बीते कुछ वर्षों में भारत के वर्चस्व में लगातार इजाफा हो रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के साथ तनाव में दुनिया ने हमारे सैनिकों और राजनीतिक इच्छाशक्ति की दृढ़ता देखी। सभी ने माना की इससे पाकिस्तान की कमर टूट गई। इसी का नतीजा था कि 4 दिनों में वो घुटनों पर आ गया। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश के वैश्विक शक्ति बनकर उभरा है। यही कारण है कि अब युद्ध में कूदे इजरायल और ईरान, भारत के साथ समान रूप से बात कर रहे हैं। शुक्रवार को हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजरायल-ईरान के विदेश मंत्रियों से बातचीत की है। ऐसे में कहा जा सकता है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए हिंदुस्तान का महत्वपूर्ण रोल हो सकता है।
इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी है। इससे विनाशकारी युद्ध की आशंका गहरा गई है। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में भारत एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी कूटनीतिक शक्ति के रूप में उभरा है। खुद खुद इजरायल के राजदूत रियूवेन अजार ने भी यही कहा है।
भारत ने देशों से संयम बरतने को कहा
भारत ने हमेशा युद्ध के बजाय संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता दी है। इससे पहले भी रूस-यूक्रेन और हमास-इजरायल जैसे संघर्षों पीएम मोदी का साफ रुख दिखा था। अब ईरान-इजरायल से संयम बरतने और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ईरानी समकक्ष के साथ फोन पर चर्चा कर क्षेत्र में शांति बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। इससे पहले पीएम मोदी ने इजरायल के पीएम नेतन्याहू से बात की थी। उन्होंने बताया कि पीएम नेतन्याहू ने मुझे क्षेत्रीय स्थिति के बारे में बताया। मैंने भारत की चिंताओं को साझा किया और शीघ्र शांति व स्थिरता की आवश्यकता पर बल दिया।
इजरायल-ईरान का भारत पर भरोसा
इजरायली राजदूत रूवेन अजार ने भारत की मध्यस्थता की संभावना पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि भारत के दोनों पक्षों के साथ मजबूत रिश्ते हैं। यह निश्चित रूप से मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हम भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेते हैं। इसके साथ ही अजार ने इजरायल की कार्रवाइयों को रक्षात्मक बताया, जिसका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना है। उन्होंने दावा किया कि ईरान इजरायल को नष्ट करने के इरादे से गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना रहा था और बैलिस्टिक मिसाइलों का एक विशाल शस्त्रागार तैयार करने की योजना बना रहा था।
भारतीयों के लिए अलर्ट
भारत का मानना है कि बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही समस्या का समाधान हो सकता है। भारत ने ईरान में अपने नागरिकों को सतर्क रहने और स्थानीय सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की भी सलाह दी है। लगभग 10,000 भारतीय नागरिक ईरान में रहते हैं, जिससे भारत के लिए यह स्थिति और भी संवेदनशील हो जाती है।
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भारत पर टिकी दुनिया की निगाहें
इजरायल-ईरान के बीच छिड़ी जंग अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है। दोनों देश मिसाइलों की बारिश कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तबाही के सिलसिले को रोकने के रास्ते तलाश रहा है। ऐसे समय में भारत एक बार फिर शांति के दूत के रूप में उभर रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जैसे ही ईरानी विदेश मंत्री से बात की दुनिया की निगाहें भारत पर टिक गईं। इजरायल ने भी स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई इस जंग को रोक सकता है तो वो भारत है।