श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत पुरी में एक बार फिर जगन्नाथ रथ यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई है। भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान कर गए। परंपरागत रस्मों के पालन के साथ जैसे ही तीनों रथ मंदिर परिसर से बाहर आए, श्रद्धालुओं की भीड़ ने जयकारों और कीर्तन से स्वागत किया। हर ओर आस्था का उत्साह दिखा, मानो पूरा शहर एक विशाल मंदिर में तब्दील हो गया हो। इस अद्भुत धार्मिक आयोजन को सुचारु रूप से सम्पन्न कराने के लिए प्रशासन ने चाक-चौबंद इंतज़ाम किए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो। पुरी की यह रथ यात्रा ना सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत की एक अनमोल झलक भी प्रस्तुत करती है।
विधिपूर्वक हुई शुरुआत, उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
त्योहार की शुरुआत सुबह मंगला आरती से हुई, जिसके बाद पहांडी अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस अनुष्ठान के दौरान देवताओं को विधिपूर्वक गर्भगृह से निकालकर रथों पर विराजमान किया गया। यद्यपि इसमें थोड़ी देर हुई, परंपराओं के अनुसार सभी रस्में पूरे उत्साह के साथ पूरी की गईं।
दोपहर होते-होते छेड़ा पहनरा अनुष्ठान भी हुआ, जिसमें पुरी के गजपति राजा द्वारा प्रतीकात्मक रूप से रथों की सफाई की जाती है, यह विनम्रता का एक सांकेतिक कार्य है। इसके बाद तीनों रथ 2.6 किलोमीटर लंबे बड़ा डांडा मार्ग से गुंडिचा मंदिर की ओर रवाना हुए। प्रशासन के अनुसार, इस सप्ताह भर चलने वाले महोत्सव में दुनियाभर से करीब 1.5 करोड़ श्रद्धालु पुरी पहुंचेंगे।
अभूतपूर्व सुरक्षा और आधुनिक व्यवस्थाएं
इतनी बड़ी संख्या में भीड़ को देखते हुए ओडिशा सरकार ने सुरक्षा के लिए चाक-चौबंद इंतजाम किए हैं:
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10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी – जिनमें CRPF, NSG और विशेष टास्क फोर्स शामिल हैं – पुरी में तैनात किए गए हैं।
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275 AI-सक्षम सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन निगरानी और एकीकृत नियंत्रण कक्ष सक्रिय रूप से भीड़ और रथों पर नजर रख रहे हैं।
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मार्ग के प्रमुख स्थानों पर अस्थायी चिकित्सा शिविर, पेयजल केंद्र, छायायुक्त प्रतीक्षा क्षेत्र, और स्वच्छता सुविधाएं स्थापित की गई हैं।
इसके अलावा, तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए “श्री जगन्नाथ धाम” मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है, जो लाइव अपडेट, पूजा समय-सारणी और नक्शे आधारित मार्गदर्शन प्रदान करता है।
धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्त्व
हिंदू धर्म में रथ यात्रा का विशेष धार्मिक महत्त्व है। यह भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन की अपनी मौसी के घर जाने की वार्षिक यात्रा मानी जाती है। विद्वान इसे ईश्वर की अपने भक्तों तक पहुंच की यात्रा मानते हैं, जिसमें भगवान मंदिर से बाहर आकर आम जन को दर्शन देते हैं।
इस वर्ष एक नई पहल के तहत, रथ यात्रा ₹200 करोड़ के धार्मिक ब्रांडिंग और विज्ञापन का भी केंद्र बन गई है। हालांकि, इन व्यावसायिक गतिविधियों को पूरी तरह से नियंत्रित और मर्यादित रखा गया है, जिससे धार्मिक पवित्रता बनी रहे।
आगे का कार्यक्रम
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देवता अब गुंडिचा मंदिर में 7 दिनों तक विराजमान रहेंगे।
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बहुदा यात्रा (वापसी यात्रा) 4 जुलाई 2025 को होगी।
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सुनाबेशा अनुष्ठान, जिसमें भगवानों को स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाता है, 5 जुलाई को होगा।
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इसके बाद नीलाद्री विजय के साथ देवता अपने मूल मंदिर लौटेंगे और यह महापर्व संपन्न होगा।
श्रद्धा और एकता का उत्सव
जैसे-जैसे रथ आगे बढ़ते जा रहे हैं, पुरी की फिजा भक्ति, संगीत और अध्यात्म से गूंज रही है। करोड़ों लोगों के लिए यह रथ यात्रा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि ईश्वर से जुड़ने का अवसर है।