पाकिस्तान में सूखा भारत में होगी हरियाली, सरकार ने सिंधु जल पर तैयार किया फाइनल प्लान

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जलसंधि रोक दी थी। अब इसके पानी से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में हरियाली लाने की योजना है।

Indus Water Treaty

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया है। उसके नेता भी बौखलाए हुए हैं। एक तरफ पाकिस्तान सिंधु जल संधि फिर से शुरू करने की गुहार लगा रहा है। वहीं दूसरी ओर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके लिए देश का हित सर्वोपरि है। पहले सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। अब सिंधु नदी के पानी का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए एक बड़ी योजना पर काम कर रही है। यह योजना न केवल हमारे लोगों और किसानों को सुविधा देगी बल्कि इससे पाकिस्तान का गला भी सूख जाएगा।

भारत अब पानी की बूंद-बूंद का हिसाब करने को तैयार है। सिंधु नदी के पानी को जम्मू-कश्मीर से लेकर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के खेतों तक पहुंचाने की एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम हो रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कहा कि तीन साल में सिंधु का पानी राजस्थान के श्रीगंगानगर तक पहुंचेगा और पाकिस्तान हर बूंद को तरसेगा।

क्या है मोदी सरकार का प्लान?

सिंधु नदी के पानी को उपयोग में लाने के लिए 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी। यह चिनाब नदी को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के सिस्टम से जोड़ेगी। यह परियोजना जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए वरदान साबित होगी। इसका मकसद सिंधु जल संधि के तहत भारत के हिस्से का पानी पूरी तरह उपयोग करना है। प्रस्तावित नहर नेटवर्क के तहत 11 नहरों को जोड़ने की योजना है।

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इस नहर नेटवर्क को इंदिरा गांधी नहर सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इससे दूर-दराज के इलाकों में भी पानी पहुंचेगा। यह योजना जलवायु परिवर्तन और बदलते वर्षा पैटर्न के संकट से निपटने में भी मददगार होगी। मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के वरिष्ठ फेलो उत्तम सिन्हा ने कहा कि यह योजना क्षेत्रीय जल उपलब्धता को संतुलित करेगी। जम्मू-कश्मीर से अतिरिक्त पानी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक ले जाने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।

रोडमैप है तैयार

भारत कई स्तरों पर काम कर रहा है। रणबीर नहर की लंबाई को 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने की योजना है। जिससे चिनाब का पानी अधिक क्षेत्रों तक पहुंचे। साथ ही प्रताप नहर की क्षमता का भी पूरा उपयोग किया जाएगा। उझ नदी पर बहुउद्देशीय परियोजना फिर से शुरू की जा रही है। यह लंबे समय से बंद पड़ी हुई थी। यह परियोजना पनबिजली, सिंचाई और पेयजल की जरूरतों को पूरा करेगी। इसके अलावा, चिनाब और झेलम नदियों पर रन-ऑफ-रिवर परियोजनाएं जैसे रतले और किरु भी तेजी से पूरी की जा रही हैं।

इन योजनाओं पर भी हो रहा है काम

चिनाब नदी पर बने बागलीहार और सलाल हाइड्रो परियोजनाओं के जलाशयों में गाद निकालने का काम भी तेजी से चल रहा है। सिंधु जल परियोजना के तहत आने वाली अन्य पनबिजली परियोजनाओं जैसे- पाकल दुल (1000 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट), क्वार (540 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) पर भी काम जोरों पर है। सरकार चाहती है कि इन योजनाओं का फायदा जल्द से जल्द लोगों को मिले, इसलिए परियोजनाओं के काम में तेजी लाई जा रही है। वहीं कई योजनाओं पर पहले ही काम किया जा चुका है।

अब तक नुकसान उठा रहा था भारत

सिधु जल संधि के तहत भारत इन नदियों में बहने वाले कुल जल प्रवाह का लगभग 20% ही नियंत्रित करता था। ये सालाना लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट या 41 बिलियन क्यूबिक मीटर होता है। जबकि, पाकिस्तान को 80% मिलता है जो लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट या 99 बिलियन क्यूबिक मीटर होता है। इस समझौते में पश्चिमी नदियों में बड़े बहुउद्देशीय परियोजनाओं के निर्माण पर रोक थी। अब इन्हें सरकार फिर से शुरू करने जा रही है।

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