देश में एक लंबे अंतराल के बाद अब जनगणना की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। केंद्र सरकार ने 2027 में होने वाली जनगणना के लिए आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा करते हुए बताया कि यह जनगणना दो चरणों में संपन्न होगी और इसे पूरी तरह डिजिटल माध्यम से किया जाएगा। यानी अब जनगणना परंपरागत तरीकों से आगे बढ़कर तकनीक की मदद से की जाएगी, जिसमें मोबाइल एप्लिकेशन का भी उपयोग किया जाएगा।
जनगणना प्रक्रिया का पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जिसमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसके बाद दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से देश के बाकी हिस्सों में शुरू होगा। खास बात यह है कि इस बार की जनगणना में जातिगत विवरण भी दर्ज किया जाएगा, जिसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी। इस विशाल सर्वेक्षण कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए केंद्र सरकार करीब 34 लाख फील्ड वर्कर्स और सुपरवाइज़र नियुक्त करेगी, जो घर-घर जाकर जानकारी जुटाएंगे। इसके अलावा 1.3 लाख जनगणना अधिकारी पूरे अभियान की निगरानी और डेटा प्रोसेसिंग का काम संभालेंगे।
गरतलब है कि भारत में पिछली जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी, और अब लगभग 16 वर्षों बाद यह प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू होने जा रही है लेकिन इस बार नए स्वरूप, नई तकनीक और जातिगत आँकड़ों के साथ। यह केवल एक गणना नहीं, बल्कि देश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति का डिजिटल आईना बनने जा रही है।
जनगड़ना के दो चरण
2027 में होने जा रही जनगणना को लेकर सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है और यह अब तक की सबसे व्यापक और तकनीकी रूप से उन्नत जनगणना मानी जा रही है। इस प्रक्रिया में डोर-टु-डोर जाकर जानकारी जुटाने के लिए देशभर में करीब 34 लाख फील्ड सर्वे कर्मी और सुपरवाइज़र तैनात किए जाएंगे, जो सीधे लोगों से संपर्क कर ज़मीनी स्तर पर आंकड़े इकट्ठा करेंगे। इनके साथ-साथ लगभग 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी भी नियुक्त किए जाएंगे, जो फील्ड से लेकर डेटा प्रोसेसिंग तक की जिम्मेदारी निभाएंगे।
जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से की जाएगी और इसमें मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाएगा, ताकि डेटा संग्रहण की प्रक्रिया तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी बन सके। इस बार जातिगत जानकारी भी पूछी जाएगी, जो कि कई सामाजिक-आर्थिक योजनाओं के लिए महत्त्वपूर्ण डेटा का आधार बनेगी।
जनगणना दो चरणों में होगी। पहले चरण में मकानों की सूचीकरण और गणना (House Listing Operation – HLO) की जाएगी, जिसमें हर परिवार के आवास की स्थिति, संपत्ति और उपलब्ध सुविधाओं से जुड़ी जानकारी एकत्र की जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण में जनगणना (Population Enumeration – PE) के तहत हर घर के प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी सूचनाएं ली जाएंगी।
जनगणना के दौरान स्व-गणना (self-enumeration) का विकल्प भी लोगों को दिया जाएगा, यानी कोई व्यक्ति चाहे तो खुद भी अपनी जानकारी मोबाइल ऐप के ज़रिए दर्ज कर सकेगा। बता दें कि यह स्वतंत्र भारत की आठवीं और कुल सोलहवीं जनगणना होगी। सरकार ने लोगों की निजता और डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता में रखा है। डेटा संग्रह से लेकर उसके ट्रांसफर और स्टोरेज तक हर स्तर पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए जाएंगे, ताकि किसी भी प्रकार की जानकारी का दुरुपयोग या लीक न हो सके।