ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया गया एक सटीक सैन्य अभियान था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की प्रतिक्रिया में लॉन्च किया गया था। इसमें भारतीय वायुसेना और नौसेना ने पाकिस्तान के भीतर स्थित कम से कम नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। भारतीय नौसेना ने हमले के लिए मिसाइलें तैनात कर दी थीं और कराची बंदरगाह के युद्धपोतों को भी निशाने पर रखा गया था, लेकिन अंतिम क्षणों में हमला नहीं किया गया। INS विक्रांत और MiG‑29K की मौजूदगी ने समुद्री और हवाई दबदबा बनाए रखा।
नौसेना को मिले टार्गेट पैकेज, अंतिम क्षणों में हमले से पीछे हटने का निर्णय
भारतीय नौसेना को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई मौकों पर पाकिस्तान के भीतर संभावित लक्ष्यों पर मिसाइल हमले के लिए “टार्गेट पैकेज” सौंपे गए और उन्हें हॉट-स्टैंडबाय स्थिति में रखा गया। हालांकि इन परिस्थितियों में भी अंतिम हमले का आदेश कभी नहीं आया। एनडीटीवी के सूत्रों के अनुसार, नौसेना ने पहचाने गए लक्ष्यों पर हमले से अंतिम क्षणों में पीछे हटना ही उचित समझा। इन लक्ष्यों में पाकिस्तान नौसेना के बंदरगाह में मौजूद जहाज और पनडुब्बियाँ तथा अन्य भूमि-आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल थे। यदि नौसेना को पूर्ण हमले का आदेश मिल गया होता, तो यह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैन्य टकराव को एक नया आयाम दे देता।
इसके अनुसार, कराची बंदरगाह पर खड़े पाक नौसेना के जहाजों को ब्रह्मोस मिसाइलों और कीलो-क्लास रूसी पनडुब्बियों से लॉन्च की जाने वाली क्लब श्रेणी की लैंड-अटैक क्रूज़ मिसाइलों से निशाना बनाया जा सकता था। “युद्धपोत और पनडुब्बियाँ दोनों ही एंटी-शिप और लैंड-अटैक मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए तैयारी में थीं।” पाकिस्तान नौसेना की अग्रिम पंक्ति की असल सक्रिय युद्धनौकाएँ, फ्रिगेट और कोरोवेट संघर्ष के दौरान बंदरगाह के भीतर ही रहीं और बाहर नहीं निकलीं। एनडीटीवी को सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अगर हमला करने का आदेश दिया गया होता, तो इन युद्ध पोतों को बंदरगाह में ही डूबाया जा सकता था।
परंतु, यद्यपि भारतीय नौसेना की जहाज़ों को पाक नौसेना पर स्पष्ट गुणात्मक बढ़त प्राप्त थी, उन्होंने हमले का आदेश न मिलने के चलते मिसाइलें दागने से इनकार कर दिया। दरअसल, एनडीटीवी ने यह भी पता लगाया कि नौसैनिक हथियार प्रणालियाँ विशेषकर लैंड-आधारित मिसाइल और रॉकेट सिस्टम, स्थानीय तटीय छावनियों से पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तैनात की गई थीं। हालांकि, इन हथियार प्रणालियों के विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
उत्तरी अरब सागर में भारत के प्रभुत्व का केंद्र INS विक्रांत कैरियर युद्ध समूह था, जिस पर MiG‑29K लड़ाकू विमानों की तैनाती थी। इसी समूह ने पाकिस्तान के दक्षिणी तट से सटे समुद्री और वायुमंडलीय क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखा। “कैरियर युद्ध समूह की उपस्थिति ने पाकिस्तानी वायु साधनों को काफी दबाव में रखा, और समुद्र पर उनकी गतिविधि लगभग नगण्य हो गई।”
एनडीटीवी ने यह भी पाया कि सैन्य गतिविधियों के शांत होने के कुछ ही दिनों बाद INS विक्रांत युद्ध समूह ने एक एकांत पाकिस्तानी निगरानी विमान, RAS‑72 ‘सी ईगल’ जो ATR‑72 टर्बोप्रॉप विमान का समुद्री गश्त संस्करण है, को ट्रैक किया। यह एकाकी पाक विमान जब समुद्र के ऊपर था, तब INS विक्रांत की MiG‑29K विमानों ने उसे प्रभावी रूप से ट्रैक किया और वापस तट की ओर लौटने के लिए मजबूर किया।
INS विक्रांत से उड़ा MiG‑29K विमान पाक विमान के बेहद करीब, कुछ सौ मीटर की दूरी पर पहुँच गया, जिसके बाद पाक विमान को वापस लौटना पड़ा।
ऑपरेशन सिंदूर वास्तव में 6–7 मई के बीच भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान स्थित कम से कम नौ आतंकवादी आधारों पर आयोजित हवाई और मिसाइल हमलों की एक श्रृंखला थी। यह जवाबी कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई थी, जिसमें 26 मासूम नागरिकों की निर्मम हत्या हुई थी।