भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स 2026 में देश के कुल 54 संस्थानों को शामिल किया गया है, जो अब तक का भारत का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। इस कामयाबी के साथ भारत अब अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और चीन के बाद चौथा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बन गया है।
रैंकिंग में भारत के लिए IIT दिल्ली ने किया टॉप
भारतीय संस्थानों में इस बार IIT दिल्ली ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। इसे वैश्विक स्तर पर 123वां स्थान मिला है, जो पिछले वर्षों के मुकाबले एक बड़ी छलांग है। 2025 में IIT दिल्ली की रैंक 150 और 2024 में 197 थी। IIT दिल्ली ने ‘एम्प्लॉयर रेप्युटेशन’ में 50वां, ‘साइटेशन प्रति फैकल्टी’ में 86वां और ‘अकादमिक रेप्युटेशन’ में 142वां स्थान प्राप्त किया।
पिछले वर्ष भारत के सबसे ऊपर रहे IIT बॉम्बे की रैंकिंग थोड़ी गिरकर 129 हो गई, जो पहले 118 थी। वहीं, IIT मद्रास ने जबरदस्त उछाल दिखाया है और इसकी रैंकिंग 227 से बढ़कर 180वें स्थान पर पहुंच गई है, यानी IIT मद्रास ने 47 पायदान की छलांग लगाई है जो अपने आप में शिक्षा की क्रांति को दिखाता है।
रिसर्च और एम्प्लॉयबिलिटी बनीं भारत की ताकत
भारत के संस्थानों की रैंकिंग में सुधार केवल संख्यात्मक नहीं है, बल्कि गुणवत्ता के स्तर पर भी दिख रहा है। इस बार पांच भारतीय संस्थानों को ‘एम्प्लॉयर रेप्युटेशन’ यानी नौकरी देने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा प्रतिष्ठा के आधार पर दुनिया के शीर्ष 100 में जगह मिली है।
रिसर्च के मामले में भी भारत ने प्रभावी प्रदर्शन किया है। “साइटेशन प्रति फैकल्टी” के आधार पर आठ भारतीय संस्थान दुनिया के टॉप 100 में शामिल हुए हैं। भारत का औसत स्कोर 43.7 रहा, जो जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से भी बेहतर है। इसका मतलब है कि भारतीय शिक्षकों और शोधकर्ताओं के कार्यों को विश्व स्तर पर अधिक बार उद्धृत किया जा रहा है।
नई शिक्षा नीति 2020 बनी बदलाव की धुरी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) की देन है। इस नीति ने उच्च शिक्षा को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप ढालने, शोध-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने और संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देने पर जोर दिया है।
NEP के तहत अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे भारतीय संस्थानों की पहुंच और मान्यता दोनों बढ़ी हैं। इसमें फैकल्टी और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म्स, और क्रेडिट ट्रांसफर जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं। इससे भारतीय संस्थानों की गुणवत्ता और वैश्विक दृश्यता में काफी सुधार हुआ है।
पहली बार शामिल हुए संस्थानों की रिकॉर्ड संख्या
इस साल QS रैंकिंग में भारत के 8 नए संस्थान पहली बार शामिल हुए हैं। ये किसी भी देश से सर्वाधिक नए संस्थान है। यह भारत की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे विस्तार को दर्शाता है।
वहीं, इसमें कुछ प्रमुख संस्थानों में IIT खड़गपुर (215वां), IISc बेंगलुरु (219वां), दिल्ली विश्वविद्यालय (328वां) और अन्ना यूनिवर्सिटी (465वां) शामिल हैं। निजी संस्थान भी पीछे नहीं हैं। BITS पिलानी को 668वां और OP Jindal Global University को 851-900 के दायरे में स्थान मिला है। इससे यह संकेत मिलता है कि अब निजी और सरकारी संस्थानों के बीच वैश्विक पहचान में फर्क तेजी से कम हो रहा है।
अमेरिका और एशिया का दबदबा बरकरार
दुनिया भर में देखा जाए तो Massachusetts Institute of Technology (MIT) लगातार 14वें साल भी शीर्ष पर रहा। इसके बाद दूसरे स्थान पर Imperial College London और तीसरे पर Stanford University रहे। अमेरिका के 192 संस्थान इस सूची में शामिल हुए हैं और कई की रैंकिंग में सुधार भी हुआ है।
एशियाई विश्वविद्यालयों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। चीन की Peking University 14वें और Tsinghua University 17वें स्थान पर है। Fudan University ने नौ स्थान की छलांग लगाकर 30वें स्थान पर जगह बनाई। हॉन्गकॉन्ग SAR और आयरलैंड को भी सबसे तेज़ी से उभरते उच्च शिक्षा तंत्र के रूप में चिन्हित किया गया है।
नई रैंकिंग विधि में अंतरराष्ट्रीय विविधता पर ज़ोर
QS रैंकिंग 2026 में 100 से अधिक देशों और क्षेत्रों के 1,500 से अधिक विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन किया गया। इस साल एक नया मानदंड “International Student Diversity” जोड़ा गया है। हालांकि अभी इसका महत्व अधिक नहीं है, लेकिन यह यह देखता है कि किसी संस्थान में कितने और किन देशों से अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ते हैं। इसका मकसद है यह दिखाना कि कोई विश्वविद्यालय कितना वैश्विक और समावेशी है।
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उभरती वैश्विक शिक्षा महाशक्ति है भारत
QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत की रिकॉर्ड उपस्थिति यह दर्शाती है कि देश का शैक्षणिक परिदृश्य तेज़ी से बदलाव की ओर अग्रसर है। सरकार की नीतियों, रिसर्च पर बढ़ते फोकस, वैश्विक साझेदारियों और उन्नत होती संरचना के साथ भारत 21वीं सदी में एक विश्वस्तरीय शिक्षा केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।