विवादों के बायन से अपनी सियासत की दुकान चमकाने वाली आरफा खानम एक ऐसा नाम है जो निष्पक्ष राजनीति की चादर तले अपने एजेंडा की दुकान चलाती हैं। तटस्थता की बात करने वाली अरफा असल में हिंदू विरोधी इको सिस्टम की पोस्टर गर्ल बन चुकी हैं। इन्होंने माफी मांगने के बाद भी नूपुर शर्मा के खिलाफ आग उगला था। अब इन्होंने बकरीद पर गाय की तस्वीर शेयर कर बहुसंख्यक भावनाओं को लतियाने का काम किया है। हालांकि, मामला बढ़ने पर इन्होंने वीडियो जारी कर माफी मांग ली है। ऐसे में अब सवाल ये उठा है कि अरफा की माफी कितनी काफी है?
आरफा खानम शेरवानी ने नूपुर शर्मा के बयान पर हाहाकार मचाया था। अब खुद ही खुलेआम आग उगलते हुए बकरीद पर गाय की तस्वीर शेयर कर दी। अब मामला गरमाया तो इन्होंने माफी मांग ली है। हालांकि, लोग नूपुर शर्मा के केस का जिक्र कर उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। वहीं शर्मिष्ठा पनोली केस का जिक्र कर चर्चा हो रही है कि अरफा खानम की गिरफ्तारी क्यों नहीं होनी चाहिए?
आरफा खानम का पोस्ट और माफी
खुद को सोशल एक्टिविस्ट बताने वाली वकील और कांग्रेस नेता आरफा खानम ने बकरीद पर एक पोस्ट किया था। शनिवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर मुबारकबाद देते हुए गाय की एक तस्वीर पोस्ट की थी। इसमें साफ दिख रहा था कि एक मुसलमान युवक गाय को रस्सी के सहारे बांधकर ले जा रहा था। जाहिर है बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी दी जाती है तो वो अरफा गाय के साथ क्या कहना चाहती थी?
अरफा खानम की पोस्ट बड़ी तेजी से वायरल हुई तो उन्होंने अपना X पोस्ट डिलीट कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने एक वीडियो जारी की जिसमें माफी मांगती हुई नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि मेरा किसी धर्म, समुदाय को आहत करने का कोई इरादा नहीं था। हालांकि, इससे हिंदू समुदाय की भावना आहत हुई है। मैं इसके लिए दिल से माफी चाहती हूं। मैं हमेशा भाईचारे की बात करती हूं।
नूपुर शर्मा केस में मचाया था हाहाकार
साल 2022 में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा का मामला विवादों में आया था। नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी। उनके ये शब्द भगवान शिव पर विवादित बयानों के बाद निकले थे। हालांकि, उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली थी। पैगंबर पर बयान देने के बाद उनके खिलाफ देशभर में कई FIR दर्ज कराई गईं थी। भाजपा ने भी उन्हें पार्टी से बेदखल कर दिया था। उनके जान से मारने के धमकियां मिलने लगीं थी। कब से लेकर अभी तक समाज से गायब ही हैं।
नूपुर शर्मा के माफी मांगने के बाद भी कांग्रेस नेता और आरफा खानम गिरफ्तारी पर अड़ी हुई थी। उन्होंने नूपुर शर्मा के पोस्ट पर कमेंट कर लिखा था कि माफी नहीं गिरफ्तारी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कई सार्वजनिक स्थानों पर उनके माफी की मांग की थी। मामलों को अन्य देशों के राजदूतों के पास भी वकील आरफा खानम लेकर गई थी। उन दिनों एक वीडियो भी इनकी ओर से जारी किया गया था जिसमें नूपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने देश में मुसलमानों की स्थिति को खराब बताया था।
लोग पूछ रहे हैं सवाल
ऐसे में अब बकरीद पर गाय और हिंदू धर्म का अपमान करने के बाद देश में लोग आक्रोशित हैं। लगातार उनसे सवाल किया जा रहा है कि अगर नूपुर शर्मा की माफी के बाद आप गिरफ्तार की मांग कर रहीं थी तो आपकी गिरफ्तारी क्यों नहीं होनी चाहिए। सोशल मीडिया पर लोग दिल्ली पुलिस से भी सवाल कर रहे हैं कि आखिर इनको क्यों इतनी रियायत दी जा रही है? जबकि, इन्होंने हिंदू आस्था को ठोकर मारने का काम किया है।
शर्मिष्ठा पनोली गिरफ्तार को अरफा खानम क्यों नहीं?
कुछ समय पहले एक इंस्टाग्राम इनफ्यूंसर शर्मिष्ठा पनोली ने पहलगाम हमले में प्रतिक्रिया न देने को लेकर फिल्मी सितारों पर निशाना साधा था। उनके खिलाफ कलकत्ता में FIR दर्ज कराई गई थी। हालांकि, शर्मिष्ठा पनोली ने माफी मांग ली और वीडियो भी डिलीट कर दी। इसके बाद भी बंगाल पुलिस ने उनको गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। हालांकि, पहले न्यायिक रिमांड और उसके बाद उनको अंतरिम जमानत मिल गई। अब ये सवाल भी जायज है कि जब छोटी से बात पर माफी मांगने के बाद भी इंस्टाग्राम इनफ्यूंसर शर्मिष्ठा पनोली को गिरफ्तार कर लिया गया था तो अरफा को क्यों बख्शा जा रहा है?
आरफा खानम की माफी कितनी काफी
शर्मिष्ठा पनोली की माफी के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। नूपुर शर्मा की माफी के बाद लगातार उनके गिरफ्तारी की मांग की गई। उन्हें धमकियां दी गईं। हालात ये हुए की नूपुर शर्मा सामाजिक जीवन से एकदम से दूर हो गई हैं। अब आरफा खानम के पोस्ट पर बचाव करने के लिए कई बेतुके तर्कों के साथ लोगों ने सोशल मीडिया पर मोर्चा संभाल लिया है। वहीं दूसरी ओर लगातार उनके गिरफ्तारी की मांग हो रही है। ऐसे में क्या आरफा खानम को इतनी आसानी से क्यों छोड़ा जाना चाहिए? उनकी माफी कितनी काफी है?
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अरफा का पोस्ट बहुसंख्यक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ उनकी आस्था के केंद्र का अपमान कर रही है। भले को कितना भी भाईचारे का दावा कर लें लेकिन उनका झुकाव इतना एकतरफा है कि अब सवाल उठना लाजमी हो गया है आखिर उनकी माफी कितनी काफी है? कहीं ये सुनियोजित एजेंडे का हिस्सा तो नहीं है?