भारत की बदलती सैन्य क्षमताओं का जोरदार प्रदर्शन करते हुए, एनडीटीवी द्वारा एक्सेस की गई नई हाई-रिज़ोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों ने यह पुष्टि कर दी है कि भारतीय सेना द्वारा 7 मई की सुबह को चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद दो प्रमुख आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को तबाह करने में पूरी तरह सफल रहा।
यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारतीय सेना ने मुजफ्फराबाद के सैयदना बिलाल कैंप और कोटली के गुलपुर कैंप को निशाना बनाया, दोनों स्थान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के संरक्षण में काम कर रहे आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मजबूत गढ़ माने जाते थे।
सैयदना बिलाल कैंप: आतंकियों का गढ़ बना मलबा
कश्मीर के तंगधार से 36 किलोमीटर पश्चिम में स्थित यह कैंप 2023 के जून से ही घातक ट्रेनिंग गतिविधियों का केंद्र बना हुआ था। सेना सूत्रों के अनुसार, यहां प्रशिक्षित आतंकी उरी और केरन सेक्टरों से भारत में घुसपैठ करते थे, जिनका मकसद जम्मू के रेलवे नेटवर्क सहित बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना था।
यहां पर जैश के टॉप कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी और अब्दुल्ला जिहादी जैसे आतंकी ट्रेनिंग की निगरानी करते थे। उनके ठहरने के लिए विशिष्ट गेस्टहाउस भी बनाए गए थे, जिससे इस कैंप की रणनीतिक अहमियत का पता चलता है।
प्रशिक्षण के बाद आतंकियों को पंजाब ले जाकर संचार संबंधी निर्देश दिए जाते थे, जम्मू में हुई कई घटनाओं में इन्हीं आतंकियों की संलिप्तता सामने आई है।
मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में यह साफ दिखाई दे रहा है कि इस कैंप को सटीकता से पूरी तरह तबाह कर दिया गया, बिना किसी collateral damage के जो भारत की सैन्य सटीकता और उन्नत क्षमता को दर्शाता है।
गुलपुर कैंप: कोटली में लश्कर का अड्डा ध्वस्त
दूसरा लक्ष्य था कोटली जिले में स्थित गुलपुर कैंप, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय बेस और ट्रेनिंग सेंटर था। यह कैंप राजौरी से 40 किलोमीटर पश्चिम में स्थित था और आत्मघाती हमलावरों समेत कई सक्रिय आतंकियों का गढ़ था।
सैटेलाइट चित्रों में दिखता है कि वहां बना एक 110 फीट x 30 फीट का बड़ा ढांचा दो हिस्सों में बंट गया, और आसपास की इमारतों को भी भारी नुकसान पहुंचा। सेना को शक है कि स्ट्राइक के समय कैंप में 30–50 आतंकी और उनके प्रशिक्षक मौजूद थे।
2019 के बालाकोट स्ट्राइक के बाद यह कैंप अस्थायी रूप से निष्क्रिय हुआ था, लेकिन 2020 से दोबारा सक्रिय हो गया था। इस बार की तबाही ने लश्कर की जम्मू-कश्मीर में वापसी की कोशिशों को करारा झटका दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की नई ‘रेड लाइन’
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई की सुबह अंजाम दिया गया, जिसमें 25 मिनट के भीतर 9 आतंकी ढांचों पर एकसाथ हमले किए गए, इनमें से चार पाकिस्तान के भीतर (बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट और शकरगढ़) और पांच PoK में (मुजफ्फराबाद, कोटली, भीमबर, रावलकोट और चकस्वारी) थे।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक, इन हमलों में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की संभावना है, जिससे यह बालाकोट के बाद की सबसे सफल कार्रवाई मानी जा रही है। ऑपरेशन की विशेषता इसका विस्तृत लक्ष्य चयन और ड्रोन व लोइटरिंग म्यूनिशन जैसे अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग है।
लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त), जिन्होंने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व किया था, ने एनडीटीवी को बताया:
“लोगों का ध्यान पाकिस्तान के अंदर के ठिकानों पर गया है, लेकिन PoK में किए गए हमले रणनीतिक दृष्टि से उतने ही अहम हैं। यहीं से आतंकी प्रशिक्षण लेकर भारत में घुसपैठ करते हैं। इनका सफाया स्पष्ट संदेश देता है।”
पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर नेटवर्क पर करारा प्रहार
ये हमले केवल प्रतिशोध नहीं, बल्कि पाकिस्तान की वर्षों पुरानी ‘हजार घाव’ की नीति का सीधा जवाब हैं, जिसमें LeT और JeM जैसे आतंकी संगठनों के जरिए भारत को नुकसान पहुंचाया जाता है।
लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दूआ (सेवानिवृत्त), पूर्व कोर कमांडर (श्रीनगर), ने कहा:
“हम दशकों से इन कैंपों की लोकेशन जानते थे, लेकिन परमाणु खतरे के कारण कार्रवाई नहीं होती थी। पहलगाम हमले ने वह समीकरण बदल दिया। अब ये तस्वीरें भारत की बदली हुई इच्छाशक्ति और क्षमता का प्रमाण हैं।”
ड्रोन के जरिए इतने सटीक और गहरे प्रहार यह दिखाते हैं कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव और तकनीकी रूप से सशक्त बन चुका है। साथ ही, बिना किसी नागरिक हानि के, भारत ने नैतिक बढ़त भी बरकरार रखी है।
पाकिस्तान के इनकार अब बेमानी हो चुके हैं। ISI का आतंकी नेटवर्क अब दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है।
भारत की नई सैन्य नीति: हमला वहीं, जहां खतरा पनपे
ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई रक्षा नीति की झलक देता है , अब देश सिर्फ हमलों का जवाब नहीं देगा, बल्कि खतरे के स्रोत को पहले ही खत्म करेगा।
सैयदना बिलाल और गुलपुर जैसे अहम आतंकी ठिकानों को तबाह कर भारत ने पाकिस्तान समर्थित जिहादी नेटवर्क की रीढ़ तोड़ दी है और पूरी आतंकी बिरादरी को यह साफ संदेश दिया है:
“अब कोई भी सुरक्षित नहीं है।”
जब पाकिस्तान की कूटनीतिक परतें उतर रही हैं और उसका आतंकी ढांचा उजागर हो रहा है, तब भारत केवल आतंक का शिकार नहीं, बल्कि अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार राष्ट्र के रूप में उभरा है।