दयानिधि मारन का भाई कलानिधि पर ₹8,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

कलानिधि पर ₹8,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

दयानिधि मारन का कलानिधि पर ₹8,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

तमिलनाडु की सबसे प्रभावशाली परिवारों में शामिल मारन परिवार इन दिनों कानूनी और कॉरपोरेट संघर्ष से जूझ रहा है। डीएमके सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने अपने बड़े भाई और मीडिया कारोबारी कलानिधि मारन को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें उन पर 2003 से जुड़े धोखाधड़ीपूर्ण लेन-देन के आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के अनुसार, कलानिधि ने कथित रूप से सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड पर अवैध तरीके से नियंत्रण हासिल किया। यह विवाद वर्षों से राजनीतिक और कारोबारी हलकों में बातचीत का विषय रहा है, लेकिन अब यह सार्वजनिक रूप से सामने आ गया है, जिससे उत्तराधिकार, सत्ता और हजारों करोड़ की संपत्ति को लेकर एक कटु पारिवारिक लड़ाई उजागर हो गई है।

पिता के अंतिम दिनों में धोखाधड़ी के आरोप

10 जून को जारी और चेन्नई के सानथोम स्थित एडवोकेट के. सुरेश (लॉ धर्मा) के माध्यम से भेजे गए कानूनी नोटिस में आरोप लगाया गया है कि दिवंगत केंद्रीय मंत्री और मारन परिवार के मुखिया मुरासोली मारन की बीमारी के दौरान कई अनधिकृत वित्तीय निर्णय लिए गए।

देर 2002 से लेकर नवंबर 2003 में मुरासोली मारन कोमा में थे। इस दौरान, कलानिधि मारन ने कथित रूप से सन टीवी प्राइवेट लिमिटेड में खुद को मात्र ₹10 प्रति शेयर की दर से 12 लाख इक्विटी शेयर आवंटित कर लिए, जबकि उस समय इनकी बाज़ार कीमत ₹2,500 से ₹3,000 प्रति शेयर के बीच थी। इस कथित कदम के जरिए कलानिधि को कंपनी में 60% नियंत्रण प्राप्त हो गया, जिससे मुरासोली मारन और पूर्व डीएमके मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की दो प्रमोटर परिवारों की हिस्सेदारी 50-50% से घटकर केवल 20-20% रह गई।

गलत प्रबंधन और संपत्तियों के हस्तांतरण का आरोप

नोटिस में इसे केवल एक शुरुआत बताते हुए आगे और भी “सुनियोजित व धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों” की बात कही गई है। मुरासोली मारन की मृत्यु 23 नवंबर 2003 को होने के बाद, उनके नाम पर मौजूद 95,000 शेयर कथित रूप से उनकी पत्नी मल्लिका मारन को स्थानांतरित कर दिए गए, बिना उत्तराधिकार प्रमाणपत्र या कंपनी प्रोटोकॉल के। ये शेयर अंततः कलानिधि के पास पहुंच गए, ऐसा दावा नोटिस में किया गया है।

इसी तरह के शेयर ट्रांसफर अन्य पारिवारिक कंपनियों—कुंगुमम पब्लिकेशन्स, कल इन्वेस्टमेंट्स (मद्रास), और कुंगुमम निधियागम—में भी हुए, जिसमें कुल मिलाकर 2.85 लाख शेयर सिर्फ ₹10 प्रति शेयर की दर से ट्रांसफर किए गए। वहीं, करुणानिधि की पत्नी एम. के. दयालु से खरीदे गए शेयर इसी अवधि में ₹3,173.04 प्रति शेयर की दर से खरीदे गए।

आईपीओ से पहले गलत जानकारी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

नोटिस में 2006 में सन टीवी के आईपीओ से पहले दी गई वित्तीय जानकारियों की सत्यता पर भी सवाल उठाया गया है। विशेष रूप से ₹10.64 करोड़ की डिविडेंड पेमेंट, जो मल्लिका मारन को दी गई बताई गई थी, लेकिन नोटिस के अनुसार वह भुगतान कभी हुआ ही नहीं।

नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने आंतरिक शेयर ट्रांसफर की जानकारी सार्वजनिक निवेशकों से छिपाई। इसके अलावा, इन कथित धोखाधड़ीपूर्ण लेन-देन से प्राप्त राशि का उपयोग सन ग्रुप की विभिन्न कंपनियों-जैसे सन डायरेक्ट टीवी, कल एयरवेज, सन पिक्चर्स, साउथ एशियन एफएम, और क्रिकेट फ्रेंचाइजीज़ (सनराइजर्स हैदराबाद और सनराइजर्स ईस्टर्न केप)-में निवेश करने के लिए किया गया।

इनमें ₹8,500 करोड़ से अधिक की राशि विभिन्न भारतीय और विदेशी बैंक खातों के माध्यम से म्यूचुअल फंड और REIT फंड्स में लगाई गई, जिन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत “अपराध से अर्जित आय” बताया गया है।

डिविडेंड, बोनस शेयर और 500 करोड़ की निजी डील

नोटिस के अनुसार, कलानिधि मारन ने 2003 से 2023 के बीच ₹5,926 करोड़ के डिविडेंड अर्जित किए, और 2024 में ₹455 करोड़ और प्राप्त किए। साथ ही दिसंबर 2024 में मारन बहन अन्बुकरासी को ₹500 करोड़ का भुगतान किया गया, जिसे नोटिस में विवादों को दबाने और कानूनी जांच से बचने का प्रयास बताया गया है। यह भुगतान भी कथित रूप से मल्लिका मारन के बैंक खाते के माध्यम से सन टीवी के डिविडेंड से किया गया।

नोटिस में यह भी दावा किया गया है कि दयानिधि मारन को मुरासोली मारन के वैध उत्तराधिकारी होने के बावजूद उनके हिस्से के 6 करोड़ बोनस शेयर से वंचित किया गया, जो दिसंबर 2005 में केवल कलानिधि को जारी किए गए थे।

दयानिधि की ओर से मांग की गई है कि 15 सितंबर 2003 की मूल शेयरहोल्डिंग संरचना को बहाल किया जाए और सभी संपत्तियों, लाभांशों और आय को वैध उत्तराधिकारियों को लौटाया जाए।

सत्ता, राजनीति और दो राहें

मारन परिवार तमिलनाडु की राजनीति और व्यापारिक संरचना में गहराई से जुड़ा हुआ है। मुरासोली मारन, डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि के भतीजे और करीबी सलाहकार थे, और उन्होंने दिल्ली में पार्टी की रणनीति गढ़ने में अहम भूमिका निभाई थी।

उनकी 2003 में मृत्यु के बाद, उनके पुत्रों की राहें अलग हो गईं—कलानिधि ने टेलीविजन, सिनेमा और एविएशन में एक विशाल मीडिया साम्राज्य खड़ा किया, जबकि दयानिधि ने राजनीति की राह अपनाई और यूपीए शासनकाल में टेलिकॉम मंत्री बने। हालांकि बाद में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे।

अब यह कानूनी टकराव परिवार के अंदर चल रही खींचतान को सार्वजनिक मंच पर ले आया है, जहां पैसा, विरासत और मीडिया की ताकत को लेकर घमासान छिड़ गया है।

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