डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली की कुलपति अनु सिंह लाठर ने कहा है कि संस्थान जानबूझकर इंडियन नॉलेज सिस्टम शब्द का प्रयोग नहीं कर रहा है, क्योंकि “इंडिया एक विदेशी शब्द है”। उनका कहना है कि अपनी सांस्कृतिक पहचान और शैक्षिक स्वायत्तता पर जोर देते हुए विश्वविद्यालय की शब्दावली का चयन गहन दार्शनिक और ऐतिहासिक चेतना को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, “इंडिया शब्द ही विदेशी है।” उन्होंने बताया कि एयूडी ने हाल ही में 54 अनिवार्य बीकेएस पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी है, जिन्हें इतिहास, कानून, विरासत प्रबंधन और राजनीतिक दर्शन सहित कई विभागों के कार्यक्रमों में शामिल किया जाएगा। ये केवल मूल्य-संवर्द्धन वाले ऐच्छिक विषय नहीं हैं। ये अनिवार्य घटक हैं, जिनका उद्देश्य औपचारिक उच्च शिक्षा में स्वदेशी ज्ञान को शामिल करना है।
सुश्री लाठर ने कहा कि हमें इन पाठ्यक्रमों को अंतिम रूप देने में लगभग दो साल लगे। इसमें दिये गए प्रत्येक संदर्भ में मूल स्रोत उपनिषद, महाभारत या अर्थशास्त्र, अध्याय, श्लोक और पंक्ति तक शामिल हैं। हमने गंभीर अकादमिक आधारभूत कार्य किया है।” यह पहल शायद किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय में सबसे कठोर बीकेएस मॉडल है। पाठ्यक्रम में भारतीय आधारभूत राजनीतिक दर्शन, योग, आत्मा, भारतीय सौंदर्य शास्त्र और ज्ञान के रूप में भक्ति, पारंपरिक कानून व्यवस्था, प्राचीन भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विषय शामिल हैं।
संस्थानों से नहीं कर रहे प्रतिस्पर्धा
सुश्री लाठर ने बताया कि ये पाठ्यक्रम राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को आमंत्रित करके विकसित किए गए थे। विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद में अनुमोदन प्राप्त करने से पहले इनकी गहन एकेडमिक जांच की गई थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) ढांचे के तहत AUD को विचार नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि “हम अन्य संस्थानों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं। बाबा साहेब अंबेडकर के आदर्शों में निहित हमारी दृष्टि हमारी विशिष्ट शैक्षणिक पहचान का मार्गदर्शन करती है। इसमें ज्ञान के प्रति हमारा दृष्टिकोण भी शामिल है, जो केंद्रीय होना चाहिए।” उन्होंने सुझाव दिया कि यह साहसिक कदम स्वदेशी बौद्धिक परम्पराओं को पुनः प्राप्त करने तथा उत्तर-औपनिवेशिक शैक्षणिक विमर्श को नया स्वरूप देने की व्यापक दृष्टि का हिस्सा है।