फर्टिलाइजर को हथियार बना रहा चीन, खुल रही भारत की आत्मनिर्भरता की राह

कुछ ही समय पहले चीन ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Materials) के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था

चीन ने भारत के खिलाफ चाल चल उसे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा दिया है

चीन ने भारत के खिलाफ चाल चल उसे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा दिया है

भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए यह वक्त बेहद खास है। खरीफ सीजन चल रहा है और ऐसे समय पर चीन ने एक अप्रत्याशित फैसला लेते हुए भारत को झटका दे दिया है। चीन ने करीब 2 महीने पहले से अपने विशेष उर्वरकों (Specialty Fertilizers) के भारत को निर्यात करने पर बिना किसी स्पष्ट वजह के अचानक रोक लगा दी है। यह वही उर्वरक हैं, जो खासकर चावल और फल-सब्ज़ियों जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती में बेहद जरूरी होते हैं।

चीन की चुप्पी से बढ़ती भारत की चिंता

भारतीय आयातकों को इस फैसले की जानकारी अचानक मिली। न कोई पूर्व सूचना, न कोई ठोस वजह। चीन की सरकार की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है, जिससे संदेह और भी गहरा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चीन की रणनीतिक व्यापार नीति का हिस्सा हो सकता है, खासतौर पर तब, जब भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

यह पहला मौका नहीं है। कुछ ही समय पहले चीन ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Materials) के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था, जो भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए बेहद जरूरी हैं।

भारत की प्रतिक्रिया: संकट में भी अवसर की तलाश

हालांकि, ये अचानक आया फैसला भारत के लिए एक झटका है, लेकिन भारतीय कृषि क्षेत्र ने इसे घबराने की बजाय, एक अवसर की तरह देखा है। सरकारी अधिकारियों और व्यापारिक संगठनों ने तेज़ी से वैकल्पिक विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है। अब रूस, मोरक्को और खाड़ी देशों जैसे वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं से बातचीत की जा रही है।

भारतीय उर्वरक कंपनियों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह चुनौती भले ही गंभीर हो लेकिन भारत के पास लचीलापन और अनुकूलन की क्षमता है। हमने पहले भी ऐसे संकटों का सामना किया है और उनसे मज़बूत होकर निकले हैं

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

भारत सरकार पहले से ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत कृषि और रक्षा जैसे क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रही है। उर्वरकों के क्षेत्र में भी तकनीकी नवाचार, घरेलू निर्माण और अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल व्यापारिक साझेदारी पर भरोसा करना काफी नहीं, हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) को जितना हो सके, घरेलू रूप से मज़बूत बनाना होगा। चीन के इस अप्रत्याशित फैसले ने भारत को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम किसी एक देश पर इस हद तक निर्भर हो सकते हैं? शायद नहीं। सरकार, उद्योग और किसान, अगर तीनों एक साथ काम करें, तो यह संकट वास्तव में भारत के आत्मनिर्भर भविष्य की नींव बन सकता है।

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