंद्र तक नहीं जा सकते, जैसे कि:

अब तक लगभग 10,000 मतदाताओं ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है, और 50,000 से अधिक भविष्य में जुड़ने की उम्मीद है। जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, उनके लिए आयोग ने वेबसाइट के जरिए भी ई‑वोटिंग की व्यवस्था की है। हर मोबाइल नंबर पर अधिकतम दो पंजीकृत मतदाता को ही अनुमति दी गई है, तथा हर वोटर का मतदाता पहचान पत्र सत्यापन के बाद ही वोट दर्ज किया जाएगा।

टैम्पर‑प्रूफ की गारंटी

मतदाता धोखाधड़ी की आशंकाओं को दूर करने के लिए आयोग ने इस प्रणाली को मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ तैयार किया है:

आयुक्त प्रसाद कहते हैं: इस सिस्टम को कई स्तर की सत्यापन तकनीकों से फाल्ट-प्रूफ बनाया गया है।”

 चुनौतियाँ और आगे की राह

यह सुविधा अभी केवल छह नगरपालिका परिषदों तक सीमित है। अगले विधानसभा चुनावों में इसे व्यापक रूप से लागू करने के लिए अभी आयोग ने कोई आधिकारिक गारंटी नहीं दी है। इस पायलट की सफलता से हमें इसके स्केलेबिलिटी, सुरक्षा, और मतदाता प्रतिक्रिया पर मूल्यवान जानकारी मिलेगी। विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत किया है, लेकिन निरंतर ऑडिट और सख्त नियंत्रण को आवश्यक भी माना है।

 डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में एक कदम

बिहार का मोबाइल-आधारित मतदान भारतीय चुनावी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह पहल उन वर्गों को मतदान प्रक्रिया से जोड़ने का प्रयास है जो कदमताल की बाधाओं के कारण मतदान से वंचित रह जाते थे। इस तकनीक की सफलता लोकतंत्र को न केवल जागरूकता के बल पर बल्कि सुलभता और समावेशिता की ओर भी ले जा सकती है। लेकिन इसके साथ ही, चुस्त निगरानी और निष्पक्ष संचालन की जिम्मेदारी और भी महत्वपूर्ण बन जाती है।

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