जी-7 से पहले दिखा PM मोदी का दम, भारत और कनाडा बीच अहम डील खलिस्तानियों को आईना

जी-7 के लिए पीएम मोदी के कनाडा दौरे से पहले असर दिखने लगा है। दोनों देशों के बीच में खुफिया जानकारी शेयर करने को लेकर डील होने वाली है। इससे खालिस्तानियों को तमाचा लगा है।

PM Modi And Mark Carney

PM Modi And Mark Carney

वैंकूवर की ठंडी हवाओं से लेकर दिल्ली की गर्म सियासत तक भारत और कनाडा के बीच बर्फ अब पिघल रही है। एक तरफ जहां इजरायल और ईरान के बीच जंग तेज होती जा रही है। दूसरी तरफ भारत और कनाडा रिश्ते में मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं। खालिस्तानियों को लग रहा था कि उनके विरोध कोई न कोई असर पड़ेगा लेकिन मार्क कार्नी ने उनके मंसूबों पर लगाम लगा दिया है। जी-7 शिखर सम्मेलन से पहले पीएम नरेंद्र मोदी के असर साफ नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच में खुफिया जानकारी साझा करने की एक नई डील की बात लगभग डन हो गई है।

फिलहाल इस डील की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, जल्द इसके फाइनल होने की उम्मीद है। जी-7 से पहले डील की चर्चा साफ संदेश दे रही है कि भारत और कनाडा अब आतंकवाद और क्रॉस-बॉर्डर अपराध के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने को तैयार हैं। ये खालिस्तान समर्थकों के लिए भी एक करारा तमाचा है।  इसके साथ ही ये डील दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों में नई जान फूंकने वाली हो सकती है।

खुफिया अपराधों पर लगेगी लगाम

नई डील भारत और कनाडा की एजेंसियों को क्रॉस-बॉर्डर क्राइम, आतंकवाद, कट्टरपंथ और संगठित अपराध जैसे मामलों पर साथ काम करने का मौका देगी। इससे एक-दूसरे के साथ खुफिया जानकारी साझा करने का एक मजबूत ढांचा बनेगा। दोनों देशों की पुलिस और जांच एजेंसियां अब खालिस्तान समर्थक संगठनों, आतंकी नेटवर्कों और अंतर्राष्ट्रीय गिरोहों पर मिलकर नजर रख पाएंगी। यह सहयोग पिछले दो सालों में संबंधों में आई खटास को दूर करने करने वाला है।

G7 से पहले PM मोदी का दम

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के पद संभालने के बाद भारत से संबंधों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कार्नी को चुनाव में जीत पर बधाई दी थी। 15-17 जून को कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया गया है। माना जा रहा है कि इस सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और मार्क कार्नी की मुलाकात हो सकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी पुष्टि की है कि यह बैठक द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करेगी।

कनाडा से पिछली तनातनी की जड़ें

तनातनी की जड़ 2023 में कनाडा के तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो के आरोपों में थी। उन्होंने भारत पर वैंकूवर के पास एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी नेता की हत्या करवाने का सीधा आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को बेबुनियाद और राजनीतिक स्टंट बताया था। भारत का यह भी कहना था कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक संगठनों को खुली छूट दी जा रही है जो भारत की अखंडता के लिए खतरा है।

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मजबूत होगा सहयोग का दायरा

माना जा रहा है कि अब कनाडा को भी खालिस्तानी नेटवर्क के खतरे की गंभीरता पता चल रही है। इसी कारण दोनों देशों ने फिर से संवाद का रास्ता खोला जा रहा है। नई डील कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को अंतर्राष्ट्रीय अपराध, सिंडिकेट, आतंकवाद के साथ चरमपंथी गतिविधियों पर खुफिया जानकारी शेयर करने के साथ आपसी समन्वय बनाकर काम करने में मदद करेगी। इस डील में न्यायेतर हत्याओं की जांच पर जोर देना भी शामिल है। इसमें सुरक्षा से संबंधित खुफिया जानकारी साझा करने के पिछले प्रयासों की तुलना में उच्च-स्तरीय अधिकारियों को शामिल होंगे। इसका दायरा पहले से मजबूत होगा।

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