पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित एक लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने पूरे देश में गहरी चिंता और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। इस भयंकर अपराध की कड़ी निंदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने राज्य में कानून-व्यवस्था की गिरावट पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
बीजेपी ने इस मामले को पश्चिम बंगाल में प्रशासनिक विफलता का एक साक्ष्य बताया है। नड्डा ने कहा कि यदि शैक्षणिक संस्थानों में भी छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं, तो यह स्पष्ट संकेत है कि राज्य सरकार जनता की सुरक्षा करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है।
घटना के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दक्षिण कोलकाता के उस लॉ कॉलेज में छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में कॉलेज का एक पूर्व छात्र और दो स्टाफ सदस्य शामिल हैं। कोर्ट ने सभी आरोपियों को 1 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इस मामले में एक आरोपी के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से जुड़ाव की भी जानकारी मिली है, जिसके बाद बीजेपी ने ममता सरकार पर कड़ी आलोचना करते हुए सवाल उठाए हैं।
बीजेपी ने इस संवेदनशील मामले की निष्पक्ष और गहन जांच के लिए चार सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की है। समिति के सदस्य निम्नलिखित हैं:
- श्री सतपाल सिंह – पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त, जो कानून व्यवस्था में गहरी विशेषज्ञता रखते हैं।
- श्रीमती मीनाक्षी लेखी – पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता।
- श्री बिप्लब कुमार देब – लोकसभा सांसद और पूर्व त्रिपुरा मुख्यमंत्री।
- श्री मनन कुमार मिश्रा – राज्यसभा सांसद और अनुभवी विधिवेत्ता।
यह समिति शीघ्र ही कोलकाता जाकर घटनास्थल का दौरा करेगी, पीड़िता व प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर सभी तथ्यों का संपूर्ण मूल्यांकन करेगी। अपनी जांच रिपोर्ट वे सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपेंगे।
बीजेपी ने साफ कर दिया है कि यदि राज्य सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई करने में विफल रही, तो पार्टी न्याय सुनिश्चित करने के लिए व्यापक आंदोलन करने से भी नहीं हिचकिचाएगी। राज्य में महिला सुरक्षा को लेकर पार्टी की नीति बेहद सख्त है और किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह मामला पश्चिम बंगाल की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं की संवेदनशीलता को दर्शाता है और कानून व्यवस्था की समीक्षा की जरूरत को और भी गंभीरता से सामने लाता है।