इजरायल ईरान जंग के बीच हालात बिगड़े हुए हैं। दुनियाभर के देशों में अपने नागरिकों को ईरान छोड़ने के लिए निर्देश दिए हैं। भारत ने भी गाइड लाइन जारी करने के साथ अपने नागरिकों को तेहरान से निकालना शुरू कर दिया है। 19 जून को सुबह की 110 लोगों को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया है। सभी के सभी 110 छात्र हैं। अभी भी भारत सरकार ऑपरेशन सिंधु के जरिए लोगों को निकालने का काम कर रही है। इजरायल ईरान जंग के बीच सभी के मन में सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में छात्र ईरान का रुख क्यों करते हैं? वो भी इसमें सबसे बड़ी संख्या कश्मीरी छात्रों की ही क्यों होती है?
भारत में मेडिकल की पढ़ाई के लिए भारी प्रतिस्पर्धा है। हर साल करीब 23 लाख छात्र NEET-UG परीक्षा में बैठते हैं। इसमें से केवल 1.1 लाख बच्चों को ही दाखिला मिल पाता है। देशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में करीब 55,000 सीटें है। निजी संस्थानों में फीस बहुत अधिक होती है। इसे बहुत से छात्र चुका नहीं सकते हैं। यही कारण है कि अधिक छात्र विदेशों का रुख करते हैं। इजरायल ईरान जंग के बीच अब सवाल आता है कि आखिर दुनिया में इतने विकल्प होने के बाद भी लोग ईरान क्यों जाते हैं?
क्यों ईरान जाते हैं भारतीय छात्र?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2022 तक लगभग 1500 भारतीय छात्र ईरान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। मेडिकल शिक्षा के अलावा वहां बड़ी संख्या में छात्र धार्मिक शिक्षा के लिए भी जाते हैं। ईरान के तेहरान, कुम और शीराज जैसे प्रमुख शहरों में विभिन्न विषयों की पढ़ाई होती है। विशेष रूप से शिया समुदाय के छात्र कुम और मशहद में धार्मिक शिक्षा प्राप्त करते हैं।
- महज कुछ लाख रुपये में मेडिकल की शिक्षा
- छात्रों की मिलने वाली छात्रवृत्ति और सुविधाएं
- कश्मीर से मेल खाता ईरान का मौसम
- दुनिया में धार्मिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र
- धार्मिक शिक्षा का खर्च उठाती है ईरान सरकार
- भारत समेत दुनिया में प्रैक्टिस की आजादी
कम खर्च में मेडिकल शिक्षा
यूक्रेन जैसे पारंपरिक शिक्षा केंद्रों में बिगड़े हालात के बाद भारतीय छात्रों ने विकल्प खोजे हैं। इस कारण वो अब बड़ी संख्या में ईरान का रुख कर रहे हैं। वो ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, शाहिद बेहिश्ती यूनिवर्सिटी और केरमान यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर पढ़ाई करते हैं। इन यूनिवर्सिटी में छह साल के MBBS कोर्स की कुल फीस लगभग 15 से 30 लाख रुपये है। इसके मुकाबले भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में करीब 60 लाख रुपये की लागत आती है।
छात्रवृत्ति और सुविधाएं
विदेश में शिक्षा दिलाने वाली कई एजेंसियां भारतीय छात्रों को ईरान में प्रवेश दिलाने में मदद करती हैं। BBC से एक एजेंसी के कर्मचारी ने बताया कि ईरान में छात्रों को अच्छी छात्रवृत्ति भी मिलती है। यही कारण है कि यह उनके लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाता है। इन एजेंसियों के अनुसार, ईरान में शिक्षा का खर्च अन्य देशों की तुलना में काफी कम है।
कश्मीर के छात्रों का झुकाव क्यों?
ईरान में पढ़ाई करने जाने वाले भारतीय बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या जम्मू कश्मीर के छात्रों की होती है। इसके पीछे धार्मिक शिक्षा एक कारण है। इसके साथ ही कश्मीर के छात्रों के ईरान जाने की एक बड़ी वजह कम फीस के साथ-साथ वहां का रहन-सहन और मौसम भी है। ईरान का मौसम काफी हद तक कश्मीर से मेल खाता है। ऐसे में यहां के बच्चों को वहां रहने में कम दिक्कत का सामना करना पड़ा है।
धार्मिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र और सुविधाएं
कुछ समय पहले तक दुनियाभर के छात्र धार्मिक शिक्षा के लिए इराक के नजफ और सीरिया के दमिश्क जैसे शहरों का रुख करते थे। हालांकि, सद्दाम हुसैन के शासनकाल के दौरान धार्मिक शिक्षा का केंद्र धीरे-धीरे ईरान की तरफ पहुंच गए। ईरान के मशहद और कुम शहर धार्मिक शिक्षा का केंद्र बन गए। इराक के नजफ के बाद ईरान का कुम शहर शिया धार्मिक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। इसी कारण शिया मुसलमानों के लिए धार्मिक शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र अब ईरान है।
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तेहरान से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित कुम शहर धार्मिक शिक्षा का एक बड़ा केंद्र है। यहां पांच से छह प्रमुख मदरसे हैं जो आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी प्रदान करते हैं। ईरान में धार्मिक शिक्षा के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों को कई सुविधाएं मिलती हैं। उनकी पूरी पढ़ाई का खर्च ईरानी सरकार द्वारा वहन किया जाता है जो इसे छात्रों के लिए एक और भी आकर्षक गंतव्य बनाता है।
दुनिया के तुलना में इसलिए भी ईरान
ईरान में धार्मिक शिक्षा, मौसम के साथ विश्वविद्यालयों का आधुनिक ढांचे बच्चों को आकर्षित करता है। ईरान जाने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि वहां विश्वविद्यालयों को भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से मान्यता मिली है। यहां से पढ़ाई करके आने वाले भारतीय छात्र FMGE (NEXT) परीक्षा देकर भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं। बहुत से ईरानी विश्वविद्यालय वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मेडिकल स्कूल्स (WDOMS) की लिस्ट में भी है। ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चों को कई देशों में प्रैक्टिस करने की छूट मिल जाती है।