12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद एक भयावह हादसे का शिकार हो गई। यह ड्रीमलाइनर विमान, जो 242 यात्रियों को लेकर उड़ा था, रनवे छोड़ने के तुरंत बाद ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क खो बैठा। कुछ ही क्षणों में वह अहमदाबाद के एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई और देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी।
इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मृत्यु की खबर ने दुख और भी गहरा कर दिया। साथ ही, 100 से अधिक शवों के बरामद होने की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से अधिकांश की पहचान करना बेहद कठिन है। हादसे का मंजर इतना भयावह था कि विमान के टकराने से एक रिहायशी इमारत भी चपेट में आ गई, जहां अहमदाबाद सिविल अस्पताल के कई डॉक्टर रहते थे इनमें से 15 के घायल होने की खबर है।
अब इस त्रासदी की जांच का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र है ब्लैक बॉक्स। यह ब्लैक बॉक्स यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर, विमान के अंतिम पलों की हर तकनीकी और मानवीय गतिविधि को दर्ज करता है। DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने पुष्टि की है कि विमान ने आपातकालीन सिग्नल भेजा था, लेकिन कुछ ही समय बाद संपर्क पूरी तरह टूट गया।
ब्लैक बॉक्स आखिर होता क्या है?
नाम से भले ही इसे “ब्लैक बॉक्स” कहा जाता है, लेकिन असल में इसका रंग काला नहीं बल्कि चमकीला नारंगी होता है, ताकि किसी हादसे के बाद उसे मलबे में आसानी से ढूंढा जा सके। यह उपकरण दो अहम रिकॉर्डिंग सिस्टम का संयोजन होता है:
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह डिवाइस उड़ान के दौरान विमान की गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति जैसी तमाम तकनीकी जानकारियों को रिकॉर्ड करता है।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह पायलटों के बीच हुई बातचीत, चेतावनियों की आवाज़ें और कॉकपिट में आने वाली बैकग्राउंड नॉइज़ को रिकॉर्ड करता है।
इन दोनों रिकॉर्डर को बेहद मजबूत तरीके से बनाया जाता है ताकि वे किसी भी दुर्घटना, आग या अत्यधिक दबाव जैसी परिस्थितियों में भी सुरक्षित रह सकें। इनका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि वे ऐसी अहम जानकारी को सुरक्षित रखें जिससे जांचकर्ता यह समझ सकें कि उड़ान में आखिर गलती कहाँ हुई।
ब्लैक बॉक्स के डेटा का विश्लेषण कैसे किया जाता है?
किसी विमान दुर्घटना के बाद, जांचकर्ता सबसे पहले मलबे से ब्लैक बॉक्स को बरामद करते हैं और उसे विशिष्ट प्रयोगशाला में ले जाया जाता है। भारत में इस जांच की जिम्मेदारी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) निभाता है। कई बार यह संस्था अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और विमान निर्माता कंपनियों के साथ मिलकर डेटा का विश्लेषण करती है।
सबसे पहले, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से सूचनाएं निकाली जाती हैं। फिर इन आंकड़ों को डिकोड किया जाता है, जिससे विमान के आखिरी क्षणों की विस्तृत जानकारी मिलती है जैसे कि विमान की गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति, और पायलटों की बातचीत। इसके बाद, इस डेटा की तुलना रडार रिकॉर्डिंग और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की बातचीत से की जाती है ताकि यह समझा जा सके कि दुर्घटना के अंतिम पलों में वास्तव में क्या हुआ था। इस गहन विश्लेषण के आधार पर न सिर्फ दुर्घटना के कारणों का पता चलता है, बल्कि भविष्य में विमानन सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सिफारिशें भी तैयार की जाती हैं।
गुजरात क्रैश में ब्लैक बॉक्स क्यों है बेहद अहम?
अहमदाबाद में हुआ यह हादसा इसलिए भी खास महत्व रखता है क्योंकि इसमें बोइंग 787 ड्रीमलाइनर शामिल है एक ऐसा विमान मॉडल जो अब तक अपनी मजबूत सुरक्षा विश्वसनीयता के लिए जाना जाता रहा है। हादसे से पहले विमान करीब 625 फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुका था, तभी एयर ट्रैफिक कंट्रोल से उसका संपर्क टूट गया। ऐसे हालात में ब्लैक बॉक्स ही वह महत्वपूर्ण कड़ी है जो इन निर्णायक पलों में क्या हुआ, इसका पर्दाफाश कर सकता है।
इस हादसे की जांच DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के नेतृत्व में हो रही है और इसमें अंतरराष्ट्रीय विमानन विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। ब्लैक बॉक्स से प्राप्त डेटा इस बात की तह तक जाने में मदद करेगा कि विमान ने अचानक दुर्घटना का रुख क्यों लिया, और क्या तकनीकी या मानवीय चूक इसके पीछे जिम्मेदार थी। इस जानकारी के आधार पर न सिर्फ इस दुर्घटना की असली वजह सामने आएगी, बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम भी उठाए जा सकेंगे।