2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी तमिलनाडु कांग्रेस की “100 Days, 100 Places” मुहिम विवादों की आग में घिर गई है। इस अभियान की शुरुआत पार्टी की रिसर्च विंग द्वारा प्रकाशित एक प्रचार सामग्री के साथ की गई, जिसमें भारत के नक्शे में पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर (PoK) को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है, एवं अक्साई चिन को चीन में शामिल दिखाया गया है। इस कराटोग्राफिक गलती को लेकर भाजपा समेत कई दलों ने कांग्रेस पर औपचारिक रूप से क्षेत्रीय संप्रभुता की अवहेलना का आरोप लगाया है।
भाजपा का हमला -‘दिमागी साजिश’
भाजपा की आईटी सेल के प्रधान अमित मालवीय ने कांग्रेस की इस कदम की तुलना शातिर और विक्षिप्त नीति से की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ‘अनजाने में की गई भूल’ नहीं, बल्कि एक पूर्वनियोजित राजनीतिक रणनीति है। भाजपा ने इस दावे को पिछले समान विवादों के साथ जोड़ा, जिसमें कर्नाटक कांग्रेस और महाराष्ट्र कांग्रेसी भी नक्शा गड़बड़ी के दोषी पाए गए थे।
‘100 दिन–100 जगह’ महाभारत
तमिलनाडु कांग्रेस की “100 Days, 100 Places” मुहिम का उद्देश्य BJP सरकार की नीतियों को चुनौती देना है, जिसकी शुरुआत डॉ. ए. चेल्लाकुमार की मौजूदगी में हुई थी। इस अभियान के साथ जारी “Jumla Government’s False Facts and Realities” नामक पुस्तक ने काफ़ी ध्यान आकर्षित किया, लेकिन इसका कवर विवाद का कारण बन गया। सोशल मीडिया पर यह नक्शा वायरल हो गया और कांग्रेस को अपनी गलती का तुरंत फायदा नहीं मिला, बल्कि आलोचना झेलनी पड़ी।
पूर्व विवादों को जोड़ते BJP के दावे
यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस नक्शा विवाद में फंसी हो-18 जून 2025 को कांग्रेस ने पीएम की विदेश नीति को लेकर एक पोस्ट में भी PoK को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया था, जिसे आलोचना के बाद डिलीट करना पड़ा। दिसंबर 2024 में कर्नाटक कांग्रेस द्वारा आयोजित बैठक में भी नक्शे की ऐसी ही गड़बड़ी सामने आई थी। इन घटनाओं ने भाजपा के आरोप को मज़बूती दी कि कांग्रेस की विदेश नीति और राष्ट्रीय एकत्ता के प्रति निष्ठा संदिग्ध है।
चुनावी रणनीति पर बड़ा असर
तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही ये विवाद कांग्रेस को भारी पड़ा। भाजपा ने इसे कांग्रेस की राष्ट्रीयता के प्रति असंवेदनशीलता और क्षेत्रीय असम्मान का प्रमाण बताया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह नक्शा विवाद भाजपा के लिए अच्छी चुनावी दलील बन सकता है, खासकर तब जब वह राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
अब तक तमिलनाडु कांग्रेस या अखिल भारतीय कांग्रेस की तरफ से इस पर कोई सफाई या माफी नहीं आई है। आलोचक इस मौन को “चुप्पी में सहमति” मान रहे हैं, वहीं कांग्रेस समर्थक इसे “तर्कहीन आरोप” बता रहे हैं और कह रहे हैं कि नक्शा कोई आधिकारिक दस्तावेज़ नहीं था।
निष्कर्ष
भारत के नक्शे में बदलाव करना सरासर संवैधानिक और राजनैतिक पाप है- चाहे वह गलती से हो या एक रणनीति के तहत। कांग्रेस की यह गलती न केवल सीमाओं के प्रति संवेदनशीलता को भुलाती है, बल्कि यह चुनावी अभियान की नैतिकता पर भी सवाल खड़े करती है। अब सवाल यही है कि आगे कांग्रेस लड़ाई की रणनीति कैसे बनाएगी: क्या वह राष्ट्रीयता की रक्षा करते हुए अपनी छवि सुधार पाएगी, या यह विवाद उसकी चुनावी पकड़ को और कमजोर कर देगा?