दिल्ली के दिल में जम्मू-कश्मीर: पीएम मोदी के 11 साल में देश के बाकी हिस्से से जुड़ी घाटी, 370 हटने के बाद मिली रफ्तार

साल 1947 के बाद से जम्मू-कश्मीर में उतना विकास कभी नहीं हुआ जिनता मोदी सरकार के 11 साल में खासकर 370 हटने के बाद पिछले 4 साल में हुआ है। आइये जानें घाटी कैसे दिल्ली के करीब आई?

Jammu Kashmir PM Modi

Jammu Kashmir PM Modi

साल 1947 में देश आजाद हुआ। उसके बाद से विकास ने रफ्तार पकड़ी लेकिन इसमें भारत का सिरमौर कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर पीछे रह गया। 77 सालों में घाटी का वो विकास नहीं हो पाया जो देश के अन्य हिस्सों में हुआ या फिर वादी को जिस विकास की उम्मीद थी। हालांकि, साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद भारत का ताज देश दिल से जुड़ गया है। वंदे भारत की रफ्तार से दिल्ली की दूरी को नाप रहा है। इस रफ्तार में तेजी आर्टिकल 370 हटने के बाद आई है। कभी दूर का सपना मानी जाने वाली कश्मीर घाटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले 11 सालों के अथक प्रयासों के कारण भारत के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अब इसके विकास में आज यानी 6 जून 2025 को पीएम मोदी ने चार चांद लगा दिए हैं।

जम्मू-कश्मीर के विकास का एक और नया अध्याय 6 जून 2025 को पीएम मोदी ने लिखा। नई रेल परियोजना देश के दुर्गम भूभाग में मौसम की चुनौतियां और तकनीकी सीमाओं को चीरते हुए विकास के सपने को हकीकत में बदल रही है। यह सिर्फ दूरी का सफर नहीं है। बल्कि ये ऐतिहासिक अलगाव का अंत है।

शिलान्यास और उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर रेल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना को देश के हवाले कर दिया है। उस परियोजना के चिनाब रेल पुल, अंजी खड्ड पुल के उद्घाटन के साथ ही उन्होंने श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर के लिए वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई है। वहीं प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में कई सड़क परियोजनाओं के साथ ही 46,000 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन किया है।

उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 272 किलोमीटर लंबी USBRL परियोजना यानी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक को राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। इसमें 36 सुरंगें (119 किलोमीटर तक फैली हुई) और 943 पुल शामिल हैं। इसकी लागत लगभग 43,780 करोड़ रुपये है। इससे कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से सभी मौसमों में संपर्क बनाने में आसानी होगा। घाटी में पर्यटन के साथ ही व्यापार को गति मिलेगी। इस रेल प्रोजेक्ट में सबसे आकर्षण का केंद्र चिनाब रेल पुल, अंजी खड्ड पुल हैं।

चिनाब रेल पुल

दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। इसे भारतीय इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण माना जा रहा है। ये भूकंप और तेज हवाओं का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस पुल जम्मू और श्रीनगर के बीच कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। इसके कारण कटरा और श्रीनगर की दूरी 3 घंटे रह जाएगी।

अंजी खड्ड पुल

USBRL परियोजना में चिनाब रेल पुल के अलावा अंजी खड्ड पुल भी शामिल है। अंजी खड्ड पुल भारत का पहला केबल-स्टेड रेल ब्रिज है। ये चुनौतीपूर्ण भूभाग में कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है। ये पुल जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित है।

घाटी को मिली ये सौगात

प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का तोहफा दिया है। इसमें इलेक्ट्रिक रेल लाइन, आधुनिक स्टेशन, स्वास्थ्य सेवा में सुधार, सड़क परियोजनाएं, रेल लिंक शामिल हैं।

कैसे 11 साल में हुआ चमत्कार?

दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी ने कमान संभालने के साथ ही जम्मू-कश्मीर के विकास को अपनी प्राथमिकताओं में रखा। उन्होंने समझा की सबसे पहले घाटी को देश के अन्य हिस्सों से सुगम बनाना होगा। इसके लिए सड़क और रेल विकास सबसे आधारभूत तत्व है। जैसे-जैसे इन योजनाओं ने रफ्तार पकड़ा घाटी में विकास सुगम होता गया।

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11 साल में घाटी दिल्ली के करीब आई

जम्मू-कश्मीर अपनी भौगोलिक स्थिती के कारण काफी हद तक विकास से दूर रहा है। अब विकास, व्यापार और पर्यटन के नए अवसरों के साथ जीवंत हो रहा है। चिनाब और अंजी पुलों जैसे इंजीनियरिंग चमत्कारों ने घाटी को नई ऊर्जा दी है। वहीं पिछले 11 साल से प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता और संकल्प ने इसे भारत के मुख्यधारा के विकास के साथ कदमताल मिलाने के काबिल बना दिया है। मतलब साफ है कि देश के दिल दिल्ली से जो सिरमौर 77 सालों से दूर था उसे पिछले 11 साल में राजधानी के करीब लाया गया है।

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