पाकिस्तान में सरकार का हाल ऐसा है मानो कोई पुराना रेडियो हो जिसके तार तो हैं मगर आवाज कब की गुम हो चुकी है। यहां लोकतंत्र की स्याही सूख चुकी है और अब तो किताब के पन्ने भी फटने लगे हैं। शायद इसी लिए भारत से हुआ करारी हार के बाद अब अमेरिका भी पाक मिलेट्री से ही सीधा डील करना चाहता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि फील्ड मार्सल मुनीर को अमेरिकी सेना के 250वें स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लेने का न्योता मिला है। कहा जा रहा है वो इस दौरान US से कई मामलों पर बात कर सकते हैं। इसे लेकर उनके देश के भीतर ही उनका विरोध होने लगा है।
पाकिस्तानी आर्मी चीफ मुनीर की अमेरिका यात्रा को लेकर CNN-News18 सूत्रों के हवाले से लिखा है। न्यूज चैनल ने बताया कि मुनीर 12 जून वाशिंगटन डीसी के लिए रवाना होंगे और 14 जून को कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके लिए उन्हें अमेरिका की ओर से निमंत्रण दिया गया है।
पाकिस्तान में मुनीर का विरोध
सत्ता की बागडोर सैन्य मुख्यालय में जाते देख पाकिस्तान में भी इसका विरोध होने लगा है। फील्ड मार्सल मुनीर की इस यात्रा ने पाकिस्तान की सियासत में आग को और भड़का दिया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने मुनीर को अपराधी करार देते हुए विरोध की हुंकार भर रही है। क्योंकि, मुनीर की यात्रा का असली मकसद सैन्य परेड में तालियां बजाना नहीं बल्कि इससे कई ज्यादा आगे की है।
खनिजों पर चर्चा संभव
पाकिस्तान की आर्थिक हालत खाली थैली और बड़ा मुंह वाली है। चीन के कर्ज के जाल में फंसकर वह अब दूसरी शक्तियों से निवेश की गुहार लगा रहा है। लिथियम, तांबा, सोना और दुर्लभ खनिजों का खजाना तो है मगर उसे निकालने के लिए न तो तकनीक है और न ही पैसा। इस कारण वो अमेरिका से निवेश की उम्मीद कर रहा है। माना जा रहा है कि इस लिहाज से भी ये दौरा खास होने वाला है। फील्ड मार्सल मुनीर अमेरिका से इसे लेकर भी चर्चा कर सकते हैं।
सेना से सीधी डीलिंग
अमेरिका-पाकिस्तान संबंध के लिए यह यात्रा संबंधों को संतुलित करने का प्रयास हो सकती है। चीन के साथ आर्थिक जोखिम में पल रहा पाकिस्तान खनिजों के दोहन के लिए वैश्विक शक्तियों को आकर्षित करना चाहता है। उसे इसके लिए विदेशी निवेश की तलाश है। हालांकि, वो चीन पर धीरे-धीरे भरोसा कम कर रहा है। इसे अमेरिका भी एक मौके की तरह लेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि US पाकिस्तान की सेना से सीधा डील करेगा।
पाकिस्तान में लोकतंत्र सफा
इस यात्रा से पाकिस्तान के लोकतंत्र का ढोंग दुनिया के सामने आ रहा है। एक तरफ मुनीर अमेरिका जाने की तैयारी में है। दूसरी ओर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने फील्ड मार्सल मुनीर की यात्रा का विरोध करने लगी है। इतना ही नहीं उन्हें अपराधी करार दिया जा रहा है। यह यात्रा पाकिस्तान के भीतर राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा सकती है। क्योंकि विपक्षी दल इसे कमजोर होते लोकतंत्र में हावी होती सेना के रूप में देख रहे हैं।
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शहबाज शरीफ केवल कठपुतली
भारत में हर पांच साल में जनता अपनी सरकार चुनती है। वहीं पाकिस्तान में सत्ता की चाबी सैन्य मुख्यालय के ताले में बंद है। फील्ड मार्सल मुनीर की यात्रा बता रहा है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर के बाद कैसे एक बार फिर से सत्ता की चाबी पाकिस्तानी सेना के हाथों में खिसक रही है। सेना के कार्यक्रम में शामिल होने तक ठीक था लेकिन यहां तो समझौते करने की बात हो रही है। अक्सर ये सरकार में शामिल लोगों के साथ डिप्लोमेट करते हैं। ऐसे में अगर मुनीर कोई समझौता करते हैं तो साफ हो जाएगा शहबाज शरीफ केवल कठपुतली बन गए हैं।