ग्लोबल मंच पर भारत का रणनीतिक दांव: वैश्विक आपदाओं ने निपटने के लिए दुनिया के देशों को साथ आने का संदेश

Global Platform for Disaster Risk Reduction

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, डॉ. पी. के. मिश्रा

प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने 3 जून 2025 को जिनेवा में आयोजित आठवें वैश्विक मंच (Global Platform for Disaster Risk Reduction) के दौरान भारत की वैश्विक आपदा लचीलापन प्रयासों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने मंच के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लेते हुए भारत की आपदा तैयारी और लचीलापन निर्माण के प्रति सक्रिय दृष्टिकोण को साझा किया।

इस महत्वपूर्ण वैश्विक आयोजन के दौरान डॉ. मिश्रा की मुलाकात नॉर्वे की अंतरराष्ट्रीय विकास उपमंत्री सुश्री स्टीन रिनेट होहेम से भी हुई। दोनों नेताओं के बीच आपदा जोखिम न्यूनीकरण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर रचनात्मक बातचीत हुई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि इस क्षेत्र में वैश्विक साझेदारी पहले से कहीं अधिक आवश्यक है।

डॉ. मिश्रा के संबोधन और वार्ताओं ने यह संकेत दिया कि भारत केवल अपनी सीमाओं के भीतर ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी आपदा प्रबंधन और लचीलापन निर्माण में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। यह न केवल भारत की नीति-निर्माण में परिपक्वता को दर्शाता है, बल्कि एक सुरक्षित, समावेशी और सहयोगात्मक वैश्विक भविष्य के लिए उसके संकल्प को भी रेखांकित करता है।

भारत की भूमिका और योगदान

ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (GPDRR) संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UNDRR) द्वारा आयोजित एक प्रमुख वैश्विक मंच है। यह मंच सेंदाई फ्रेमवर्क (2015–2030) के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा, नवीनतम विकासों पर चर्चा, और विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी निर्माण के लिए एक बहुपक्षीय मंच प्रदान करता है। GPDRR हर दो साल में आयोजित होता है, जिसमें सरकारें, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, और अन्य हितधारक सेंदाई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन को तेज़ करने के तरीकों की पहचान करते हैं।

भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई है। हालांकि, GPDRR में भारत द्वारा दी गई विशिष्ट वित्तीय सहायता की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन भारत ने इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं:

कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (CDRI): भारत ने 2019 में CDRI की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आपदा-प्रतिकारक अवसंरचना को बढ़ावा देना है। भारत ने इस पहल के लिए ₹480 करोड़ (लगभग $65 मिलियन) का योगदान दिया है।

वैश्विक सुविधा फॉर डिजास्टर रिडक्शन एंड रिकवरी (GFDRR): भारत GFDRR का सदस्य है, जो विकासशील देशों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में सहायता प्रदान करता है।

राष्ट्रीय मंच और रणनीतियाँ: भारत ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना और अन्य रणनीतियों के माध्यम से सेंदाई फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को अपनाया है।

भारत की सक्रिय भागीदारी और नेतृत्व ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। GPDRR जैसे मंचों में भारत की उपस्थिति और पहलें यह दर्शाती हैं कि भारत न केवल घरेलू स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आपदा लचीलापन और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

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