जैसे ही कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर G7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने का औपचारिक न्योता दिया, वैसे ही उन तमाम अटकलों और राजनीतिक प्रोपगेंडा पर विराम लग गया जो बीते कुछ हफ्तों से लगातार उठाए जा रहे थे। कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि भारत इस बार G7 से बाहर रहेगा और इसे देश के लिए एक कूटनीतिक पराजय बताया जा रहा था। वजह थी भारत और कनाडा के बीच हाल के वर्षों में चले आ रहे तनाव, जिसने दोनों देशों के रिश्तों में खटास घोल दी थी। ऐसे में यह न्योता न केवल एक राजनयिक संकेत है, बल्कि उन विपक्षी बयानों का भी सीधा जवाब है जो लगातार सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़े कर रहे थे।
15 जून 2025 को कनाडा के कनानसकीस में होने जा रहे इस सम्मेलन को लेकर यह आशंका जताई जा रही थी कि भारत पहली बार बीते छह वर्षों में इस मंच से बाहर रहेगा। कांग्रेस ने इसे लेकर बयानबाज़ी भी तेज कर दी थी, और यही नैरेटिव बनाया जा रहा था कि मोदी सरकार को अंतरराष्ट्रीय मंचों से अलग-थलग किया जा रहा है। लेकिन अब जब कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री खुद पीएम मोदी को फोन पर न्योता देते हैं, तो यह एक बड़ा संदेश बनकर सामने आता है कि भारत को नजरअंदाज करना आज की दुनिया में संभव नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल इस औपचारिक आमंत्रण के लिए कार्नी का आभार जताया, बल्कि उन्हें कनाडा के चुनाव में जीत की बधाई भी दी। यह संवाद सिर्फ एक राजनीतिक औपचारिकता नहीं था, बल्कि दो देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बाद एक सकारात्मक मोड़ की शुरुआत जैसा था। पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर खुद इस बात की जानकारी साझा करते हुए दिखाया कि भारत अब सिर्फ आमंत्रित होने वाला देश नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर नेतृत्व करने की क्षमता रखने वाला राष्ट्र बन चुका है। ऐसे में कांग्रेस के लगाए गए आरोप अब खोखले नज़र आ रहे हैं, और देश की विदेश नीति फिर एक बार पूरी दुनिया के सामने मजबूती से खड़ी दिख रही है।
पीएम ने एक्स पर दी ये जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वपूर्ण राजनयिक संवाद की जानकारी स्वयं सार्वजनिक रूप से साझा की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से फोन पर बातचीत करना सुखद अनुभव रहा। पीएम मोदी ने उन्हें हाल ही में हुए चुनावों में मिली जीत के लिए शुभकामनाएं दीं और इस महीने के अंत में कनानसकीस में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए उनका आभार भी प्रकट किया।
Glad to receive a call from Prime Minister @MarkJCarney of Canada. Congratulated him on his recent election victory and thanked him for the invitation to the G7 Summit in Kananaskis later this month. As vibrant democracies bound by deep people-to-people ties, India and Canada…
— Narendra Modi (@narendramodi) June 6, 2025
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह भी रेखांकित किया कि भारत और कनाडा दोनों ही जीवंत लोकतंत्र हैं, जो गहरे जनसंपर्कों और आपसी सम्मान से जुड़े हुए हैं। उन्होंने आशा जताई कि साझा हितों और विश्वास के आधार पर दोनों देश नए जोश के साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि वे शिखर सम्मेलन में आमने-सामने मुलाकात को लेकर उत्साहित हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में खटास कैसे आई
बीते कुछ वर्षों में भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव की परतें जमती चली गई थीं। खासकर तब, जब यह अटकलें सामने आईं कि भारत को इस बार G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रण नहीं मिलेगा। भारत 2019 से लगातार इस वैश्विक मंच पर विशेष अतिथि देश के रूप में भाग लेता रहा है और जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, तकनीकी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था जैसे अहम विषयों पर अपनी प्रभावशाली भूमिका निभाता रहा है। ऐसे में भारत की अनुपस्थिति की आशंका सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि कनाडा की विदेश नीति की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान बन गई थी।
तनाव की असली जड़ वर्ष 2023 में दिखी, जब कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से भारत पर आरोप लगाया कि वह खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल है। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए सख्ती से खारिज किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में कड़वाहट तेज हो चुकी थी। ट्रूडो के इस बयान का असर केवल भारत-कनाडा संबंधों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्हें अपने देश में भी तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। घरेलू असंतोष और राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें अंततः अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
ट्रूडो के पद छोड़ने के बाद कनाडा में चुनाव हुए, जिसमें मार्क कार्नी ने जीत दर्ज कर सत्ता संभाली। नए प्रधानमंत्री के रूप में कार्नी ने एक संतुलित और जिम्मेदार विदेश नीति की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने भारत के साथ संवाद बहाल करने की शुरुआत की, जो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई फोन पर बातचीत में साफ झलकती है। इस बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को कनाडा में इसी महीने होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने का औपचारिक आमंत्रण दिया, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल स्वीकार किया बल्कि इसके लिए आभार भी प्रकट किया।
G7 शिखर सम्मेलन उन सात सबसे प्रमुख विकसित देशों का वैश्विक मंच है, जहां न केवल आर्थिक मुद्दों बल्कि सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार जैसे विषयों पर भी गहन चर्चा होती है। वर्ष 2023 में इस सम्मेलन का आयोजन जापान के हिरोशिमा शहर में हुआ था, जिसमें भारत ने एक जिम्मेदार और सक्रिय साझेदार के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। यदि भारत को इस बार सम्मेलन से बाहर रखा जाता, तो यह केवल भारत के लिए नहीं बल्कि कनाडा के लिए भी एक बड़ी कूटनीतिक चूक मानी जाती। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कनाडा की निष्पक्षता और उसकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठना तय था। शायद यही वजह है कि मार्क कार्नी की अगुवाई में कनाडा ने परिपक्वता और व्यवहारिकता दिखाते हुए रिश्तों को फिर से मजबूत करने की दिशा में पहल की है। यह घटनाक्रम संकेत देता है कि दोनों लोकतांत्रिक राष्ट्र अब एक नई समझदारी के साथ भविष्य की ओर बढ़ना चाहते हैं।